रविवार, 6 नवंबर 2011

बीमारियों की चपेट में फंसा मध्‍यप्रदेश

खुशिया और उत्‍सव का दौर अभी थमा भी नहीं था कि अचानक मध्‍यप्रदेश की सरजमी पर बीमारियों का ऐसा जाल फैला कि हर कौनों में लोग बीमार हो रहे हैं। सरकारी और प्राइवेट अस्‍पतालों में मरीजों की संख्‍या में इजाफा हुआ  है। इन दिनों मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीज सबसे अधिक मिल रहे हैं। मलेरिया से प्रदेश में अब तक 50मौतें हो चुकी हैं। यह मौते विंध्‍य और मालवा अंचल में हुई हैं। मौतों पर राजनीतिक रोटियां भी सेंकी जा रही है पर यह सच है कि स्‍वास्थ्‍‍य अमला अभी भी नींद से जागा नहीं है। प्रदेश में सीधी,रीवा, झाबुआ,धार,मंदसौर एवं ग्‍वालियर में मलेरिया और चिकनगुनियां का प्रकोप लोगों को अपने जाल में समेट रहा है। चिकनगुनिया बीमारी बुखार के साथ-साथ हाथ-पैर में जकडन पैदा कर रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग एक बार फिर पंगु साबित हुआ है। ग्‍वालियर संभाग से जुडे स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री नरोत्‍तम मिश्रा के इलाके में भी चिकनगुनियां ने दस्‍तक दे दी है,इन इलाकों में करीब इस रहस्‍यमय बीमारी से लगभग 200लोग पीडित हैं,तो झाबुआ जिले के प्रभारी स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍यमंत्री महेंद्र हार्डिया भी अपने प्रभार वाले जिले में बीमार लोगों का इलाज नहीं करा पा रहे हैं। यहां से मरीजों ने अन्‍य शहरों में इलाज कराने के लिए जाना शुरू कर दिया है, वहीं मंदसौर में 04, सीधी में 50 मौते होने का दावा नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस जिले में 17बच्चियों की मौत हो चुकी हैं। आदिवासी अंचलों में मलेरिया का ऐसा प्रकोप फैला है कि बूढे, बच्‍चे, महिला उसकी चपेट में आ रहे हैं। सिंह ने सीधी में 03 नवंबर को कलेक्‍टर कार्यालय के सामने धरना भी दिया था और उन गांवों में जाकर हालातों का दौरा भी किया,जहां पर बीमारियों का प्रकोप चरम पर है। इन गांवों में मरीजों को दवाईयां तक नहीं मिल रही हैं। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का जो अमला पदस्‍थ है,वह भी समय पर गांवों में नहीं पहुंच पा रहा है। इसके कारण मरीजों की हालत दिन प्रतिदिन बिगड रही है। प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी फैलती बीमारियों से हो रही मौतों पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। इसके बाद भी स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का अमला अभी भी नींद से जागा नहीं है और दिन प्रतिदिन बीमारियों से मौतों का ग्राफ बढता ही जा रहा है।
स्‍वास्‍थ्‍य विभाग और मध्‍यप्रदेश में ढांचा :
राज्‍य में स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍थाएं अक्‍सर चरमाराती रहती हैं। चिकित्‍सकों की कमी एक समस्‍या बन गई है, दवाओं के घोटाले आम बात हो गये हैं, अस्‍पतालों में सुविधाएं नहीं मिलने का राग अब स्‍थाई हो गया है। प्रदेश में जिला अस्‍पताल 50, शहरी सिविल अस्‍पताल 54, सामुद‍ायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र 70, प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र 1149 एवं उप स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र 8834 हैं।

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