मंगलवार, 8 नवंबर 2011

मध्‍यप्रदेश आज भी अविकसित राज्‍यों में शुमार

बार-बार मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनमानस में राज्‍य के विकास का सपना तो रोज ही दिखाते हैं निश्चित रूप से नये सपने देखना चाहिए,लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि राज्‍य अविकसित राज्‍यों में आज भी शुमार हैं। पूर्व राष्‍ट्रपति और वैज्ञानिक अब्‍दुल कलाम भी युवकों के बीच बार-बार यही दोहराते हैं कि सपने तो बढे देखना चाहिए,लेकिन उन्‍हें जमीन पर उतारने की पहल भी करना चाहिए।यहां तक कि अब्‍दुल कलाम ने भी मध्‍यप्रदेश की विधानसभा में विकास के एजेंडों का खुलासा किया था, लेकिन उन पर अमल तो दूर कोई उन पर गौर तक नहीं कर रहा है। राज्‍य का विकास जिस तेजी से होना चाहिए उसमें गति नहीं पकड पा रहा है। हाल ही में पीएचडी0चैम्‍बर ऑफ कॉमर्स की जारी रिपोर्ट के अनुसार देश के दस राज्‍यों में मध्‍यप्रदेश विकास सूचकांक में फिसडडी है। मध्‍यप्रदेश में गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वालों का आंकडा 30 प्रतिशत को पार कर चुका है। यही आलम बालिका संरक्षण का है। इसके लिए सरकार तमाम योजनाएं बेटी बचाओ,लाडली लक्ष्‍मी,जननी सुरक्षा योजना,कन्‍यादान सहित आदि चलाई जा रही है,ल‍ेकिन तब भी मध्‍यप्रदेश में शिशु म़त्‍युदर सबसे अधिक बनी हुई है। प्रति व्‍यक्ति आय में भी मध्‍यप्रदेश पिछडा हुआ है। दिल्‍ली राज्‍य की प्रति व्‍यक्ति आय 1 लाख 17 हजार रूपये हैं, जबकि छत्‍तीसगढ और राजस्‍थान की 30 से 40 हजार रूपये है मगर मध्‍यप्रदेश में प्रति व्‍यक्ति आयु 27,250रूपये है। इससे साफ जाहिर है कि मध्‍यप्रदेश की विकास की रफतार कैसी चल रही है, न तो शहरों में विकास हो रहा है और न ही गांव के विकास के सोपान पर चल रहा है। आज भी मध्‍यप्रदेश देश के विभिन्‍न राज्‍यों की अपेक्षा अविकसित राज्‍यों में शुमार है। क़षि आधारित प्रदेश में क़षि अनुत्‍‍पादक है,जिसके कारण राज्‍य में गरीबी विद्यमान है। सात सालों में 23हजार किसानों ने आत्‍महत्‍या कर ली है,पैदावार तो अच्‍छी हो रही है,लेकिन को लागत मूल्‍य आज भी नहीं मिल रहा है। बार-बार किसान सडक पर आंदोलन करने के लिए मजबूर है। सिंचाई के पर्याप्‍त साधन नहीं होने के कारण किसान आज भी जो उत्‍पादन करना चाहता है वह नहीं कर पा रहा है,जिसका असर फसलों पर पड रहा है। मध्‍यप्रदेश से बेहतर विकास छत्‍तीसगढ, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, पंजाब और हरियाणा तथा दिल्‍ली राज्‍य कर रहा है। मध्‍यप्रदेश सडकों का आलम यह है कि एक लाख हजार किलोमीटर सडकें है,जबकि महाराष्‍ट्र में दो लाख 42हजार किलोमीटर सडकें हैं। आज भी प्रदेश में सडकों की स्थिति राष्‍ट्रीय औसत से तीन गुनी कम है। विकास सूचकांक में मध्‍यप्रदेश 0.490है,जबकि गुजरात की स्‍थापना 01मई 1960को हुई और उसका विकास सूचकांक 0.814है। भले ही मध्‍यप्रदेश विकास के मामले में तेज गति से नहीं बढ रहा हो लेकिन आबादी के मामले में जरूर उछाले मार रहा है। 1956 में मध्‍यप्रदेश की आबादी 3 करोड 24 लाख थी, जो कि वर्ष 2011 में बढकर 7 करोड 25 लाख हो गई है। अब आसानी से यह समझा जा सकता है कि राज्‍य का विकास किस दिशा में हो रहा है।
क्‍यों पिछड रहा है राज्‍य :
       जनमानस में विकास की ललक नहीं, भविष्‍य की योजनाओं का अकाल, आर्थिक राजनीतिक,सांस्‍क़तिक और सामाजिक क्षेत्र में भारी उतार-चढाव,विकास को लेकर राजनीतिक इच्‍छा शक्ति का अभाव, प्राक़तिक संसाधनों का दोहन नहीं कर पा रहे, प्रशासन में विकास की कमी, भ्रष्‍टाचार चरम पर, कुशल श्रमिकों का अभाव, सडकों का न होना, शिक्षा के मामले में लगातार पिछडापन, विकास के आधारभूत मानकों को पूरा नहीं कर पा रहे, क़षि उत्‍पादकता भी अपेक्षाक़त कम, आर्थिक विकास थमा, अपराधों में लगातार अव्‍वल।

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