उनकी राजनीति इन दिनों पग-पग सोच विचार कर चल रही है। वे कभी अब उदेलित नहीं होती और न ही अपने समर्थकों के लिए कहीं दबाव बनाती हैं, जो पार्टी लाइन मिल रही है उस पर काम कर रही हैं। यहां हम चर्चा कर रहे हैं साध्वी और मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की। जो कि इन दिनों एक पवित्र मिशन 'गंगा बचाओ अभियान' के तहत यात्रा पर हैं। उन्होंने मप्र की भाजपा राजनीति से अपने आपको अलग-थलग सा कर लिया है। वे राज्य यात्रा पर आती है, लेकिन अपने मिशन के तहत यात्रा करके वापस भी चली जाती है और मीडिया को भनक तक नहीं लगती है। यह सिलसिला उनका पिछले एक साल से चल रहा है। इसके बाद भी भाजपा के नेताओं के दिल और दिमाग पर उमा भारती छाई रहती हैं। उनकी धमक नेताओं को अज्ञात भय से भयभीत करती रहती है। चाहे मंत्रि मंडल की बैठक हो अथवा संगठन की रणनीति की होने वाली बैठकों में भी उमा भारती का साया मंडराता रहता है। 11-12 सितंबर, 2012 को खंडवा में हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में भी उमा भारती ने न तो शिरक्त की और न ही कोई एजेंडा अपनी तरफ से पेश करवाया, बल्कि वे तो उन दिनों गंगा बचाओ अभियान के तहत योजना पर काम कर रही थी। यह यात्रा हाल ही में बंगाल से शुरू हुई है, जो कि यूपी में समाप्त होगी। उमा भारती यूपी विधानसभा में विधायक हैं और वे अब अपनी राजनीति का केंद्र बिंदु उप्र को बनाने में जुटी हुई हैं। भारतीय राजनीति की धुरी यूपी है। यही से देश को प्रधानमंत्री मिलते रहे हैं। यही वजह है कि भावी राजनीति के अध्याय तैयार करने के लिए उमा भारतीय ने अपने आपको यूपी में झोंक दिया है। इसके बाद भी मप्र के नेताओं को उमा का भय सताता रहता है, जबकि वे बार-बार कह चुकी है कि अब वे मप्र की तरफ पलट कर भी नहीं देखेंगी, लेकिन फिर पार्टी नेताओं को लगता है कि उमा भारती कभी भी मप्र में ताकतवर हो सकती हैं। खंडवा में हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में भी पार्टी अध्यक्ष प्रभात झा ने उमा भारती का जिक्र करते हुए कहा कि खंडवा हमारे लिए विजय भव की स्थली है, क्योंकि इसी स्थल से वर्ष 2003 में उमा भारती ने जीत का संकल्प लिया था और तब भाजपा की सरकार बनी थी। वर्ष 2013 का मिशन भी हम इसी विजय पथ पर यही से अग्रसर होंगे। इस बार हमारा लक्ष्य वर्ष 2003 में जीती गई 173 सीटों से आगे बढ़ना है, फिर चाहे वह एक सीट ही क्यों न हो, उन्हें हर हाल में उमा भारती के मिशन से आगे जाना है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार ने भी उमा को याद कर ही लिया। उनका इशारा लोकसभा चुनाव था जिसमें भाजपा ने उमा भारती के नेतृत्व में 24 लोकसभा सीटें जीती थी। अब अनंत कुमार 29 सीटें जीतने का लक्ष्य बनाने का सपना दिखा रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में 143 और लोकसभा संसदीय क्षेत्रों में 16 सीटे जीती थी साथ ही पिछले चार सालों में हर उपचुनाव पर भगवा रंग फहराया है। इस नाते भाजपा को लगता है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी भगवा झंडा फिर से राज्य में चहु ओर फैलेंगा। इस अभियान के लिए पार्टी पूरी ताकत से जुट गई है। अब देखना यह है कि इस अभियान को कितनी गति मिलती है और कामयाबी का झंडा कहा तक पहुंचता है। कुल मिलाकर साध्वी उमा भारती को बार-बार मप्र की सरजमी पर याद करना यह साबित करता है कि कहीं न कहीं भाजपा नेताओं को उनकी कमी खलती है।
''जय हो मप्र की''
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