रविवार, 14 अक्तूबर 2012

जश्‍न की पार्टियों में पुलिस की दखलांदाजी

           आजकल मध्‍यप्रदेश में पश्‍चात्‍य संस्‍कृति ने प्रवेश कर लिया है। अब छुट्टियों के दिन अपनी खुशियों को चरम पर पहुंचाने के लए बड़ी-बड़ी होटलों में पार्टियां आयोजित की जा रही हैं। इन पार्टियों में नाच-गाने तो आम बात हैं, लेकिन मामला तब गंभीर हो जाता है, जब पार्टियों में जाम से जाम टकरा रहे हों और मुम्‍बई की बाल-बालाएं आकर नाचने लगे, तो फिर पार्टी में हंगामा होना स्‍वाभाविक है। पिछले दस-बारह सालों में मप्र में अचानक नवधानाढयों की संख्‍या में इजाफा हुआ है। इनकी कमाई के अपने अपने स्‍त्रोत है पर यह नवधनाढय जब रात को मिलते हैं तो सिर पर दौलत का भूत सवार होता है और फिर शुरू होता है जश्‍न और खुशियों का सिलसिला। यही पर फिर पुलिस प्रवेश करती है। देखने में आ रहा है कि राज्‍य के महानगर भोपाल, इंदौर, ग्‍वालियर और जबलपुर में रात्रि में अक्‍सर उन पार्टियों में पुलिस की निगाहें बरबस पहुंच ही जाती है, जहां पर हंगामा और शोरगुल धीरे-धीरे रात्रि में बढ़ने लगता है। भोपाल में तो ऐसी पार्टियां होना सामान्‍य बात है, लेकिन 13 अक्‍टूबर को एमपी नगर भोपाल के एक होटल में चल रही पार्टी में जब ज्‍यादा हंगामा होने लगा तो फिर पुलिस को आना पड़ा और पुलिस ने अपने डंडे के बल पर उन नवधनाढयों के होश उड़ा दिये और पार्टी को खत्‍म करना पड़ा। ऐसे प्रसंग जब तब आते रहते हैं फिर भी न तो पार्टियां थम रही हैं और न ही पैसे वालों के शौक कम हो रहे हैं। यह सिलसिला तो अभी ओर बढ़ना ही है। 
 

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