भाजपा की पहचान अनुशासन की रही है। अब तस्वीर बदल चुकी है। अनुशासन पार्टी और संगठन में तार-तार हो रहा है। अब वरिष्ठ और कनिष्ठ का कोई संबंध नहीं रहा है। वरिष्ठ नेताओं को भी छोटे-छोटे कार्यकर्ता सबके सामने खरी-खोटी सुनाने लगे हैं। इससे संगठन का तानाबाना बुरी तरह से बिखर रहा है। दुखद पहलू यह है कि अदने से कार्यकर्ता भी पार्टी नेताओं को आंखे दिखाने लगे हैं, जो कि वैचारिक अभियान को आधार मानकर काम कर रही पार्टी के लिए शुभ नहीं है। पार्टी के स्थापना दिवस 6 अप्रैल, 2013 को पूरे प्रदेश के विकास कार्यक्रम आयोजित किये थे, इस कार्यक्रम के जरिये हर जिले में शिलान्यास कार्यक्रम और भूमिपूजन आयोजित किये गये थे। इन्हीं कार्यक्रमों की श्रृंखला में विकास और निर्माण कार्यों का नया इतिहास भी दर्ज किया गया। पूरे प्रदेश में सभी संभागों में 1023 करोड़ 40 लाख 1 हजार रूपये के निर्माण एवं विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया गया। जहां पार्टी ने नया इतिहास दर्ज किया। वही तार-तार अनुशासन का इतिहास भी बना लिया। उस समय गुना में स्थिति मंच पर ही विषम बन गई जब पार्टी के संस्कार बुरी तरह से पानी में बह गये। जब गुना जिले के महामंत्री ने अपनी ही पार्टी के पूर्व मंत्री गोपीलाल जाटव को मंच पर ही चाटा जड़ दिया। इससे अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। यह महाशय गुना जिले में पार्टी के मंत्री बहादुर सिंह रघुवंशी हैं। जिन्होंने मंच पर सारे संस्कार एक पल में ही खत्म कर दिय हैं, फिर भले ही पार्टी के जिलाध्यक्ष हरि सिंह यादव ने संगठन मंत्री को निलंबित कर दिया है, लेकिन अनुशासन का दंभ भरने वाली पार्टी के संस्कार तो जनता के सामने आ ही गये। इससे पहले भी एक जिलाध्यक्ष महोदय महिला के साथ रंग-रलियां मानने की सीडी बाजार में आ चुकी है। सरकारी कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार और मारपीट करने की घटनाएं तो पार्टी नेताओं के लिए सामान्य सी बात हो गई है, लेकिन अब पार्टी के कार्यकर्ता और नेता अपने ही वरिष्ठों के साथ मारपीट करने लगे हैं। इस घटना के पीछे का कारण यह बताया जाता है कि पूर्व मंत्री जाटव एक बार फिर से गुना से ही चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं। इसलिए विवाद सामने आया है। दिलचस्प यह है कि जब जिला मंत्री बहादुर सिंह रघुवंशी भाषण देने जाने लगे, तो पूर्व मंत्री जाटव ने उन्हें वहां जाने से रोका इस पर रघुवंशी को गुस्सा आ गया और उन्होंने जाटव को तीन चाटे जड़ दिये, तब मंच पर संनाटा छा गया। अनुशासन को तोड़ने वाले रघुवंशी का कहना है कि वे पार्टी का काम करते हैं और भीड़ जुटाने से लेकर दरी बिछाने में लगे रहते हैं और नेता जब भाषण देने का मौका आता है, तो पीछे करते हैं, तब स्वाभाविक रूप से गुस्सा आना स्वाभाविक है। इस घटना से साबित हो गया कि भाजपा में किस कदर हालात पटरी से उतर चुके हैं। कहीं कोई सम्मान और विश्वास बचा नहीं है। अब एक दूसरे के खिलाफ जंग स्वयं कर रहे हैं जिसका असर चुनाव पर भी रहेगा। यह असंतोष पार्टी नेताओं के लिए गहरे संकेत दे रहा है अभी भी नेताओं को जल्दी से सारी स्थितियों का आंकलन करना चाहिए, अन्यथा विषम स्थितियां बन सकती हैं।
अनुशासन के गीत गाती है भाजपा :
भाजपा उन बिरले संगठनों में मानी जाती है, जहां पर अनुशासन को बड़ा महत्व दिया जाता है, लेकिन अब इसी संगठन में अनुशासन नेता और कार्यकर्ता तार-तार करने में लगे हैं। 90 के दशक में पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी, सुंदरलाल पटवा और वीरेंद्र कुमार सकलेचा के बीच तनातनी बनी रहती थी। वैचारिक मतभेद होते थे, लेकिन कभी भी लड़ाई झगड़े की नौबत नहीं आई। यह नेता आपस में एक-दूसरे के खिलाफ खूब तीर चलाया करते थे, यहां तक कि शिकवा-शिकायतें भी होती थी। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने तो हाल ही में अपने साक्षात्कार में स्वीकार किया है कि उनके पटवा से कुछ वैचारिक मतभेद रहे हैं जिसके कारण दूरिया बढ़ी हैं। 1990 से 2000 के बीच कई बार नेताओं के बीच वैचारिक मतभेद रहे, लेकिन उन्होंने कभी भी किसी के खिलाफ इस तरह से व्यवहार नहीं किया, जो कि अब 6 अप्रैल, 2013 को गुना में घट गया। इससे पार्टी की जमीनी हकीकत सामने आ गई है और भविष्य के संकेत दिखने लगे हैं।
''मप्र की जय हो''
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