बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

अब धीरे धीरे जागने लगी है लोगों में उत्‍सुकता किस दल की बनेगी मप्र में सरकार

           यूं तो अभी मप्र विधानसभा का दंगल शुरू होने में आठ माह बाकी है पर अभी से लोगों में यह उत्‍सुकता तेजी से जागने लगी है कि किस दल की सरकार मप्र में बनेगी, क्‍या तीसरी फिर से भाजपा अपनी सरकार बरकरार रख पाएंगी अथवा विपक्ष की भूमिका दस साल से अदा कर रही है कांग्रेस का सत्‍ता में आने का मौका मिलेगा पर जो हालात वर्तमान कांग्रेस शिविर में है उससे कई सवाल उठ रहे है, अब चाहे शादी विवाह का उत्‍सव का मौका या जन्‍म दिन का जश्‍न अथवा दुखद पल किसी भी क्षण का, पर लोग अगली सरकार किसकी बनेगी यह सवाल करते नजर आ ही जाते है अब ऐसे स्‍थानों पर भी चर्चाएं हो जाती है जहां पर सामान्‍यत चुनाव पर चर्चा न हो तो बेहतर है पर लोगों का नजरिया मप्र में बदला है, हर तरह हो रहे बदलाव की वजह से आम आदमी के सोच में परिवर्तन हो रहा है।  
         मप्र में नवंबर माह में विधानसभा जंग होनी है, इससे पहले कांग्रेस और भाजपा अपनी रणनीति बनाने में जुट गए है सबसे सक्रिय सरकार है, सरकार के मुखिया ने चुनाव पर आधारित अभियान चला दिए है जिस पर पूरा ध्‍यान मुख्‍यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का है, वे लगातार पंचायतों का आयोजन करके अपनी छवि में तो चार चांद लगा ही रहे है पर उनके साथ भाजपा संगठन कदम ताल कर रहा है संगठन की आवो हवा बदल गई है, वहां भी नरेंद्र सिंह तोमर धीरे धीरे संगठन को गति दे रहे है फिलहाल कांग्रेस की चाल में खासी तब्‍दीली नहीं आई है पर ऐसा लगता हैकि कांग्रेस में भीतर ही भीतर बेचैनी तो नजर आ रही है कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की शपथ भी इसी साल खत्‍म हो रही है ऐसी स्थिति में कांग्रेस की चाल में तेजी तो आएगी पर यह कब आएगी यह अभी किसी को नहीं मालूम है जबकि सरकार की तरफ रोजाना मुददे विपक्ष को मिल रहे है तब भी जैसी सक्रियता की आम आदमी अपेक्षा कर रहा है उस पर कांग्रेस खरी नहीं उतर रही है इस वजह से हर तरफ होने वाली चर्चाओं से कांग्रेस को कम ही नंबर मिल रहे है, भाजपा सरकार और संगठन तो अपने स्‍तर पर गोपनीय सर्वे भी करा रहे है, इस बार तीसरी ताकत के दल भी अभी से जोर मार रहे है बसपा का अपना अभियान चल पडा है, यूंतो मप्र में दो दलीय व्‍यवस्‍था जड जमा चुकी है पर समय समय पर तीसरी ताकत के दलो ने भी अपना जादू दिखाया है इस कारण चुनाव को लेकर चर्चाएं हो रही है पर अभी प्रारंभिक चर्चाओं का दौर चल रहा है, मीडिया भी अपने नजर से चुनाव को फोकस हो रहा है, वेसी खबरे तो नहीं आ रही है पर चुनाव का आभास कराने वाले फोकस बिदु भी अखबारों में दिखने लगे है यानि चुनाव का बिंगुल अभी किसी दल ने नही बजाया है पर आम आदमी चुनाव की बात करने लगा है, नौकरशाही भी इस चाल पर नजर गडाए हुए है कुछ अफसर तो सरकार को लगातार फीडबैक भी दे रहे है इससे साफ जाहिर है कि चुनाव की गति धीरे धीर पकड रही है ।     
                                           जय हो मप्र की

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