शनिवार, 6 अप्रैल 2013

बेकाबू हो गया खनिज माफिया मध्‍यप्रदेश में

         ऐसा लगता है कि खनिज माफिया को किसी की परवाह नहीं है। उसकी अपनी सत्‍ता है और उसके अपने अधिकार हैं। इस राह में जो भी मुसीबत खड़ा कर रहा है उसे आंखे दिखाई जा रही है। इसके चलते खनिज माफिया बेकाबू हो गया है। जिस अधिकारी ने भी खजिन माफिया पर लगाम कसने की कोशिश की, तो फिर तरह-तरह से माफिया के लोग उसे प्रताडि़त करने का सिलसिला शुरू करते हैं। यही वजह है कि खनिज माफिया के हौसले इस कदर बढ़ गये हैं कि वे पुलिसकर्मियों, वनकर्मियों और खनिज कर्मियों की तो कोई परवाह करते ही नहीं है। इन विभागों के अफसरों को भी ठेंगे पर रखते हैं, क्‍योंकि माफिया द्वारा एक आईपीएस अफसर को मारा जा चुका है। इसके साथ ही समय-समय पर डिप्‍टी कलेक्‍टर, डिप्‍टी रेंजर, तहसीलदार के साथ भी मारपीट, झूमा-झपटी की घटनाएं आम बात होती जा रही है। रतलाम के एक खनिज इंसपेक्‍टर संजय  भार्गव की संदिग्‍ध अवस्‍था में मौत हो चुकी है। इस खनिज अधिकारी की मौत को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। मालवांचल बेहद उत्‍तेजित है। कांग्रेसी कैंडलमार्च निकाल रहे हैं, मीडिया हल्‍ला मचा रहा है, संजय भार्गव के परिवार के लोग भी संदेह कर रहे हैं कि खनिज माफिया ने उनके भाई की हत्‍या कर दी है। इस मामले में दिलचस्‍प यह है कि उज्‍जैन में भार्गव को टक्‍कर मारने वाली टाटा मैजिक गाड़ी से मौत हुई है। इस घटनाक्रम को लेकर पुलिस शुरूआत में तो गंभीर नहीं थी, लेकिन जब धीरे-धीरे मामला तूल पकड़ने लगा, तो फिर पुलिस को सक्रियता दिखानी पड़ी। मप्र में खनिज माफिया रेत और अवैध उत्‍खनन का कारोबार कर रहा है। रेत और पत्‍थर के अवैध उत्‍खनन में एक बड़ा माफिया शामिल हैं जिसे कहीं-कहीं प्रशासन का भी संरक्षण है, लेकिन जब कभी कोई विरोध करता है, तो फिर उसे डराने, धमकाने का सिलसिला शुरू होता है। अधिकारियों पर वाहन चढ़ाने की कई घटनाएं हो चुकी है। कई बार विपक्ष इस मामले में सरकार से सवाल-जवाब भी कर चुका है। अब 5 अप्रैल को इंदौर जिले के महू में वनकर्मियों पर ट्रेक्‍टर चढ़ाने का प्रयास किया गया है। यह वनकर्मी रमेश पाल सिंह, बाबूलाल अजमेरा जब बड़गोदा इलाके में जंगल से अवैध पत्‍थर खनन रोकने पहुंचे तो माफिया ने इन पर्रेक्‍टर चढ़ाने का प्रयास किया। अंधेरा का फायदा उठाकर माफिया के लोग तो भाग गये। अब वनकर्मियों ने थाने में शिकायत की है
अब क्‍या कार्यवाही होगी भविष्‍य ही बतायेगा। मप्र में खनिज माफिया तेजी से पांव पसार रहा है और प्रकृति का संतुलन बिगाड़ने में कोई कौर-कसर नहीं छोड़ रहा है। यही वजह है कि राज्‍य का पर्यावरण प्रदूषित होने से कोई नहीं रोक पायेगा। नदियां और जंगल का संकट में आना लगभग तय है। 
                                       ''मप्र की जय हो'' 

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