बुधवार, 27 अप्रैल 2011

सांस्‍क़तिक पर्वो का आदर्श मध्‍यप्रदेश :

म.प्र. का विविधता पूर्ण सांस्‍क़तिक स्‍वरूप पूरे देश में अनूंठा है यहा न सिर्फ एक से दूसरे छोर बल्कि हर 40 किमी के फासले पर भिन्‍न-भिन्‍न परम्‍परा, जीवनशैली, बोली का साक्षात्‍कार होता है। देश का ह़दय प्रदेश होने का गौरव हासिल करने वाले राज्‍य में सांस्‍क़तिक पर्वो ने अपनी एक अनूंठी छबि जनमानस में छोडी है। सम़द्व और प्रतिष्ठित सांस्‍क़तिक कार्यक्रम की धरोहर हर हिस्‍से में आज भी सुरक्षित है। इस विशिष्‍ट सांस्‍क़तिक पहचान को बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास हो रहे है, वैसे भी राज्‍य में संगीत, रंगमंच, साहित्‍य, चित्रकला का शानदार अतीत रहा है। भोपाल में सांस्‍क़तिक केंद्र भारत भवन की अपनी अनूंठी छबि है। इसके कार्यक्रमों ने देश में एक अलग सांस्‍क़तिक प्रतिष्‍ठा हासिल की है फिर भले ही पिछले एक दशक से भारत भवन अपने अतीत से बाहर नहीं निकल पा रहा है और न ही इस तरह के प्रयास हो रहे हैं। संस्‍क़ति विभाग ने राष्‍टीय स्‍तर पर पहचान बनाने के लिए फिल्‍म सिटी बनाने का सपना बुना है, तो रंगमंडल को नया रूप दिया जा रहा है, इसके अलावा राज्‍य के विभिन्‍न हिस्‍सों में जो सांस्‍क़तिक धरोहर है, उसको भी बचाने के लिए प्रयास हो रहे हैं।

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