रिश्ते-नाते पूरी तरह ध्वस्त हो रहे हैं। न तो मान-मर्यादा बची है और न ही सम्मान बचा है। हर तरफ रिश्ते तार-तार हो रहे हैं। परिवार बुरी तरह बिखर रहे हैं। पैसे की चकाचौंध में लोग इस कदर अंधे हो गये हैं कि उन्हें न तो भाई का ख्याल है और न ही बेटे का। इसके चलते हर तरफ रिश्ते टूटते ही जा रहे हैं। दुखद पहलू यह है कि इस दिशा में न तो समाज की कोई चिंता है और न ही कोई चिंतित हो रहा है। यहां तक कि समाज वैज्ञानिक भी चुप है। इसके चलते रिश्तों की अहमियत भी दिनों दिन खत्म हो रही है। यह स्थिति मध्यप्रदेश में और तेजी से पनपती जा रही है। पैसे की खातिर बाप-बेटे की हत्या कर रहा है, बेटा बाप की हत्या कर रहा है। जमीनों के लिए बेटा भाई को मार रहा है, बाप बेटी के साथ बलात्कार कर रहा है। पैसे की खातिर पति पत्नी की हत्या कर रहा है, तो पत्नी पति की हत्या करने में कोई कौर कसर नहीं कर रही है। ऐसे मामले लगातार बढ़ रह हैं। 24 दिसंबर, 2012 को भोपाल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। जब कपड़े के व्यापारी रमेश अग्रवाल ने अपने पुत्र की 2 लाख की सुपारी देकर हत्या करवा दी। यह हत्या भी उसने अपने मुनीम और नौकरों के जरिये करवाई थी। इस हत्या के पीछे कारण यह है कि पिता रमेश अग्रवाल को उसका पुत्र अजय बार-बार पैसे की मांग करता था और जब पैसा नहीं मिलता था, तो अपने पिता को सबके सामने मारपीट करता था। यहां तक कि घर पर और दुकान में मारने में भी देरी नहीं करता था। इसके चलते एक दिन तो हद हो गई, जब 16 दिसंबर को अजय ने अपने पिता के साथ पहले मारपीट की और धमकी दी कि भविष्य में उसकी हत्या कर देगा। बस इसके चलते ही पिता अग्रवाल को भीतर ही भीतर क्रोध आ गया और उसने अपने बेटे की हत्या करने के लिए दो लाख की सुपारी दे दी, जिसके फलस्वरूप 17 दिसंबर को मुनीम उत्तमचंद्र ने नौकर मानसिंह के जरिये अजय सिंह की हत्या करा दी। हत्या का रहस्य खुलने के बाद पिता अग्रवाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और उसके चेहरे पर कोई सिकन नहीं है। ऐसा लगता है कि उसको बेटे की मौत का अफसोस भी नहीं है, क्योंकि बेटा तो लगातार रिश्तों को तोड़ ही रहा था, तब पिता ने एक कदम आगे बढ़कर सारे रास्ते ही बंद कर दिये। इन घटनाओं से कोई सबक लेने को तैयार नहीं हैं। लगातार ऐसी वारदाते हो रही हैं। समाजशास्त्री इन पर अध्ययन कर रहे हैं या नहीं इसका भी खुलासा नहीं हो रहा है।
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