शनिवार, 15 दिसंबर 2012

मध्‍यप्रदेश के आईएएस अफसर और तीन पी पर जोर

               यूं तो मध्‍यप्रदेश के आईएएस अफसरों की कार्यशैली अन्‍य राज्‍यों से इतर है। यहां पर अफसरों के खिलाफ विरोध के स्‍वर कभी-कभार ही उठते हैं। उनके विरूद्व आर्थिक अनियमितताओं की शिकायतों पर कार्यवाही में अक्‍सर देरी होती है। कई अफसरों के तो राजनेताओं से ऐसे गहरे निकट के संबंध हैं कि उनके खिलाफ तो पता भी नहीं खटकता। अब धीरे-धीरे आईएएस अफसरों के खिलाफ लोग मुखर हो रहे हैं। जनप्रतिनिधि के साथ-साथ मीडिया में भी तेजी से उन पर सवाल किये जाने लगे हैं। राज्‍य में दक्षिण भारत, पंजाबी लॉबी और उत्‍तर भारत की लॉबी के बीच अधिकारी बंटे हुए हैं जिसके फलस्‍वरूप सब अपने-अपने हिसाब से गुणा-भाग में लगे रहते हैं। यूं तो आईएएस अधिकारियों के बीच इस कदर आपसी तालमेल है कि एक-दूसरे के विरूद्व कम ही बोलते हैं। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब भी आईएएस अफसरों के बीच होते हैं, तो उन्‍हें कोई न कोई सीख दे ही देते हैं। 14 दिसंबर को मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर प्रदेशभर के आईएएस अफसरों के बीच पहुंचे और उन्‍हें अपनी कार्यशैली बदलने पर जोर दिया। मुख्‍यमंत्री ने अफसरों को ''तीन पी'' का मंत्र दिया। तीन पी का यूं पालन करें - 
  1. पब्लिक - हमेशा जनता से संवाद रखे 
  2. पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव - जनता के बीच घूमे 
  3. प्रेस - प्रेस के जरिये अपनी बात रखे। 
         ऐसा नहीं है कि मुख्‍यमंत्री पहली बार अधिकारियों को लोगों से संवाद करने की बात कर रहे हैं। इससे पहले भी कई बार अधिकारियों के व्‍यवहार में परिवर्तन पर जोर दे चुके हैं। ऐसी क्‍या वजह है कि अधिकारियों ने अभी भी अपनी कार्यशैली नहीं बदली है, वे लगातार अपने हिसाब से काम कर रहे हैं। मंत्रालय में ही कई अफसर ऐसे हैं, जो कि इन ''तीन पी'' का पालन नहीं करते हैं, वे न तो जनता से मिलते हैं और न ही मीडिया से। इसकी जानकारी मुख्‍यमंत्री को भी है फिर भी अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं होती। अधिकारियों की कार्यशैली पर मुख्‍यमंत्री ने तीखा व्‍यंग करते हुए कहा कि प्रदेश में कुछ आईएएस अफसर ऐसे हैं, जो कि खूब काम करते हैं और वे किसी से संबंध नहीं बनाते और कुछ ऐसे भी अफसर है जो कि वे केवल यश सर करते हैं और सबको खुश रखते हैं, आगे-पीछे भी घूमते हैं पर काम नहीं करते हैं, जबकि ऐसे अफसरों की संख्‍या भी काफी है, जो कि खूब काम करते हैं और सभी से संबंध बनाकर रखते हैं। इसलिए सबसे बेहतर रास्‍ता यही है कि खूब काम करों और सबको सम्‍मान भी दो पर साथ ही काम करने के अलावा गड़बड़ी न हो इसका भी ध्‍यान रखा जाये, क्‍योंकि बेईमानी कभी छुपती नहीं है। कागज में योजनाएं कुछ और बनती है तथा फील्‍ड में परिस्थितियां कुछ और होती है। अत: इस बात पर ध्‍यान रखा जाये कि जो योजनाएं कागज पर बने वह जमीन पर भी उतरें। ऐसा कई योजनाओं के बारे में खुलासा हो चुका है कि वह फाइलों में तो खूबसूरत होती है पर धारातल पर उसका अता-पता नहीं होता। 
           मध्‍यप्रदेश के आईएएस अधिकारियों के व्‍यवहार और कामकाज को लेकर खूब चर्चाएं होती है, लेकिन परिवर्तन कहां और कैसे हो रहा है इस पर किसी भी स्‍तर पर कोई मॉनिटरिंग नहीं होती है। यही वजह है कि जो वातावरण बन चुका है वह यथावत बना रहा है उसमें परिवर्तन की तरफ कोई ध्‍यान नहीं देता है। बातें खूब होती है पर काम उतने नहीं होते हैं जितना कि होना चाहिए। 
                                       ''मध्‍यप्रदेश की जय हो''

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