शनिवार, 15 दिसंबर 2012

नेशनल हाईवे बनाम स्‍टेट हाईवे के बीच छिड़ी जंग


          मध्‍यप्रदेश में सड़के अपने-अपने स्‍थान पर आंसू बहा रही हैं। न तो उनकी मरम्‍मत हो रही है और न ही कोई देखरेख करने वाला है। सड़कों का नया निर्माण तो एक सपना ही है। राज्‍य में सड़के अब जंग का मैदान बन गई हैं। इन पर खूब राजनीति हो रही है। इसकी चिंता किसी को नहीं है कि सड़के क्‍यों नहीं सुधर पा रही हैं। सब अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। वर्ष 2002 में जो सड़कों लेकर हंगामा प्रदेश में मचा था, वही फिल्‍म फिर से दोहराई जा रही है। भाजपा के 9 साल के शासनकाल में भी सड़कों की दुर्दशा पर आंसू बहाये जा रहे हैं। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सड़कों की बदहाली पर पिछले छह महीने में कई बार लोक निर्माण के अफसरों पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं पर ऐसा लगता है कि अब उनकी नाराजगी का भी कोई असर नहीं हो रहा है। यही वजह है कि सड़के जस की तस हैं और उन पर राजनीति करने के लिए राजनेता तैयार हैं। मध्‍यप्रदेश में नेशनल हाईवे और स्‍टेट हाईवे राजनीति के अखाड़े बन गये हैं। मुख्‍यमंत्री बार-बार नेशनल हाईवे की मरम्‍मत नहीं होने को लेकर नाराजगी जाहिर करते हैं। यहां तक कि वह दिल्‍ली में हल्‍ला मचाने का एलान भी करते हैं। पूरी मंत्रिपरिषद के साथ प्रधानमंत्री और भूतल परिवहन मंत्री से मिलने का एलान करते हैं, लेकिन जब दिल्‍ली में मंत्रियों से मिलने का समय नहीं मिलता है, तो वह मध्‍यप्रदेश में ही अखबारों के जरिये केंद्र सरकार के खिलाफ अपना गुस्‍सा जाहिर करते हैं। अब फिर से मुख्‍यमंत्री ने कहा है कि वे केंद्र सरकार से एक बार फिर नेशनल हाईवे को लेकर मिलेंगे। इससे पहले 13 दिसंबर, 2012 को मुख्‍यमंत्री ने नेशनल हाईवे के अधिकारियों को मं‍त्रालय बुलाकर समझाईश दी थी कि जल्‍द से जल्‍द कार्यवाही करें। लंबे समय बाद नेशनल हाईवे के अफसरों और मुख्‍यमंत्री के बीच चर्चाएं हुई थी। इसके दूसरे दिन ही मुख्‍यमंत्री ने आंदोलन का एलान कर दिया। इसी के साथ ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भी अब स्‍टेट हाईवे को लेकर आंदोलन करने का एलान कर दिया है। वह लगातार कह रहे हैं कि मुख्‍यमंत्री को नेशनल हाईवे के साथ-साथ स्‍टेट हाईवे पर भी ध्‍यान देना चाहिए। कुल मिलाकर सड़के राजनीति का केंद्र बनती जा रही है ओर उनका मरम्‍मत पर किसी का ध्‍यान नहीं है। 
कोर्ट भी हुआ सड़कों पर खफा : 
     मध्‍यप्रदेश हाईकोर्ट भी समय-समय पर सड़कों के निर्माण नहीं होने पर नाराजगी जता चुका है। अब मध्‍यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश शरद अरविंद बोबडे एवं जस्टिस एससी गर्ग की खंडपीठ ने कहा है कि राज्‍य मार्ग सुधारकर कोर्ट को रिपोर्ट पेश करें। अदालत ने जबलपुर, न‍रसिंहपुर और कटनी के एनएचएआई के प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर को राजमार्ग सुधारकर 4 फरवरी, 2013 तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये हैं। अधिकारियों ने अदालत से आग्रह किया है कि जबलपुर से लखनादौन के बीच का 80 किमी का पेंच 31 जनवरी, 2013 तक चलने लायक बना दिया जायेगा, जबकि जबलपुर-कटनी-रीवा मार्ग 15 जनवरी तक सुधार दिया जायेगा। इस मार्ग का 378 से 389 किमी का 12 किमी का पेंच पीडब्‍ल्‍यूडी के अंतर्गत आता है जिस पर कोर्ट ने एनएचएआई को उक्‍त पेंच में सुधार कर पीडब्‍ल्‍यूडी से पैसा वसूलने के निर्देश दिये हैं। बार-बार हाईकोर्ट की तरफ से नेशनल हाईवे की बिगड़ती दशा पर चिंता जाहिर की जाती रही है, लेकिन फिर भी लोक निर्माण विभाग और एनएचएआई के अधिकारी इन सड़कों की मरम्‍मत करने से बचते क्‍यों हैं। आखिरकार सड़कों को लेकर बार-बार सवाल उठते हैं और मरम्‍मत भी हो जाती है और फिर बारिश होते ही सड़के जस की तस हो जाती हैं। इस दिशा में कोई भी सोचने को तैयार नहीं है, क्‍योंकि सड़कों के निर्माण में जो धांधलियां हो रही है उस पर अगर इसी तरह से आंख बंद किये रहे तो हर साल मरम्‍मत के लिए लाखों रूपये खर्च होगा और आम आदमी फिर से सड़कों की बदहाली पर रोता रहेगा। न तो प्रदेश में कोई परिवर्तन होगा और न ही बदलाव की उम्‍मीद करना चाहिए। 
                                   ''मध्‍यप्रदेश की जय हो''

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