गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

मध्‍यप्रदेश में भ्रष्‍ट अफसरों की भरमार

           भ्रष्‍टाचार के घेरे में अधिकारी फंसते ही जा रहे हैं। हालत यह हो गई है कि इस जंजाल में आईएएस अफसर से लेकर राज्‍य प्रशासनिक सेवा (राप्रसे) के अधिकारियों पर भी मामले दर्ज हुए हैं। मप्र में 91 अधिकारी विभिन्‍न जांचों के घेरे में हैं जिसमें 35 आईएएस और 42 राप्रसे तथा 14 अन्‍य अधिकारी शामिल हैं। इन अधिकारियों के खिलाफ मामले तो दर्ज हो गये हैं, लेकिन जांच की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। जिसके चलते भ्रष्‍टाचार की गंगा जहां-तहां से बह रही है। इन अधिकारियों के मामले 12 दिसंबर, 2012 को विधानसभा में फिर से गूंजे हैं। अरसे से यह बात उठती रही है कि आखिरकार आईएएस अफसरों पर अभियोजन की अनुमति राज्‍य सरकार क्‍यों नहीं देती है। लोकायुक्‍त और आर्थिक अपराध अन्‍वेषण ब्‍यूरो जांच करके मामला मंत्रालय तक पहुंचा देता है और उसके बाद सामान्‍य प्रशासन विभाग उस फाइल पर ऐसे कुंडली मारकर बैठता है कि फिर उठने का नाम नहीं लेता। राज्‍य में नौकरशाह और राजनेताओं के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है। नौकरशाह अपनी ढपली बजाते हैं और राजनेता अपने अंदाज में काम करते हैं। इसके चलते विवाद बढ़ते ही जाते हैं। नौकरशाहों को लगता है कि वे नियम प्रक्रियाओं को ज्‍यादा जानते हैं और राजनेता को वे कठपुतली की तरह इस्‍तेमाल करते हैं, लेकिन कभी-कभी राजनेता भी ऐसे डंक मारते हैं कि नौकरशाहों को पसीना आ जाता है। ऐसा नहीं है कि सारे नौकरशाह भ्रष्‍ट और नियम प्रक्रियाओं को तोड़ने की कला में माहिर हैं। राज्‍य में ईमानदार और नियम से काम करने वाले अफसरों की काफी संख्‍या है, लेकिन भ्रष्‍टाचार करने वाले अफसरों की भी लंबी फेहरिस्‍त है। यही वजह है कि अधिकारी और राजनेताओं का विवाद बढ़ता ही रहता है।
इन अफसरों की जांच लंबित : 
        मध्‍यप्रदेश में अफसरों के भ्रष्‍टाचार की जांच पर तो खूब हल्‍ला मचता है, लेकिन उनकी फाइलें दबने में भी देरी नहीं लगती है। आईएएस अधिकारी डॉ0 राजेश राजौरा, एके सिंह, योगेश शर्मा, सौमित जैन, आरके स्‍वाई, देवराज बिरदी, विवेक अग्रवाल, नीरज मंडलोई, प्रभात पारासर, एनबीएस राजपूत और पवन शर्मा की जांच का काम अभी भी चल रहा है। इसी के साथ ही रमेश थेटे, अरविंद जोशी, टीनू जोशी, अजिता वाजपेयी पांडेय और सीबी सिंह के मामले में तो अभियोजन की अनुमति नहीं मिल पा रही है, जबकि इनकी जांच पूरी हो चुकी है, मात्र सामान्‍य प्रशासन विभाग को हरी झंडी देनी है। इसी प्रकार राज्‍य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी विवेक सिंह, जीआर पाटीदार, आरसी चुघ, आरके श्रीवास्‍तव, आरपी गेहलोत, जेएस धु्र्वे, विनय निगम, एचसी सोनी, चंद्रमोली शुक्‍ला की जांचे फाइलों में चल रही है, जबकि राप्रसे के अधिकारी शरद शुक्‍ला, प्रहलाद अमरचिया, आलोक श्रीवास्‍तव के मामले में राज्‍य सरकार अभियोजन की अनुमति नहीं दे रहा है। यह अनुमतियां लगातार किसी न किसी कारण से टाली जा रही हैं। 
और भी आईएएस अफसर जांच के घेरे में : 
         मध्‍यप्रदेश में एक दर्जन से अधिक आईएएस अफसर जांचों के घेरे में हैं जिनकी किसी न किसी मामले में जांच चल रही है। ऐसे अधिकारियों में अंजू सिंह बघेल, एलके द्विवेदी, यूके सामल, एसएस अली, एमके अग्रवाल, एसआर मोहंती, अजय आचार्य, एम गोपाल रेड्डी, पी नरहरि, एसके मिश्रा, शिखा दुबे, निकुंज श्रीवास्‍तव, निशांत बरवड़े, एम सैलवेंद्रम, आशीष श्रीवास्‍तव, एसपी गुप्‍ता, एचएल द्विवेदी, एस दुबे, संजय गोयल, शिव शेखर शुक्‍ला, प्रमोद अग्रवाल, राकेश गुप्‍ता, एसके पाल, विजय सिंह सिगोरिया व शैलेंद्र सिंह शामिल हैं। इनमें कई आईएएस अफसर सेवानिवृत्‍त हो चुके हैं, लेकिन फिर भी इन अफसरों की जांच तो चल ही रही है। अब अधिकारी भले ही अपने आपको पाक-साफ कहें, लेकिन उनकी जांच किसी न किसी कारण से फाइलों के चक्रव्‍यूह में उलझी हुई है। 
                                 ''मध्‍यप्रदेश की जय हो'' 

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