अक्सर भाजपा और संघ परिवार से जुडे राष्ट्र भक्त अपने आपको गाय बताने में कोई कौर कसर नहीं छोडते हैं। गाय को मां से भी उपर दर्जा मानने वाली भाजपा सरकार ने गाय और गौशाला की अनदेखी होने पर बार-बार यह सवाल उठता है कि मध्यप्रदेश में गाय प्रेम कही धोखा तो साबित नहीं हो रहा है। वर्ष 2003में पहली बार मुख्यमंत्री बनी साधवी उमा भारती ने गाय को राज्य का पवित्र पशु घोषित करने एलान किया था और इसके लिए एक सदस्यीय कमेटी तत्कालीन मुख्य सचिव बी0के0शाह की अध्यक्षता में बनी थी,इस कमेटी ने उत्तर प्रदेश की कई गौशालाओं का दौरा करने के बाद मध्यप्रदेश को आदर्श गौशालाएं बनाने का प्रोजेक्ट कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया था इसी के साथ ही गाय को राज्य का पवित्र पशु घोषित करने का प्रस्ताव भी रखा था। यह मामला सात साल बाद भी जस का तस है। वही गौशालाओं की हालत भी कोई बेहतर नहीं हो पाई है। स्वदेशी आंदोलन के कभी अगुवा रहे गोविंदाचार्य ने भी गौमाता आधारित उत्पाद पर एक बडी रिपोर्ट तैयार कर मध्यप्रदेश सरकार को सौंपी थी इस दिशा में भी कोई पहल अभी तक नजर नहीं आ रही है। गौशालाओं पर प्रतिवर्ष करीब 18करोड रूपये राज्य की 1,115गौशालाओं पर खर्च हो रहे हैं, लेकिन इन गौशालाओं में 9 हजार से अधिक गौ वंश की उपलब्धता के बाद भी गोबर से खाद बनाने का कार्य एक कदम आगे नहीं बढा है। गौ वंश के संवर्धन और गौ आधारित उत्पादों को बढावा देने में उल्लेख कार्य नहीं हो रहे हैं। कागजों पर योजनाएं बन रही है,लेकिन कोई खास उपलब्धियां अभी तक सामने नहीं आ पाई हैं। यह सच है कि मालवा अंचल में गौशाला के माध्यम से गाय की सेवा करने का अनूंठा कार्य किया जा रहा है। दुखद पहलू तो यह है कि मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों से बूढी गाय और बेलों की तस्करी भी हो रही है।
वैसे तो राष्ट्रीय स्वयं सेवकसंघ हर साल दशहरा पर्व पर ही पथ संचलन करता रहा है,लेकिन अब मध्यप्रदेश में यह परंपरा लगातार टूट रही है। संघ परिवार ने 2010में हथियारों की पूजा के दौरान एक स्वयंसेवक की मौत होने के बाद यह तय किया था कि पथ संचलन में हथियारों का उपयोग नहीं किया जायेगा। इस मामले में संघ अपनी बात पर कायम है। पथ संचलन में कही भी हथियारों का उपयोग नहीं किया जा रहा है यह एक अच्छा शुभ संकेत है। संघ परिवार का पथ संचलन अब कभी भी कही भी होने पर सवाल उठने लगे हैं,लेकिन प्रदेश में सरकार भाजपा की है,तो फिर पथ संचलन करने से कौन रोक सकता है। संघ परिवार तो गांधी जयंती पर भी पथ संचलन निकाल चुका है यानि अब यह हो गया है कि संघ परिवार की जब इच्छा होगी तब संघ परिवार कही भी पथ संचलन कर सकता है। संघ परिवार के एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि पथ संचलन निकालने के लिए कोई दिन और समय तय नहीं है। *जय हो मध्यप्रदेश की*
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