शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

जल सत्‍याग्रह कर रहे हैं नर्मदा बचाओं आंदोलनकारी

          बार-बार नर्मदा बचाओ आंदोलनकारी हर साल बारिश के मौसम में जल सत्‍याग्रह पर बैठ जाते हैं। सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। ऐसे आंदोलन नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेघा पाटकर के नेतृत्‍व में राज्‍य में कई बार हुए। अब मेघा पाटकर ने इस आंदोलन से अपने आपको दूर कर लिया है और उनके समर्थक अब आंदोलन का नेतृत्‍व कर रहे हैं। पिछले एक सप्‍ताह से खंडवा के आसपास ग्रामीण जन जल सत्‍याग्रह पर बैठे हैं और उन्‍हें हर पल मौत सता रही है। फिर भी अधिकारी कोई भी चर्चा करने को तैयार नहीं है। इंदिरा सागर परियोजना को साकार करने में जिन्‍होंने अपना अमूल योगदान देकर अपनी जन्‍म भूमि छोड़ दी उन पर एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जब तक इंदिरा सागर परियोजना का 262 मीटर तक भरने के आदेश नहीं हुए थे, तब लोग निश्‍‍चिंत होकर मुआवजा लेकर गुजर-बसर कर रहे थे, लेकिन जैसे ही हाईकोर्ट द्वारा 262 मीटर भरने के आदेश हुए और उसी के साथ ही गांव-गांव में पानी कहर बनकर सामने आया है। पानी रहवासियों के घरों में घुसने लगा है। इसको लेकर अब विस्‍थापितों ने गले-गले पानी में डूबकर अपना आंदोलन शुरू कर दिया है। इसी के साथ ही आंदोलनकारियों ने एलान कर दिया है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह डूब कर मौत को गले लगा लेंगे। फिलहाल तो इन आंदोलनकारियों के बारे में कोई विचार विमर्श नहीं हो रहा है और विस्‍थापित अपने आंदोलन में अडिग हैं।
''नृत्‍य से तनमन हुआ झंकृत''

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