बुधवार, 5 सितंबर 2012

टूट कर बिखर रही है गुरू शिष्‍य परंपरा



पूर्व राष्‍ट्रपति और शिक्षक सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन अक्‍सर कहा करते थे, ज्ञान हमेशा शक्ति देता है। उनकी याद में हर साल शिक्षक दिवस 05 सितंबर को मनाया जा रहा है, लेकिन अब समाज में धीरे-धीरे गुरू-शिष्‍य परंपरा टूटकर बिखर गई है। बाजारवाद में शिक्षा को कलुषित कर दिया है। शिक्षा भी व्‍यवसाय बन गई है। दौलत के बिना आज बड़े-बड़े शिक्षण संस्‍थानों हर किसी को प्रवेश नहीं मिल रहा है। इसके बाद भी जिसके पास ज्ञान है वह तो दुनिया भर में अपना डंका बजवा रहा है। 
ज्ञान की राह पर चलकर मप्र के कई नौजवान विदेशों में अपना नाम तो कमा ही रहे हैं साथ ही साथ राज्‍य का नाम भी रोशन कर रहे हैं। भले ही राज्‍य को पिछड़े राज्‍य की संज्ञा से नबाजा है, लेकिन शिक्षा का दीप यहां तेजी से चल रहा है। इसके लिए राज्‍य सरकार के साथ-साथ समाज में भी चेतना के बीज अं‍कुरित हो गये हैं, लेकिन समाज ने शिक्षा को व्‍यवसायिक रूप देने में कोई कौर कसर नहीं छोड़ी है। 
हर तरफ शिक्षा का व्‍यवसाय फलफूल रहा है। केजी-1 से लेकर कॉलेज और विश्‍वविद्यालयों की शिक्षा में पैसा पानी की तरह बह रहा है। इसके चलते पूरी शिक्षा व्‍यवस्‍था पर व्‍यवसाय ने अपना कब्‍जा कर लिया है। पर फिर भी जो ज्ञान के दीप लेकर निकल पड़े हैं, वह तो ज्ञानवान पीढी तैयार कर ही रहे हैं। बाजारवाद में मप्र की शिक्षा को तो कलुषित किया ही है, लेकिन गुरू-शिष्‍य परंपरा में भी दाग ही दाग चस्‍पा कर दिये हैं। अब गुरू का स्‍थान प्रोफेसनल टीचरों ने ले लिया है। 
       वह उन्‍हीं छात्रों को ज्ञान देते हैं, जो कि उनकी जेब गर्म करते हैं। यह प्रोफेसनल गुरू अपने छात्रों को विद्यार्थी नहीं, बल्कि क्‍लांइट के रूप मे सांझा किये हुए हैं। प्रोफेसनल शिक्षकों ने अपना रहन-सहन पूरी तरह से बदल दिया है वह अब अट्रेक्टिव पर्सनैलिटी बनने के लिए वह महंगे-महंगे कपड़े पहन रहे हैं। भोपाल के स्‍कूल और कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं प्रोफेसनल शिक्षकों में प्रो0प्रीति मिश्रा, ज्‍योति पाल, डॉ0लता मुंशी, संकल्‍प सामल, डॉ0 शोभना वाजपेयी मारू सहित आदि शामिल हैं, जिन्‍होंने अपने पहनावे को पूरी तरह से बदल दिया है और वे गुरू-शिष्‍य परंपरा से एक कदम आगे बढ़कर जीवन जी रहे हैं और अपने छात्रों को भी प्रोफेसनल बनने की राह पर चलने पर बल दे रहे हैं।

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