मंगलवार, 22 नवंबर 2011

मप्र में परीक्षा में फेल और प्रेम रोग होने पर सबसे ज्‍यादा विद्यार्थी लगा रहे हैं मौत को गले

        जहां एक ओर नौजवान पीढी नये कीर्तिमान गढ रही है और राज्‍य का नाम रोशन कर रही है,तो वही इस पीढी में ही एक ऐसा वर्ग भी है,जो निराशा और हताशा में आत्‍महत्‍या का मार्ग चुनकर मौत को गले लगा रहा है। पिछले दो सालों में परीक्षा में फेल होने और प्रेम प्रसंग में असफल होने पर 472 विद्यार्थियों ने अपनी जीवनलीला समाप्‍त कर ली। परिवार और चाहने वालों को रोता-विलखता छोड गये। लगातार इस बात पर अध्‍ययन नहीं हो रहा है कि यह मौत का ग्राफ क्‍यों बढ रहा है। मध्‍यप्रदेश की सरकार ने इस गंभीर विषय को अनदेखा किया हुआ है,न तो स्‍कूल शिक्षा विभाग और न ही ग्रह विभाग ऐसा कोई आकलन कर रहा है ताकि आने वाली पीढी बार-बार मौत को गले न लगाये। 21नवंबर को विधानसभा में कांग्रेस विधायक तुलसी सिलावट के एक लिखित जवाब में ग्रह विभाग ने बताया  कि वर्ष 2009 से अक्‍टूबर 2010 तक 472 विद्यार्थियों ने मौत को गले लगाया, जिसमें मुख्‍य कारण परीक्षाओं में फेल होना,प्रेम प्रसंग,डिप्रेशन और मानसिक रूप से परेशान होना शामिल है। प्रेम रोग में असफल होने पर 38विद्यार्थियों ने आत्‍महत्‍या की है। सबसे दिलचस्‍प मामला तो यह है कि आत्‍महत्‍या करने के मामले महानगरों में सर्वाधिक है, जिनमें इंदौर, भोपाल, रीवा जैसे शहरों में आत्‍महत्‍या के मामले ज्‍यादा सामने आ रहे हैं,जबकि जो छोटे जिले हैं उनमें किसी भी छात्र छात्रा ने आत्‍महत्‍या नहीं की है,इनमें श्‍योपुर,सिवनी, दमोह, उमरिया आदि शामिल हैं। निश्चित रूप से आत्‍महत्‍या एक गंभीर विषय तो है ही,क्‍योंकि कम उम्र में अगर कोई बच्‍चा आत्‍महत्‍या जैसा कदम उठा रहा है तो फिर इस विषय पर चिंतन मंथन होना ही चाहिए। हाल ही भोपाल में दसवीं कक्षा में पढने वाले दो छात्र छात्रा ने इसलिए आत्‍महत्‍या कर ली थी कि उनके मां-बाप उन्‍हें मिलने से रोकते थे। यह घातक संकेत हैं। समाजशास्‍त्री और मनोवै‍ज्ञानिकों को व्‍यापक स्‍तर पर इन विषयों पर अध्‍ययन करना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

EXCILENT BLOG