सोमवार, 10 दिसंबर 2012

दूरिया क्‍या कम हो गई दिग्विजय और सिंधिया में

        मध्‍यप्रदेश की कांग्रेस राजनीति गुटबाजी के लिए बदनाम है। यहां के नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करने में महारथ हासिल कर चुके हैं। प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्‍व पर सवाल उठाने में उन्‍हें मजा आता है। कांग्रेस की राजनीति की धुरी दिग्विजय सिंह और केंद्रीय राज्‍यमंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के बीच लंबे समय से दूरिया बनी हुई हैं पर ऐसा लगता है कि अब यह दूरिया धीरे-धीरे कम हो रही हैं। इसकी वजह बना गुना का जिला कांग्रेस कार्यालय का उदघाटन समारोह। 09 दिसंबर, 2012 को इस कार्यक्रम से पहले गुना में दिग्विजय सिंह उस स्‍थान पर हार लेकर पहुंच गये, जहां से सिंधिया को प्रवेश करना था। जब दिग्विजय हाथ में हार लिये सिंधिया की तरफ बढ़े तो सिंधिया ने हार पहनने के लिए ना-नकूर किया पर दिग्विजय सिंह ने हार पहना ही दिया, जहां पर सिंधिया कहां पीछे रहने वाले थे, उन्‍होंने भी दिग्विजय सिंह को अपना हार पहना दिया। इस पर दोनों गले मिलकर जमकर हंसे और समर्थकों ने तालियां पीटी। यहां दिलचस्‍प यह है कि वर्ष 2006 में सिंधिया और दिग्विजय सिंह के खिलाफ जमकर तनातनी थी, दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ अपनी-अपनी म्‍यान से तलवार निकाल ली थी और बयानों के जरिये हमले किये जा रहे थे। अब दिग्विजय और सिंधिया की निकटता यह जाहिर कर रही है कि कहीं न कहीं दोस्‍ती की खिचड़ी पक रही है। जब मंच पर दोनों नेता भाषण देने खड़े हुए तो फिर तारीफों के पुल बांधे जाने लगे। सिंधिया ने कहा कि संकट की घड़ी में दिग्विजय सिंह ने  साथ दिया, वे उन्‍हें पिता तुल्‍य मानते हैं, इसलिए बेहद आदर करते हैं। उनके बीच सोच-विचार में मतभेद हो जाते हैं, लेकिन वे उनके लिए आदरणीय है, जिसके जवाब में दिग्विजय सिंह ने कहा कि सिंधिया मेरे पुत्र जैसे हैं, उन्‍होंने कहा कि जोड़ने से मजबूती मिलती है, तोड़ने से नहीं। हमारा अंतर्विरोध तब तक है, जब तक टिकट नहीं मिल जाता। टिकट मिलने के बाद कोई विरोध नहीं। गुना में 55 लाख की लागत से कांग्रेस भवन बना है। इस पर प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष भूरिया ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में भवन बनाये जायेंगे। निश्चित रूप से दिग्विजय सिंह और सिंधिया में अगर निकटता होती है, तो आगामी चुनाव में इसका लाभ होगा। लंबे समय से देखा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह अपने विरोधियों को गले तत्‍काल लगा रहे हैं, फिर चाहे वे कोई भी हों, उन्‍हें अब आगामी चुनाव में किसी भी प्रकार का विरोधी तेवर नहीं चाहिए। कांग्रेस की राजनीति में इस बदलाव का कितना असर होगा, यह तो वक्‍त ही बतायेगा, लेकिन फिलहाल माहौल बनाने की एक छोटी कोशिश तो हो ही रही है। यह सिलसिला लगातार चलता रहे तब बात बनेगी। 
                                     ''मध्‍यप्रदेश की जय हो''

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