शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

मध्‍यप्रदेश में कलेक्‍टर-एसपी भी सुरक्षित नहीं

        मध्‍यप्रदेश में कलेक्‍टर और एसपी भी सुरक्षित नहीं है, तो फिरअगर आम आदमी की जानमाल का क्‍या होगा। यह एक गंभीर सवाल  है। यह सवाल कोई एक घटना से सामने नहीं आ रहा है, बल्कि बार-बार प्रशासन के मुखिया पर हमला होने की घटनाएं हो रही है, तो फिर विचार तो करना ही पड़ेगा। खनिज माफिया, वन माफिय, शराब  माफिया, परिवहन माफिया और शिक्षा माफिया के निशाने  पर अधिकारी/कर्मचारी आ रहे हैं। मार्च 2011 में आईपीएस अफसर नरेंद्र कुमार की मुरैना में त्‍या हो चुकी है। इसमें भू-माफिया की भूमिका देखी गई थी। सीबीआई पूरे मामले की जांच कर रही है। इसके बाद भी अधिकारी/कर्मचारियों पर माफिया बार-बार हमला कर रहा है और न तो सरकार की नींद खुली है और न ही इस पर गंभीरता से विचार हुआ है। इसके चलते माफिया लगातार दुस्‍साहस करने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहा है। 20 दिसंबर को मंडी चुनाव के दौरान मुरैना में फिर से कलेक्‍टर डीडी अग्रवाल और एसपी जयदेव पर हमला किया गया। वे जान बचाकर अगर नहीं भागते तो कोई भी अनहोनी घटना घट सकती थी। मुरैना-भिंड में दो दर्जन पोलिंग बूथ पर फायरिंग और लूटपाट की घटना हुई है। आश्‍चर्य तो यह होता है कि जिस मुरैना में एसपी नरेंद्र कुमार की हत्‍या हुई थी उसके बाद भी प्रशासन क्‍या सजग नहीं हुआ और क्‍या ऐसे लोगों को चिन्हित क्‍यों नहीं किया जा रहा है, जो बार-बार प्रशासन पर ही हमला कर रहे हैं। आखिरकार हम किसके इशारे पर हम मूकदर्शक बने बैठे हैं इसका खुलासा होना चाहिए। मुरैना में मंडी चुनाव के दौरान कलेक्‍टर अग्रवाल और एसपी जयदेव तथा पुलिस कर्मियों को घेरकर फायरिंग की गई। इन सभी को जान बचाकर भागना पड़ा फिर भले ही कलेक्‍टर ने चुनाव रद्द कर दिया है, लेकिन आखिरकार अपराधियों के हौंसले तो बुलंद हो ही रहे हैं कि वे किस स्‍तर पर उतर आये हैं। अगर प्रशासन के मुखिया असुरक्षित होंगे तो फिर कैसे काम होगा यह आसानी से समझा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन के मुखिया पर पहली बार हमला हुआ हो, हल्‍की फुल्‍की घटनाएं तो खूब हो रही हैं। कई बार खनिज माफिया ने डिप्‍टी कलेक्‍टरों पर ट्रक भी चढ़ाकर मारने की कोशिश की है, तो जंगल माफिया ने लकड़ी काटने को लेकर मना करने पर रेंजरों पर प्राण घातक हमले किये हैं। माफिया धीरे-धीरे मप्र में पैर जमा रहा है और शासन प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है। इस समस्‍या पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत तो है, अन्‍यथा वह दिन दूर नहीं है, जब बिहार, यूपी के तरह कलेक्‍टर और एसपी भी सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो फिर आम आदमी का तो भगवान ही मालिक है।
                                      ''मप्र की जय हो''   


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