धीरे-धीरे मध्यप्रदेश से पक्षियों की संख्या घटती जा रही है। कई प्रजातियां तो समाप्त सी हो गई हैं। इस दिशा में वन विभाग की वन्यप्राणी इकाई विचार तक नहीं कर रही है और न ही पक्षियों को संरक्षित करने की कोई योजना है। इसके चलते राज्य से पक्षी लगातार कम हो रहे हैं। यूं तो हर साल सर्दी के मौसम में प्रवासी पक्षी नदियों के किनारे आते हैं और अगर उन्हें अपने अनुकूल माहौल मिलता है, तो वह ढेरा भी जमा लेते हैं। इन प्रवासी पक्षियों को पर्याप्त संरक्षण देने में वन विभाग की कोई रूचि नहीं है। इस साल दिसंबर महीने की शुरूआत के साथ ही भोपाल की बड़ी झील के किनारे तथा आसपास की नदियों और तालाबों पर प्रवासी पक्षियों ने ढेरा जमाना शुरू कर दिया है। उनके शोरगुल और आवागमन से झील का किनारा धीरे-धीरे गुलजार हो रहा है।
''जय हो मप्र की''
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