सोमवार, 28 नवंबर 2011

मप्र में तैयार हुई आदिवासियों की डीएनए कुंडली


                आदिवासियों को लेकर मध्‍यप्रदेश में अलग-अलग प्रकार के भ्रम बने हुए हैं। आदिवासियों को लगता है कि उनकी घोर उपेक्षा हो रही है,जबकि सरकार के विकास कार्यो के एजेंडे में वे आज भी अव्‍वल हैं। केंद्र और राज्‍य सरकार की बजट राशि का एक बडा हिस्‍सा उनके विकास कार्यों पर व्‍यय हो रहा है। इसके बाद भी आदिवा‍सी विकास की मुख्‍यधारा से जुड नहीं पा रहे हैं। अरबो रूपया अब तक खर्च हो चुका है,लेकिन तब भी आदिवासी आज भी लगोटी लगाकर अपनी आजीविका चलाने को विवश है। यह सच है कि आदिवासी मार्ग तक जाने की सडकें बन गई, स्‍कूलों में बच्‍चे पडने लगे, रोजगार के साधन मिलने लगे,लेकिन विकास के जो सपने बुने गये थे,उनमें अभी भी कामयाबी नहीं मिली है। मप्र में पहली बार राज्‍य के आदिवासी जनजाति समूह का डाटाबेश तैयार किया गया है। इसकी मूल वजह आदिवासियों की मूल निवासी प्रमाण पत्र व्‍यवस्थित करना है। सागर स्थित एफएसएल स्थित डीएनए लैब इसका शीघ्र प्रकाशन करने जा रहा है। वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि यह शोध प्रदेश में आदिवासी समुदाय की बसाहट से लेकर वर्तमान में उनके शारीरिक,मानसिक,आनुवांशिक बदलाव का अध्‍ययन करने में महत्‍वपूर्ण कडी साबित होगा। इस शोध में आदिवासियों का मध्‍यप्रदेश का मूल निवासी माना गया है। भारत सरकार की ओर से कराये गये,सामाजिक एवं मानवशास्‍त्री अध्‍ययनों में सिद्व हुआ है कि मध्‍यप्रदेश ईसा काल के पहले से आदिवासियों की आश्रय स्‍थली रहा है। आदिवासियों का आधुनिक सभ्‍यता से दूरी बनाये रखने एवं उनमें अंतर जातीय-जनजा‍तीय विवाह की परंपरा नहीं होने के कारण उनके आनुवांशिकीय गुणों में विशेष परिवर्तन नहीं आया। इन्‍हीं कारणों से डीएनए वैज्ञानिकों ने यह डाटा तैयार किया है। इस डाटावेस के आधार पर आदिवासियों का विकास करने में अहम भूमिका रहेगी। 
नेत़त्‍व उभरता और फिर गायब होता है -
             मध्‍यप्रदेश की राजनीति में आदिवासी नेत़त्‍व तेजी से उभरता है और फिर अचानक गायब हो जाता है। बार-बार राजनैतिक दल मौका देते हैं,लेकिन जाने क्‍यों मुख्‍यधारा की राजनीति में आदिवासी आ ही नहीं पाते हैं। आदिवासी नेता आरोप लगाते हैं कि उन्‍हें मुख्‍यधारा से गायब किया जा रहा है। वर्तमान में कांग्रेस ने आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया को पार्टी की कमान सौंप रही है,जबकि भाजपा में पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्‍गन सिंह कुलस्‍ते एवं शिवराज सरकार में मंत्री विजयशाह,रंजना बघेल के हाथों में बागडोर है तब भी अभी तक नेत़त्‍व जैसा उभरकर आना चाहिए था,लेकिन वह आ नहीं पा रहा है।
आदिवासी बनाम मध्‍यप्रदेश -
             जनसंख्‍या के आधार पर देश में सबसे अधिक जनजातीय आबादी मध्‍यप्रदेश में ही निवास करती है। आज भी मध्‍यप्रदेश बारहवें क्रम पर है। राज्‍य में अनुसूचित जनजाति की संख्‍या का प्रदेश की कुल जनसंख्‍या का 20.3फीसदी है। वर्ष 1991 से 2001 की जनगणना में भी आदिवासी आबादी की व़द्वि दर 24.3आकी गई है। प्रदेश में कुल 46अनुसूचित जनजातियां निवास करती हैं। राज्‍य में सबसे ज्‍यादा आदिवासी ग्रामीणों में 93.6फीसदी रहते हैं जिसमें सर्वाधिक झाबुआ जिले में 86.9है। आदिवासियों के बीच राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ और ईसाई मिशनरी भी लगातार काम कर रहे हैं और इनमें टकराव भी समय समय पर होता रहता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

EXCILENT BLOG