मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के सात साल के सफर में पहली बार विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है। इससे पहले प्रयास हुए,लेकिन विपक्ष कामयाब नहीं हुआ। अब विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह ने अपनी नियुक्ति के बाद पहली पत्रकार वार्ता में एलान किया था कि भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लायेंगे। यह सच है कि सरकार के खिलाफ आने वाले अविश्वास प्रस्ताव से न तो सरकार गिरेगी और न ही कोई संकट आयेगा,बल्कि विपक्ष सिर्फ आरोप प्रत्यारोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करेंगा। 21नवंबर से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। इसके बाद ही नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह अविश्वास प्रस्ताव की सूचना विधानसभा को देंगे। कांग्रेस की आपसी रस्सा-कस्सी के चलते बीच में यह बात बाहर आई थी कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर संशय का वातावरण बना हुआ है,लेकिन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में साफ कर दिया कि अविश्वास प्रस्ताव तो हर हाल में आयेगा इसको लेकर कोई भ्रम नहीं है। विपक्ष की झोली में सरकार को घेरने के लिए एक नहीं कई मुददो की भरमार है जिसमें मंत्रियों के भ्रष्टाचार,मुख्यमंत्री पर निशाने,सरकारी कामकाज में फैलता भ्रष्टाचार,खाद-बीज का संकट,किसानों द्वारा आत्महत्या करना,ध्वस्त कानून व्यवस्था सहित आदि मुददे हैं। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को विश्वास है कि सरकार के खिलाफ सदन में पूरी ताकत से मुददे उठाये जायेंगे और उम्मीद की जायेगी की सरकार उनका सिलसिलेवार जवाब दें। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के प्रयास है कि सरकार को हर मोर्चे पर घेरा जाये, विपक्ष की तैयारियों के बीच सरकार ने भी अब अपने स्तर पर विपक्ष को जवाब देने के लिए सरकारी मशीनरी को सक्रिय कर दिया है। नौकरशाही उन मुददो को तलाश रही है,जिस पर विपक्ष को घेरा जाये। इसके चलते मंत्रालय में चुनिंदा अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। वही दूसरी ओर विपक्ष के नेता अजय सिंह ने भी अविश्वास प्रस्ताव तैयार करने के लिए तैयारियां तेज कर दी है, वे लगातार विधायकों की बैठकें कर रहे हैं। अब 14 नवंबर को फिर विधायक दल की बैठक होंगी जिसमें अविश्वास प्रस्ताव के मुददे तय होंगे। कुल मिलाकर पहली बार अविश्वास प्रस्ताव भाजपा सरकार के खिलाफ आ रहा है तो इसको लेकर सरकार,राजनेतिक दल और मीडिया में अलग-अलग तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
अविश्वास प्रस्ताव और सरकार :
अमूमन अविश्वास प्रस्ताव से किसी भी सरकार पर कोई असर नहीं होता है। वर्ष 1993 से 2003 तक प्रदेश में दिग्विजय सिंह ने दस साल तक कांग्रेस की सरकार चलाई इस दौरान तीन विपक्ष के नेता रहे जिसमें विक्रम वर्मा, डॉ0 गौरीशंकर शेजवार और बाबूलाल गौर शामिल हैं। इन दस सालों के सफर में सिर्फ विक्रम वर्मा दो बार और डॉ0शेजवार एक बार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये थे जिस पर सरकार को घेरने के हर संभव प्रयास किये गये। अब फिर एक बार मध्यप्रदेश में 2003 से भाजपा राज कर रही है जिसके कार्यकाल में दो मुख्यमंत्री उमाभारती और बाबूलाल गौर बदले गये हैं और अब शिवराज सिंह चौहान राज्य का नेत़त्व कर रहे हैं। इन सात सालों में नेता प्रतिपक्ष रही जमुना देवी ने एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास किया था,लेकिन वह कामयाब नहीं पाई अब वर्तमान नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने एलान किया है,तो जबर्दस्त जिज्ञासा हर वर्ग में है देखना है वह कितने कामयाब हो पाते हैं।
मानसून सत्र नही शीतकालीन सत्र है
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