सोमवार, 7 नवंबर 2011

अब बंदरों की भी होगी नशबंदी



              यूं तो मध्‍यप्रदेश का वन विभाग जंगलों की अवैध कटाई, अवैध उत्‍खनन,वनभूमि पर अवैध कब्‍जे रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। कदम-कदम पर विभाग की कलई खुल रही है,लेकिन इस सब से हटकर वन विभाग ने बंदरो की नशबंदी करने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। इस योजना पर करोडों रूपये खर्च करने का विभाग का इरादा है। इसके पीछे का तर्क बढा दिलचस्‍प है। कहा जा रहा है कि पर्यटन स्‍थल,पुरातात्विक महत्‍व की ऐतिहासिक धरोहर तथा धार्मिक स्‍थलों पर बंदरों ने आंतक मचा रखा है और आने-जाने वालों को परेशान करते हैं। धर्मशास्‍त्रों के अनुसार बंदरों को भगवान हनुमान जी का दूत माना जाता है। कई धर्म प्रेमी लोग बंदरो को चने खिलाने के लिए दूर-दूर तक जाते हैं। इसी के साथ ही जब-जब पर्यटक अपने पसंदीदा स्‍थलों पर पहुंचते हैं,तो उन्‍हें अपने ईद-गिर्द जंगलों और ऐतिहासिक धरोहारों से कूदते-फादते जब नजर आते हैं,इसका कभी कभी पर्यटक आनंद भी उठाते है, लेकिन जब कभी बंदरों से छेडछाड की जाती है,तो फिर बंदर हमले भी करने लगते हैं। वन विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही है कि बंदरो के आंतक से लोग परेशान है। वन्‍य जीव प्रेमियों ने तो बंदरों के उत्‍पात पर नियंत्रण के लिए अपनी-अपनी योजनाएं भी सरकार को भेजी हैं। मप्र में बंदरो की संख्‍या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए वन विभाग ने अब बंदरो की नशबंदी करने की योजना बनाई है,जिसके तहत वन विभाग के आला अफसरो ने वैटनरी लैव के वैज्ञानिकों से चर्चा करके बैक्‍सीन की जानकारियां ली जा रही है। मध्‍यप्रदेश में बंदरो की नशबंदी करना आसान काम नहीं होगा। कोई एक दशक पहले दिल्‍ली सरकार ने भी बंदरों से परेशान होकर उन्‍हें मध्‍यप्रदेश भेजने की पहल की थी,लेकिन आज तक बंद मध्‍यप्रदेश नहीं आ पाये,क्‍योंकि बंदरों को पकडना सबसे जटिल काम है। अब सरकार का वन विभाग बंदरो की नशबंदी करने पर विचार कर रहा है,जो कि सुनने में ही जटिल लग रहा है,तो उसे अंजाम देने में पसीना आना स्‍वाभाविक है अथवा योजना कागजों पर बनकर रह जायेगी।
बंदर और मध्‍यप्रदेश :
राज्‍य में 2004 की जनगणना के अनुसार 3,90,000 बंदर हैं, इनमें से 25 फीसदी ने गांव और शहरों में अपना आसरा बनाया हुआ है। अक्‍सर बंदरों को वन विभाग सतपुडा राष्‍ट्रीय उद्यान,टाईगर रिजर्व भोपाल  वन विहार एवं जंगलों में छोड देते हैं। बंदरों की संख्‍या सबसे अधिक पचमढी, चित्रकूट, ओरछा, खजुराहो, होशंगाबाद, जबलपुर, महेश्‍वर, मैहर, सलकनपुर, मढई, माडव आदि स्‍थानों पर है। बंदरो की नशबंदी पर वन विभाग ने 20 से 30 करोड बजट खर्च की योजना बनाई है। यह योजना 1 लाख बंदरों पर खर्च होगी।
               

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