फसलें जब लह-लहाने लगती हैं, तो किसानों के सपनों की फेहरिस्त बढ़ने लगती है। नये-नये सपने और नई दुनिया बसाने का किसान इरादा बना लेता पर किसान के सपनों पर कुठाराघात तब होता है जब प्रकृति अपना तांडव फसलों पर दिखाती है। बार-बार किसानों के सपनों को प्रकृति चौपट कर रही है। वर्ष 2000 से मौसम लगातार किसानों की जिंदगी में मनहूस बनकर दस्तक दे रहा है। कभी तेज हवाये चलती है, तो कभी ओलों की बारिश से किसानों की फसलें चौपट हो रही है। अगर प्रकृति साथ दे जाये, तो कीटाणु फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। बार-बार बदल रहे मौसम भी किसानों के लिए अबशगुन साबित हुआ है। फरवरी 2013 का महीना एक बार फिर किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। ओलावृष्टि और बारिश ने किसानों की फसलें चौपट कर दी है। राज्य के एक दर्जन जिलों की फसलें बर्बाद हो गई है जिसमें होशंगाबाद, राजगढ़, बुरहानपुर, शाजापुर, गुना, भोपाल, ग्वालियर, छतरपुर, चंबल, उज्जैन, इंदौर, खंडवा, हरदा, सीहोर आदि शामिल हैं। इन जिलों में पहले तेज हवाये चली, फिर बारिश हुई और देखते ही देखते ओलों ने फसलों को तबाह कर डाला। फिलहाल तो कृषि विभाग आकलन में जुट गया है। प्रारंभिक स्त्रोतों के अनुसार गेहूं और चने की फसलें हवा के कहर से बच नहीं पाई हैं। बड़ी मात्रा में फसलें जमीन पर लेट गई हैं। इस कहर ने मक्का, धनिया, चना आदि भी चौपट कर दिया है। नसरूल्लागंज तहसील के निकट गुरलरपुरा के किसान श्यामलाल मीणा दुखी होकर बताते हैं कि ऐसा भारी तबाही का मंजर अपने जीवन में कभी नहीं देखा है। 60 से 90 प्रतिशत फसलें बर्बाद हो गई हैं। सीहोर जिले में 200 से अधिक गांवों की फसलें नुकसान हुई हैं। शुरूआती दौर में मौसम के जानकार भी कह रहे थे कि जो रिमझिम बारिश हो रही है उससे गेहूं की फसल को लाभ होगा, लेकिन ओलों ने गेहूं को भी बर्बाद कर दिया है। इंदौर निमाड़ क्षेत्र में तो आंधी से फसलें बर्बाद हो गई हैं।
निश्चित रूपे मौसम के बदलते तेवर ने किसानों की जिंदगी में अंधेरा तो ला दिया है, लेकिन प्रकृति से किसान और वैज्ञानिक लड़ने की स्थिति में नहीं हैं। वर्ष 2000 से लगातार इसी मौसम में बारिश हो रही है। इसके लिए मौसम विशेषज्ञ अध्ययन भी कर रहे हैं। कृषि विभाग भी नये सिरे से विचार कर रहा है कि आखिरकार जब ओले पड़े, तो कैसे निपटा जाये। मप्र में खेती को उद्योग का धंधा बनाने के लिए सरकार जी-जान से जुटी हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर मप्र सरकार को सम्मानित किया है। मुख्यमंत्री ने कृषि के विस्तार हेतु कृषि कैबिनेट बनाई है। किसानों से संवाद के लिए समय-समय पर पंचायतें हो रही हैं। निश्चित रूप से किसानों की जिंदगी में खुशहाली लाने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन अभी भी जो परिणाम चाहिए वह नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसानों की जिंदगी और उनकी फसल को लेकर वैज्ञानिक ढंग से शोध करने की जरूरत है ताकि मप्र का किसान लगातार तरक्की कर सकें।
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