मध्यप्रदेश में खजुराहो के मंदिरों का ऐतिहासिक महत्व है। इन मंदिरों को पर्यटक अपने-अपने नजरिये से देखने पहुंच रहे हैं। लगातार उन पर अध्ययन और रिसर्च हो रहा है। मंदिरों के ऊपर से विमानों की आवाजाही ने मंदिरों के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिये हैं। जब विमान मंदिरों के ऊपर से उड़ते हैं तो मंदिरों में कंपन होती है जिसके चलते मंदिरों में दरारे भी पड़ गई है। पुरातत्व विशेषज्ञ बार-बार केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस संबंध में चिंता जाहिर कर चुके हैं। तब भी किसी को कोई परवाह नहीं है। यही आलम रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब खजुराहो के मंदिरों का अस्तित्व संकट में आ जायेगा। 1000 साल से भी अधिक पुराने इन मंदिरों में आई दरारे बताती है कि कंपन का असर कितना खतरनाक होता जा रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कई बार भारतीय विमानन प्राधिकरण से इसकी लिखित में शिकायत कर चुका है। इन शिकायतों में कहा गया है कि खजुराहो के मंदिरों में आई दरारों का मुख्य कारण वायुमंडलीय परिवर्तन के साथ-साथ हवाई उड़ानों का कंपन भी मंदिरों को हानि पहुंचा रहा है। 30 सितंबर, 2006 में मंदिरों के ऊपर से विमान न उड़ाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया, लेकिन किसी ने भी इस संबंध में ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि खजुराहो हवाई अड्डे पर जब विमान उतरते हैं, तब भी मंदिरों पर कंपन का प्रतिकूल असर पड़ता है।
विशेषकर नंदी और विश्वनाथ मंदिर में इसका असर साफ तौर पर देखा जा सकता है। विश्वनाथ मंदिर के पत्थर में तो दरारें इस बात का सबूत भी हैं। तब भी हवाई उड़ानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अक्सर देखा गया है कि जब विमान चालक विमान को उतारते समय 200 से 250 मीटर तक नीचे ले आते हैं जिससे मंदिरों के जोड़ कंपन से दरारों का रूप ले लेते हैं। इस संबंध में नेशनल फिजिकल लेबोरिटी नई दिल्ली ने जारी अपनी रिपोर्ट में आशंका जाहिर की है कि मंदिरों में दरार पड़ने और पत्थर खिसकने से कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। साथ ही ऐतिहासिक महत्व के मंदिर नष्ट भी हो सकते हैं। इस पर केंद्र सरकार को कोई चिंता नहीं है और न ही राज्य सरकार इस संबंध में केंद्र की तरफ ध्यान आकर्षित कराना चाहती है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि पुरातत्व विभाग और पर्यटन विभाग भी कोई ऐसी पहल नहीं कर रहा है जिससे मंदिरों के बजूद पर आ रहे संकटों को दूर किया जा सकें। राजनेताओं और मंत्रियों को इसकी परवाह इसलिए नहीं है कि वहां उनका कोई वोट बैंक नहीं है। पर्यटन विभाग अपनी आय बढ़ाने में लगा हुआ है उसे भी कोई चिंता नहीं है। सिर्फ खजुराहो के चुनिंदा पत्रकार समय-समय पर अखबारों के जरिये अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं। अब इन मंदिरों का क्या होगा इसके लिए तो भगवान ही मालिक है।
''मध्यप्रदेश की जय हो''
really this conditions is going since last 25 years but no one try to look after.....
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