आजकल मप्र में युवतियों के पहनावे पर बड़ा बबाल मचा हुआ है। युवतियों की छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं को रोकने का शिवराज सरकार की नजर में एक ही फार्मूला है कि युवतियां टी-शर्ट और जींस न पहने, बल्कि मर्यादा में रहे। इसको लेकर बहुत हल्ला मच रहा है। शिवराज सरकार के कैबिनेट मंत्री बाबूलाल गौर और कैलाश विजयवर्गीय समय-समय पर कह चुके हैं कि युवतियों को मर्यादा में रहना चाहिए और उन्हें ऐसे कपड़े नहीं पहनना चाहिए, जिससे युवक छेड़छाड़ करने को विवश हो जाये। अब इसी कड़ी में यातायात पुलिस के अधिकारियों ने भी अपनी महिला पुलिसकर्मियों के लिए फरमान जारी किया है कि वह जींस, टी-शर्ट पहनकर दफ्तर में न आये, इससे माहौल खराब होता है। वैसे तो महिला पुलिसकर्मियों को सप्ताह में छह दिन ड्रेस पहननी ही पड़ती है, लेकिन जिस दिन उन्हें छूट रहती है, वे अपने पसंद के कपड़े पहन सकती है, लेकिन यातायात पुलिस संचालनालय को युवतियों की यह आजादी पसंद नहीं है और वे उन्हें मर्यादा के अनुसार वेशभूषा पहनना चाहिए। फिलहाल तो महिला पुलिसकर्मी कुछ नहीं कह रही है, क्योंकि वे अनुशासन से बंधी हुई हैं। मप्र में युवतियों की ड्रेस को लेकर समय-समय पर विवाद गहराता रहता है। उनके पहनावे को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं। शहरों में अब युवतियां सलवार-कुर्ती एवं साड़ी में नजर नहीं आती है, बल्कि वे बाजार के अनुसार पहनावे में विश्वास कर रही हैं। भाजपा सरकार के रहनुमाओं को लगता है कि महिलाओं और युवतियों से छेड़छाड़ की घटनाएं वस्त्रों को लेकर होती हैं। इसलिए इन पर ही रोक लगाई जाये, फिलहाल तो इस विषय पर बहस चल पड़ी है, क्योंकि समाज अपने तर्क रख रहा है, युवतियां अपनी बात कह रही है तथा सरकार अपना राग आलाप रही है।
हे.!!!
जवाब देंहटाएं"कुंठित मानसिकता बाले मर्दों"
अपनी कमजोरी पर
क्यों किसी की,
आजादी छीनने पर तुले हो,
कभी सामना करो आईने का,
तब जान पाओगे,
कमी कहा हे-
कपड़ो में की_
खुद की मर्दानगी में...????