बुधवार, 3 अप्रैल 2013

कर्ज बन रहा है किसानों के लिए मौत का मार्ग

                        दुखद पहलू यह हे कि प्रदेश का किसान कर्ज में डूबकर मौत को मार्ग अपना रहा है, लगातार कर्ज में डूबे किसान आत्‍महत्‍या करने को विवश हो रहे है, हर साल किसानों की आत्‍महत्‍या करने के मामले सामने आ रहे है, विपक्ष हल्‍ला मचा रहा है, किसान प्रेमी सरकार भी किसानों की आत्‍महत्‍या के मामलों को लेकर चिंतित है पर यह चौकाने वाला तथ्‍य सामने आ रहा है कि जब राज्‍य सरकार ने किसानों को जीरो पर कर्ज दिया जा रहा है तब किसान साहूकारों के जाल में कैसे उलझ रहे है, अफसोस जनक स्थिति यह है मार्च और अप्रेल माह की शुरू आत में तीन किसान अब आत्‍महत्‍या कर चुके है, 2 अप्रेल को रायसेन जिले के ग्राम परवरिया निवासी किसान पैजन सिंहयादव ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्‍महत्‍या कर ली है, इस किसान की हाल ही बारिश और ओले ने फसल बर्बाद कर दी थी, जिससे यादव बेहद परेशान रहता था और उसके परिजन तो कहते हे कि उसके साहूकार पर 10 लाख का कर्ज था जिसकी वजह से वह बेहद परेशान रहा करता था पर जब फसल बर्बाद हो गई तो फिर उसने अपनी जीवन लीला को समाप्‍त कर लिया, इस आत्‍महत्‍या के बाद कई सवाल उठ रहे है और उसका जबाव आसानी से प्रशासन भी नहीं देगा, जिला प्रशासन रायसेन ने जांच शुरू कर दी है इससे पहले मार्च्र माह में राजगढ जिले मे एक किसान आत्‍महत्‍या की थी, किसानों की आत्‍महत्‍या करने की घटनाएं दिल और दिमाग को परेशान करती है यह सवाल भी उठता है कि जब सरकार किसानों पर फोकस कर काम कर रही है तब किसान आत्‍महत्‍या करने के लिए विवश क्‍यों हो रहा है, इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की आवश्‍यकता है, यूं तो किसान का जीवन दिनों दिन जटिल होता जा रहा है, इस दिशा में यह भी विचार किया जाए कि आखिरकार किसान आत्‍महत्‍या क्‍यों कर रहे है, यूं तो होम विभाग तो अपनी जांच में एक ही रटा रटाया जबाव दे देगा कि पारिवारिक कारणों से किसान ने आत्‍महत्‍या की है,पर यह भी जबाव नहीं चाहिए आखिरकार किसान आत्‍महत्‍या करने को विवश क्‍यों हो रहे है
आत्‍हत्‍या का दौर थमा नहीं -
मप्र में आत्‍महत्‍या करने वालों का प्रतिशत हर माह बढ रहा है, अभी तक बचचे ही पढाई में फेल होने वाले ही आत्‍महत्‍या करते थे लेकिन अब तो युवा पीढी के साथ साथ अन्‍य लोग भी आत्‍महत्‍या करने प्रवति में तेजी से इजाफा हो रहा है,जो चिंता करने वाली बात है, ऐसा लगता है कि मप्र के लोगों में लडने की ताकत खत्‍म सी हो गई और उनके पास मौत को गले लगाने के अलावा कोई रास्‍ता नहीं बच पा रहा है, किसान अगर आत्‍महत्‍या करने को विवश हो रहा है तो और चिंता करने वाली बात है, राज्‍य की भाजपा किसानों के जीवन में सुधार करने के लिए बार बार योजनाएं बना रही है,सीएम चौहान तो स्‍वयं अपने आप को किसान पुत्र कहते है तब तो और भी किसानों की दशा और दिशा पर विचार करने की जरूरत है
                                             मप्र की जय हो

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