आदिवासी वर्ग की उपेक्षा और रोजगार के अभाव में लड़कियों की तस्करी के मामले जब तब सामने आते रहे हैं। विशेषकर आदिवासी अंचलों से युवा आदिवासी लड़कियों को बहला-फुसलाकर और सपनों के जाल में फंसा कर महानगर में बेचने के मामले कई बार सामने आये हैं फिर भी आदिवासी नेताओं ने इस मामले में चुप्पी ही साध रखी है। पहली बार 29 अगस्त, 2012 को मप्र आदिवासी विकास परिषद के सम्मेलन में इस बात पर नाराजगी जाहिर की गई कि आदिवासी युवतियों की तस्करी हो रही है और आदिवासी समाज एवं नेता चुप बैठे हुए हैं।
मप्र में आदिवासी बाहुल्य इलाकों में तस्करों का एक गिरोह काम कर रहा है, जो कि अलग-अलग सपने दिखकर आदिवासी बालाओं को महानगरों में लेकर जाकर बेच रहे हैं। यह आरोप कोई विपक्षी दल का नेता नहीं लगा रहा है, बल्कि मप्र की पुलिस ने समय-समय पर ऐसे गिरोह को पकड़ा है, जिनके पास से आदिवासी लड़कियां बरामद हुई हैं। यह सिलसिला 1990 के दशक से चल रहा है, जो कि वर्ष 2003 से लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इस दिशा में राज्य सरकार ने समय-समय पर कदम भी उठाएं, पुलिस को सक्रिय भी किया और कुछ गिरोह पकड़ में भी आये, इसके बाद भी आदिवासी बालाओं को महानगरों में बेचने का सिलसिला थमा नहीं है। हाल ही में पिछले साल डिंडोरी और अनूपपुर में तो आदिवासी बालाओं को को रेलवे स्टेशन से पुलिस ने गिरोह के साथ पकड़ा था, लेकिन पुलिस इस बात की तफतीश नहीं कर पाई कि आखिरकार आदिवासी बालाएं बेचने के पीछे कौन सा गिरोह काम कर रहा है। ऐसा कहा जाता है कि देश के महानगर दिल्ली, मुंबई, कोलकत्ता एवं हैदराबाद में काम करने वाली बाईयों की संख्या लगातार कम हो रही है, इनकी पूर्ति करने के लिए आदिवासी बालाओं को बेचने का गिरोह काम कर रहा है। इसमें ऐसा गिरोह भी जो कि आदिवासी बालाओं को पहले महानगरों में देह व्यापार कराता है उसके बाद उन्हें घरेलू काम में लगा दिया जाता है। इस गंभीर समस्या की ओर लंबे समय बाद आदिवासी विकास परिषद के सम्मेलन में विचार किया गया। आदिवासी नेताओं ने स्वीकार किया कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में मानव तस्करी से जुड़े गिरोह संगठित हैं, जिनके तार मुंबई, कोलकत्ता आदि महानगरों में ऑपरेट कर रहे अंतर्राज्यीय गिरोह से जुड़े हुए हैं। इस बैठक की अध्यक्षता आदिवासी नेता और सांसद कांतिलाल भूरिया ने की और उनके साथ विधायक विसाहूलाल सिंह, सांसद बसूरीराम मरकाम, विधायक उमंग सिंघार, धरमू सिंह, नारायण सिंह पट्टा एवं श्रीमती सुलोचना रावत सहित आदि मौजूद थी। अब देखना यह है कि इस गंभीर समस्या पर आदिवासी नेता भविष्य में क्या करते हैं।
मौसम हुआ सुहाना - भोपाल के मौसम की झलक........
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
EXCILENT BLOG