शनिवार, 23 अप्रैल 2011

राशन दुकानों से किनारा किया जानी मानी कंपनियों ने

प्रदेश भर की राशन दुकानों से देश की जानी मानी कंपनियों ने किनारा कर लिया। न तो कंपनियां अपना सामान राशन दुकानों पर उपलब्ध करा रही और न ही राशन दुकानदार दिलचस्पी ले रहे है। इसके चलते राशन दुकानों की तस्वीर बदलने की योजना अधर में लटक गई है। दो वर्षों में सिर्फ 200 राशन दुकानों ने इस योजना का लाभ लिया है बाकी दुकानों ने इससे कन्नी काट ली है।

क्या थी योजना : राज्य की राशन दुकानों पर रोजाना उपयोग में आने वाली वस्तुओं को बेचने की योजना खाद्य विभाग ने वर्ष 2009 से शुरू की थी। इस योजना के तहत राशन दुकानों पर प्रतिष्ठित कंपनियों के साबुन, हेयर कलर, शेविंग क्रीम,टेल कम पाउडर, सहित मोबाइल सेवा, हैंडसेट और सिम बेचने की योजना थी। इस योजना के तहत देश की प्रतिष्ठित कंपनी गोदरेज एवं ब्रिटानिया से अनुबंध हुआ जो कि अभी भी जारी है लेकिन इन कंपनियों को महत्व नहीं मिलने पर कंपनियां भी सुस्त हो गई।

योजना लागू करने की वजह : इस योजना को राशन दुकानों में लागू करने के पीछे एक मात्र मकसद राशन दुकानों का कायाकल्प करना था। योजना में यह प्रावधान किया गया था कि निर्धारित कंपनियों की सील बंद वस्तुएं ही दुकान से बेची जाए।

फ्लाप रही योजना : खाद्य विभाग ने जिस धूमधाम से योजना का श्रीगणेश किया था पर उसके परिणाम नगण्य ही रहे। दो वर्ष बाद भी योजना का विस्तार नहीं हुआ बल्कि 200 राशन दुकानों से अधिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़ी दुकानों ने कोई दिलचस्पी नहीं ली। दुकानदार दुखी मन से कहते है कि राशन दुकानों से प्रतिष्ठित कंपनियों की सामग्री खरीदने वाले उपभोक्ता कम ही आ पाते है। यहां तक कि जिन दुकानों ने गोदरेज एवं ब्रिटानिया कंपनियों के सामान अपनी राशन दुकानों पर रखे जरूर पर वे बिक नहीं पाए। इसके पीछे एक तर्क यह भी है कि जिन कंपनियों के सामान दुकानों पर मौजूद थे उस पर उपभोक्ताओं ने कोई रूचि नहीं दिखाई। कंपनी सूत्रों का भी कहना है कि राशन दुकानों से सामान बेचने का प्रयोग गति नहीं पकड़ पाया।

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