यूं तो प्रदेश में सड़कों की बदहाली और बिजली की आंख मिचौली से आम आदमी परेशान है ही। राज्य के किसी भी हिस्से में चले जाईये, सड़कों पर गहरे-गहरे गड्डों का सामना करना पड़ेगा, तो कहीं चलने लायक सड़क बची ही नहीं। बिजली की आंख मिचौली तो और भी सिरदर्द बनती जा रही है। कब बिजली चली जाये, किसी को पता ही नहीं चलता। गांव का किसान सिंचाई के लिए बिजली मांगता है, तो उसे इंजीनियर आंख दिखाता है। मध्यप्रदेश का सत्तारूढ़ दल भाजपा के विधायक भी सड़कों की बदतर स्थिति से परेशान होने लगे हैं और अपनी पीड़ा मुख्यमंत्री के सामने जाहिर भी करने लगे हैं। हालत यह हो गई है कि अब विधायकों ने विधायक दल की बैठक में यह कहना शुरू कर दिया है कि आगामी चुनाव में सड़क, बिजली की बदहाली भारी पड़ सकती है। 13 दिसंबर, 2012 को विधानसभा सत्र के अंतिम दिन विधायक दल की बैठक में विभिन्न समस्याओं के स्वर गूंजे। विधायकों ने खुलकर कहा कि चुनाव में कांग्रेस सड़कों को मुद्दा बना सकती है, इसलिए इसकी तरफ विशेष रूप से ध्यान दें अन्यथा भविष्य में मैदानी मोर्चा संभालना मुश्किल हो जायेगा। मुख्यमंत्री ने बार-बार विधायकों को समझाने की कोशिश की कि सड़कों की मरम्मत का काम व्यापक स्तर पर चल रहा है। किसी प्रकार की चिंता न करें। इसी के साथ ही मुख्यमंत्री की विकास यात्राओं को लेकर भी सवाल खड़े किये गये कि पिछली यात्रा के दौरान जो समस्याएं जनता ने दी थी उसका अभी तक निराकरण नहीं हुआ। विधायकों ने साफ तौर पर यह भी कहा कि जनसुनवाई हर हाल में बंद कर देना चाहिए। क्षेत्र के लोग विधायकों की बजाय अपनी समस्याओं के उल्टे-सीधे आवेदन लेकर एसडीएम कार्यालय जाते हैं। अधिकारी भी मनमाने निर्णय कर सरकार की बदनामी करते हैं। इस पर फिलहाल तो मुख्यमंत्री ने कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन इस बहाने जनसुनवाई पर सवाल तो खड़े हो गये। कर्मचारियों का मुद्दा भी उठा जिस पर मुख्यमंत्री ने साफतौर पर कहा कि कर्मचारी न तो चुनाव जिताता है और न ही चुनाव हराने का माददा है। इसलिए विधायकों को ईमानदारी और परिश्रम एवं पब्लिक ईमेज के आधार पर अपनी तैयारियों में जुट जाये। चार साल में किये गये कामकाज का जमकर प्रचार-प्रसार करें। लोक निर्माण मंत्री नागेंद्र सिंह के इस सुझाव पर विधायकों ने आपत्ति की कि चौराहों पर सरकार की खामियां न गिनाई जाये, बल्कि पार्टी फोरम पर चर्चा की जाये। इसके साथ ही विधायकों ने यह भी कहा कि मंत्री लोग न तो बंगले पर मिलते हैं और न ही मोबाइल पर बात हो पाती है।
ये समस्याएं और गिनाई :
- बिजली सप्लाई का शेड्यूल बदला जाये
- विधायकों की सिफारिश पर ट्रांसफार्मर बदले
- दो-दो माह में नहीं बदले जा रहे ट्रांसफार्मर
- शहरी झुग्गियों की समस्याएं सुलझाई जाये
- अवैध कॉलोनियों का निराकरण हो
- विधायक निधि 77 लाख से बढ़ाकर दो करोड़ की जाये
- बलराम तालाब और कपिल धारा कुएं की मंजूरी में दिक्कतें दूर हों
- जनसुनवाई हर हाल में बंद हो
- कर्ज मांफी को कांग्रेस मुद्दा बनायेगी
- सीएम की घोषणाएं थोती साबित हो रही हैं
- सड़कों की स्थिति सुधर नहीं पा रही है, क्यों
- विधायक भी करें पदयात्रा और दौरे
- चौराहों पर समस्याएं नहीं गिनाये विधायक
- सहकारिता चुनाव में जीत के लिए प्रयास करें
- कर्मचारियों और अधिकारियों पर ज्यादा निर्भर न रहे।
- प्रत्येक विधायक से सोमवार-मंगलवार को मिलूंगा
- 15 दिसंबर के बाद नेशनल हाईवे की लड़ाई शुरू की जायेगी
- कांग्रेस कार्यकर्ता भी कह रहे हैं कि तीसरी बार सरकार बनेगी
- किसान, मजदूर, युवा, कारीगर की पंचायत का आयोजन होगा
- हर वर्ग को लुभाने के प्रयास करेंगे
- कर्मचारियों के भरोसे कोई काम न करें
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