मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

कानून व्‍यवस्‍था इसलिए पटरी से उतर रही है मध्‍यप्रदेश में

          राज्‍य में ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता है जब कोई बड़ा अपराध न होता हो। हर तरफ से यह स्‍वर गूंज रहा है कि अपराध क्‍यों बढ़ रहे हैं। मध्‍यप्रदेश को शांति का टापू कहा जाता था, लेकिन अब अपराधियों के हौंसले इस कदर बढ़ गये हैं कि दिन दहाड़े अपराध करने में उन्‍हें कोई हिचक नहीं हो रही है। प्रदेश के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्‍ता कहते हैं कि संगठित अपराध पर काबू पा लिया गया है जिसमें नक्‍सलवाद का सिर नहीं उठने दिया, सिमी का नेटवर्क खत्‍म कर दिया, डाकुओ को ढेर कर दिया और तस्‍करी पर रोक लगा देने सहित आदि शामिल हैं। इन संगठित अपराधों का कहर कभी कभी नजर आ जाता है, लेकिन जो रोजाना के अपराध हो रहे हैं उन पर तो किसी भी स्‍तर पर कोई काबू नहीं पाया जा रहा है। हर दिन प्रदेश में हत्‍या, लूट, अपहरण, बलात्‍कार, चोरिया, धमकी जैसे अपराध आम बात होते जा रहे हैं। अब तो अपराधी इस कदर बैखौफ हो गये हैं कि वे किसी को भी क्रूर ढंग से मारने के लिए तैयार रहते हैं। हाल ही में जबलपुर में एक विकलांग व्‍यक्ति को कार से बांधकर दूर तक घसीटा गया, जबकि इससे पहले सीहोर में ऐसी घटना 2011 में घट चुकी है। इसके साथ ही सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर फर्से से हाथ काटने की घटनाएं हुई। ऐसी जघन्‍य अपराध कई हो रहे हैं। मध्‍यप्रदेश की पुलिस के पास जांच करने की टीम का बेहद अभाव है। न तो पुलिस उन अपराधों को गंभीरता से ले रही है और न ही इस दिशा में विचार हो रहा है कि आखिरकार अपराध बढ़ क्‍यों रहे हैं। पुलिस सुबह से दोपहर तक सड़कों पर हैलमेट की चैकिंग अथवा कारो में काले कांच लगे हैं अथवा नहीं इस चैकिंग में ही उलझी हुई है। उनकी उन तथ्‍यों पर नजर ही नहीं है, जो कि अपराध करके भाग रहे हैं। आखिरकार पुलिस इस हैलमेट की जांच से मुक्‍त होती है, तो वीआईपी ड्यूटी में लग जाती है और थोड़ा बहुत समय बचा तो बाजारों में खाकी बर्दी का गुरूर दिखाने में जुटी रहती है, तो अपराधियों का बेखौफ होना स्‍वाभाविक है। अभी भी मध्‍यप्रदेश में हालात बिगड़े नहीं है। अगर ठीक से ध्‍यान दिया जाये तो निश्चित रूप से कोई न कोई रास्‍ता निकल ही आयेगा और अपराधियों पर अंकुश लग सकता है। 
                                 ''मध्‍यप्रदेश की जय हो''

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