सोमवार, 14 नवंबर 2011

करिश्‍मा दिखा रही है नन्‍हीं प्रतिभाएं



          प्रतिभाएं कहीं थमती नहीं है, जहां उन्‍हें मौका मिलता है वह उंचे फलक पर अपना परचम फैला ही देती है। यह बात बच्‍चों के बारे में भी कही जा सकती है। छोट-छोटे बच्‍चे अपनी प्रतिभाओं का खुलकर प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्‍हें शाबासी भी मिल रही है।  पढाई,होमवर्क में भी पीछे नहीं है। बच्‍चों ने हर क्षेत्र में अपना करिश्‍मा दिखाया है। मप्र में बाल दिवस पर हर साल कार्यक्रम होते हैं, नेहरू जी को याद किया जाता है, मीडिया भी नेहरू जी के बचपन और बच्‍चों से प्रेम का खूब गुण-गान करता  रहा है,लेकिन अब मीडिया का भी नजारिया बदला है। नेहरू जी को स्‍मरण करने के साथ-साथ उन बच्‍चों की प्रतिभाओं का भी प्रदर्शन मीडिया में हो रहा है, जो कि कम उम्र में अपन जौहर दिखा रहे हैं। आज बच्‍चे लेखन, गीत-संगीत, खेल-कूद, ऩत्‍य, भाषण यानि हर क्षेत्र में जलवा बिखेर रहे हैं। मप्र की सरजमी पर कई प्रतिभाशाली बच्‍चे हैं, जो कि अपने तकदीर और तस्‍वीर स्‍वयं गढ रहे हैं। यह बच्‍चे जितना चिंतित अपने कैरियर को लेकर चिंतित है उतना ही पढाई और शौक को लेकर भी गंभीर हैं। यह बच्‍चे कम उम्र में ही आज रोल मॉडल बन रहे हैं, जो कि माता पिता के लिए तो गौरव है ही पर स्‍कूल भी उन पर नाज करता है। मप्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है प्रतिभाओं को विकसित करने और बढावा देने में भी हर तरफ से हाथ उठ रहे है,जिससे नन्‍हीं-नन्‍ही प्रतिभाएं आज प्रदेश की शान बनी हुई है,जो कि भविष्‍य में राज्‍य का नाम रोशन करेगी।  इन बच्‍चों में अपने गायन से समा बांधने वाली आक़ति मेहरा,तैराकी के हीरो हिमांशु धाकड,अपने ऩत्‍य से मन मोह लेने वाली प्रत्‍यक्षा भटयाचार्य पांच वर्षीय घुडसवार रित्विका शर्मा, नन्‍ही चित्रकार दिशा चतुर्वेदी, भजन गायिका दिव्‍यांशी दुबे, सुरीली आवाज के जादूगर अबीर वैष्‍णव, मोबाइल में करिश्‍मा करने वाले 8 वर्षीय धुर्व,गिनीज बुक आफ वाइल्‍ड में नाम दर्ज कराया 12वर्षीय पंकज मिथानी ने, 6वर्षीय उम्र में ही बन गये ढोलक के कलाकर बन गये वैभव मसराम, सात  वर्षीय अंश मालवीय जिन्‍हें दुनिया की तमाम जानकारियां मौखिक याद है, 12 वर्षीय मन दुबे ने ली लंदन में बैटिंग की विशेष ट्रेनिंग और 14वर्षीय आशो रोका बॉकसिंग में दिखा रहे है अपना करिश्‍मा।  यह संख्‍या चुनिंदा जरूर है,लेकिन ऐसी कई प्रतिभाएं राज्‍य के विभिन्‍न कौनों में बिखरी हुई है,जिन्‍हें हमें सबारना और सहेजना है। निश्चित रूप से मप्र में प्रतिभाओं की एक नई कडी तैयार हो रही है,जिसका हम सबको बेसबरी सेइंतजार है। जय हो मध्‍यप्रदेश की।
पर चु‍नौतियां भी हैं -
     यह स‍च है कि बाल प्रतिभाएं तेजी से सामने आ रही है, लेकिन आज भी मप्र में बाल श्रमिक है जो कि पढने की वजह सुबह से देर रात तक काम में लगे रहते हैं। बच्‍चों का शोषण होने के साथ-साथ उनके साथ शारीरिक और मानसिक अत्‍याचार हो रहा है। ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही है, इन चुनौतियों पर भी हमें विचार करना चाहिए।



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