मध्यप्रदेश कांग्रेस में नेत़त्व की कमी बार-बार अखरती रही है,जो नेता मध्यप्रदेश की राजनीति में शिखर पर थे,उन्होंने अपना आशियाना राष्ट्रीय राजनीति में बना लिया है और वहां वे जमकर राजनीति कर रहे हैं। इसके चलते कांग्रेस की राजनीति में बडा खालीपन महसूस किया जा रहा है। न कांग्रेस सडक पर नजर आ रही थी और न ही विधानसभा में आक्रमक तेवर दिखते थे,इसके चलते यह कहा जाने लगा था कि कांग्रेस भविष्य में अब चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं होगी। इस धुंधली तस्वीर को बदलने के लिए अब मोर्चा संभाला है नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने। सिंह ने आठ साल की भाजपा सरकार के खिलाफ पहली बार 28 नवंबर,2011 को लाये अविश्वास प्रस्ताव में सरकार के खिलाफ जमकर तीखा प्रहार किया,न सिर्फ अपनी छबि के विपरीत मंत्रियों के कारनामों से सदन को अवगत कराया,बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वर्णिम राज्य की भी खिल्लिया उडाई। यहां तक कि उन्होंने कहा कि प्रदेश तो स्वर्णिम नहीं बन रहा है,लेकिन मंत्री स्वर्णिम जरूर हो गये हैं। मुख्यमंत्री के नाते-रिश्तेदारों पर भी उन्होंने प्रहार करने का कोई मौका नहीं छोडा। अपने ढाई घंटे के अभिभाषण में अजय सिंह ने सरकार की खामियों को सिलसिलेवार दस्तावेजों के साथ गिनाया। देश के जाने माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने 11सितंबर,2011को अपने आलेख में लिखा है कि ''जहां सुप्रशासन विफल हो जाता है,वहीं भ्रष्टाचार की विषबेल पनपती है।''यह सूत्र वाक्य मप्र की सरकार पर पूरी तरह से फिट बैठती है। भाजपा सरकार में प्रशासन बुरी तरह से पटरी से उतर चुका है। सरकार के कर्ता-धर्ता भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं,ऐसी स्थिति में विपक्ष के नेता अजय सिंह ने जो मारक हमला बोला है वह अपने आप में मील का पत्थर साबित होगा। सिंह ने आंकडों की जुगाली की बजाय दस्तावेजों के साथ भ्रष्टाचार में घिरे मंत्रियों के कारनामों को सदन के सामने पेश किया। यह भी देखने में आया है कि अजय सिंह अपने वरिष्ठ नेताओं की छाया से दूर होते नजर आये और अपना खुद का व्यक्तित्व सबारने में लगे रहे। निश्चित रूप से अजय सिंह की यह यात्रा की शुरूआत है अभी तो कई पडावों से गुजरना है,जहां वे अपना राजनीतिक चमत्कार और कुशलता का प्रदर्शन करेंगे।
'' जय हो मध्यप्रदेश की ''