बुधवार, 9 नवंबर 2011

मध्‍यप्रदेश्‍ा अब तो जागो


मध्‍यप्रदेश के विकास को लेकर हमेशा चिंतित रहने वाले और जब तब राजनेताओं और नौकरशाही को राज्‍य की असलियत से रूबरू कराने वाले राजेंद्र कोठारी को उस वक्‍त धक्‍का लगा जब उन्‍होंने एक राष्‍ट्रीय पत्रिका में राज्‍यों की दशा और दिशा पर सर्वे पडा और उसमें मध्‍यप्रदेश गायब नजर आया। तब उन्‍होंने अपने मित्र से कहा कि अब तो मध्‍यप्रदेश को जागना ही चाहिए अन्‍यथा भविष्‍य का चित्र भयावह नजर आ रहा है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान युवा है और उनमें कार्य करने की क्षमता और ललक भी है,लेकिन डिलेवरी में हम लगातार पिछड रहे है इसी से विकास नहीं हो पा रहा है। यह सच है कि मध्‍यप्रदेश की तस्‍वीर जितनी चमकीली बताई जा रही है उतनी है नहीं। एक राष्‍ट्रीय पत्रिका ने अपने 16नवंबर को प्रकाशित अंक में देश भर के राज्‍यों के उन्‍नत इलाकों पर रिपोर्ट जारी की है,जिसमें मध्‍यप्रदेश किसी भी क्षेत्र में अव्‍वल नहीं है,बल्कि राज्‍य सर्वांगीण विकास,शिक्षा,सुशासन में तो 20वें नंबर पर पहुंच गया है। यही हालत स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र और निवेश की है,जो कि 18वें पायदान पर है। इससे साफ जाहिर है कि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश को स्‍वर्णिम राज्‍य बनाने का सपना तो दिखा है,लेकिन सर्वे में तो हम पूरी तरह से राज्‍यों के विकास में पर्दे से ही गायब है। यह बहुत ही दुखद पहलू है। प्रत्‍येक जागरूक नागरिक के लिए सोचनीय एवं विचारणीय प्रश्‍न है कि आखिरकार मध्‍यप्रदेश लगातार विकास में क्‍यों पिछड रहा है,जो सर्वे जारी हुआ है,उसको तैयार करने में लवीश भंडारी की अहम भूमिका है। लवीश भंडारी का तो मध्‍यप्रदेश से गहरा नाता-रिश्‍ता है। वह मध्‍यप्रदेश के इंदौर शहर के निवासी है,उनके पिता आर0एस0भंडारी जाने माने चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। इस सर्वे ने राज्‍य के विकास की कलई खोलकर रख दी है कि आखिरकार प्रदेश विकास में किस तरह से धीमी गति से कछुआ की चाल चल रहा है,न तो शिक्षा में कोई खास तरक्‍की कर पा रहे है और न ही अच्‍छी गवर्नेन्‍स देने की पहल हो रही है। सिर्फ खेती में हम कुछ करिश्‍मा दिखा पाये हैं,क्‍‍‍योंकि खेती को लाभ का धंधा बनाने का एजेंडा मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चला रहा है और आंशिक उपलब्धि हमारी है। जय हो मध्‍यप्रदेश की ।
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