धीरे-धीरे मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता आपसी गुटबाजी और विवादों से बाहर निकल कर अब फिर से राज्य में सरकार बनाने के लिए बेताब नजर आते हैं। वे बार-बार कार्यकर्ताओं से गुहार कर रहे हैं कि अब आपसी लड़ाईयां छोड़ो और सरकार बनाने की जंग में शामिल हो। यही भाव 2 दिसंबर, 2012 को कटनी जिले में किसान महासम्मेलन में भी एक बार फिर नेताओं ने जाहिर किया। लंबे समय बाद किसानों के बीच ही सभा कांग्रेस ने की है इस मौके पर केंद्रीय मंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को छोड़कर सारे नेता एक साथ मंच पर थे। इन नेताओं ने किसानों की समस्याओं और जमीन अधिग्रहण को लेकर अपना-अपना विरोध दर्ज कराया। यह आंदोलन को कामयाब बनाने में कटनी के विधायक संजय पाठक ने अहम भूमिका अदा की है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रदेश की भाजपा सरकार के छलावों और झूठे वादों पर आक्रमक हमले किये। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में केंद्रीय योजनाओं का लाभ आम जनता को नहीं मिल रहा है, क्योंकि मध्यप्रदेश में कालाबाजारी चरम पर है। भाजपा नेताओं और दलालों की जेब में कमीशन जा रहा है। अब ऐसे नेताओं की रोजी रोटी छिनने वाली है। केंद्र सरकार ने कैश सब्सिडी योजना के जरिये खाते में पैसा दिया जायेगा। सरकार के वादों को याद दिलाते हुए सिंह ने कहा कि 2003 में भाजपा ने जनता से वादा किया था कि हमारी सरकार चुनो और 100 दिन के अंदर बिजली लो, सड़के हीरोइन के गालो की तरह बना देंगे, लेकिन पिछले आठ सालों में न तो सड़के ठीक से बनी और न ही बिजली समय पर मिल रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने भी संघ पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जो भी
जमीने अधिग्रहीत की जा रही है वह संघ परिवार को दी जायेगी। इस पर कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी, तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने कहा कि भाजपा के लोग रावण की जात के हैं और इनके दस मुख हैं। प्रदेश की सारी योजनाएं कागजों पर चल रही है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि अब बयानबाजी से काम नहीं चलेगी, बल्कि कुछ परिणाम जनता को मिलना ही चाहिए। भाजपा इस आंदोलन को विफल मान रही है। महाकौशल अंचल के जबलपुर संसदीय क्षेत्र के भाजपा सांसद राकेश सिंह ने तो साफ तौर पर कहा है कि किसानों का आंदोलन पूरी तरह से असफल रहा है। गिनती के किसान ही सम्मेलन में शामिल हुए। किसानों को लेकर इन दिनों राज्य में खूब हल्ला मच रहा है। कांग्रेस भाजपा तो अपने-अपने राजनैतिक नजरिये से किसानों को फोकस कर रही है। किसानों से जुड़े संगठन भी समय-समय पर आंदोलन कर रहे हैं यानि किसान इन दिनों केंद्र बिन्दु बनकर उभर रहा है। किसानों की समस्याएं दिनों-दिन गंभीर होती जा रही हैं। किसानों को आज भी मप्र में अपने उत्पादनों का बाजिव मूल्य नहीं मिल रहा है, न ही समय पर खाद्य-बीज नसीब हो रहा । बिजली के लिए तो किसान तरस ही रहा है। किसानों की दुर्दशा पर आंसू तो बहाये जा रहे हैं पर मरहम लगाने का काम कोई नहीं कर रहा है।
''मध्यप्रदेश की जय हो''
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