अगर मध्यप्रदेश में कोई अफसर नियम-प्रक्रिया से काम करना चाहे, तो उसके लिए राह आसान नहीं है, बल्कि जटिल होती जा रही है। यही वजह है कि अधिकारी और राजनेताओं के बीच टकराहट अब प्रदेश में कोई नई बात नहीं रह गई है। किसी न किसी इलाके में अधिकारी के साथ अभद्र व्यवहार की घटनाएं भी खूब हो रही हैं। अधिकारी अपने स्तर पर नाराजगी जाहिर कर चुप हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें नौकरी करना है और वे इस बहाने तंत्र पर तीखा प्रहार तो कर रहे हैं, लेकिन उससे लड़ने की क्षमताएं खो चुके हैं। अब मामला अलीराजपुर की प्रभारी सीएमएचओ डॉ0 अनसुर्इया गबली का सामने आया है। डॉ0 गबली ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को लिखे पत्र मे कहा है कि अलीराजपुर के भाजपा नेता, अधिकारी और डॉक्टर भ्रष्ट हैं, उन्होंने तो पूर्व कलेक्टर राजेंद्र सिंह पर भी आर्थिक अनियमितताओं का आरोप जड़ा है। इसके साथ ही जिला अस्पताल के पांच चिकित्सकों पर धोखा-धड़ी करने का आरोप लगाया है। इस मामले में क्षेत्रीय विधायक नागर सिंह चौहान, जिला भाजपा अध्यक्ष सौमानी, पूर्व जिला अध्यक्ष शाह आदि के साथ डॉक्टर और अधिकारियों पर आरोप डॉ0गबली ने लगाये हैं। कोई अधिकारी पहली बार इस तरह से आरोप लगाता नजर नहीं आता था, लेकिन अब तो खुलकर लोगों ने लड़ने का इरादा बना लिया है। इसके साथ ही लोक निर्माण विभाग के सब इंजीनियर रामेश्वर चतुर्वेदी और खनिज निरीक्षक संजय भार्गव की मौत का मामला लगातार उलझता जा रहा है। दोनों की मौत को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इसके साथ ही हाल ही में इंदौर के विकास प्राधिकरण कार्यालय में अधिकारियों को कुर्सी से धक्का देकर भाजपा नेता उस पर बैठ चुके हैं। इससे पहले भोपाल में तो सीएसपी की कुर्सी पर बजरंग दल के नेता बैठकर निर्देश दे चुके हैं। वही भोपाल के एक अन्य थाने में तो संघ परिवार के समर्थकों से सवाल जवाब करने पर पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया था, जब बड़ा हल्ला मचा तो उन्हें अचानक बहाल कर दिया गया। इससे साफ जाहिर है कि कहीं न कहीं तंत्र व्यवस्था में राजनीति का हस्तक्षेप तेजी से बढ़ गया है। इसी का परिणाम है कि झाबुआ जिले की कलेक्टर ने तो माफिया के बढ़ते हस्तक्षेप से परेशान होकर जिला ही छोड़ने का मुख्यमंत्री से अनुरोध में पत्र लिख दिया था। किसी न किसी क्षेत्र में माफिया तेजी से अपने पैर फैला रहा है। अगर इस माफिया से कोई अधिकारी आमना-सामना कर रहा है, तो उसे फिर कई प्रकार की सजाएं भोगनी पड़ रही हैं। यही वजह है कि माफिया और तंत्र के बीच गठजोड़ होने लगा है, जो कि राज्य के विकास के लिए एक गंभीर खतरा है। अगर यह गठजोड़ कामयाब हो गया तो फिर विकास पर विचार करना तो दूर की बात जो भी राशि विकास को मिलेगी उस पर अमल होना संभव नहीं होगा। ऐसा नहीं है कि व्यवस्थाओं में हर व्यक्ति को अपनी-अपनी आवश्यकताएं होती है, पर हर चीज की एक सीमा है। अब मप्र में यह सीमाएं लगातार टूट कर बिखर रही हैं। इस पर तत्काल रोक लगाने की आवश्यकता तो है ही साथ ही तंत्र को भी अपनी कार्यशैली में बदलाव लाना होगा, अन्यथा तंत्र में भी कई खामियां हैं और वे छोटी-छोटी बातों पर अक्सर सवालों को रोकती हैं।
''मप्र की जय''
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