फिल्मों में तो हीरो कही भी छलांग लगाकर किसी भी मुसीबत से अपनी हीरोइन को बचा लेता है, लेकिन वास्तविक दुनिया में भी जनता के हीरो हमारे आसपास हैं, जो ऐसा करिश्मा कर देते हैं, जो बाकई में रियल हीरो हैं। ऐसा ही एक हादसा भोपाल में 19 फरवरी की रात्रि में हुआ, जब 10 नंबर स्टॉप स्थित हरे कृष्णा काम्पेल्स के डिपार्टमेंट के अंदर आग लग गई थी जिसमें 20 दुकाने आग की लपटों से घिरी हुई थी, 40 दमकले आग पर काबू पाने में अपने आपको सक्षम नहीं पा रही थी, इसी बीच एक मां कुसुमलता की गुहार जोर-जोर से गूंज रही थी कि मेरा बेटा विवेक दूसरी मंजिल पर फंस गया है, उसे कोई बचा ले। ऐसी स्थिति में जनता का हीरो अब्दुल हनीफ ने अपनी जान पर खेलकर निर्माण कार्य में लगे बांस के सहारे ऊपर चढ़ गया और उसने एक खिड्की पर लगे कांच को तोड्कर अंदर घुसा तभी कमरे में विवेक दुबका पड़ा हुआ था। हनीफ ने बच्चे को पैरो में फंसाया और उसे रास्ते से उतारने लगा, लेकिन तभी जमीन से करीब 20 फुट दूरी पर बच्चा पैरो से छूट गया, लेकिन संयोग देखिए, जो व्यक्ति बच्चे को उतार रहा था, उस पर पुलिस की नजर थी और वहां मौजूद सीएसपी हबीबगंज राजेश सिंह भदौरिया ने जैसे ही बच्चा गिरा, तो उसे अपने हाथो से लपक लिया और अंतत: मां को अपना बेटा मिल गया। बेटा अब सकुशल है। रियल हीरो अब्दुल हनीफ खान की इस बहादुरी पर भोपाल की पुलिस ने उसे सम्मानित करने का निर्णय किया है। भोपाल रेंज के डीआईजी डॉ0डी श्रीनिवासन वर्मा ने इस कार्य के लिए उसे सम्मानित करने का निर्णय लिया है। यह हनीफ खान इंदिरा नगर निवासी है। उसने जिस मां के लाल को बचाया है वह उसे जानता तक नहीं है, लेकिन फर्ज अदा करने का जज्वां हम सबके लिए वह वाकई रियल हीरो है और उसे बार-बार सलाम। इसमें सीएसपी राजेश भदौरिया भी बधाई के पात्र है जिन्होंने गिरते बच्चे को हाथों में थाम लिया। फिर भले ही उनके हाथ की हडडी क्यों न टूट गई है, पर उन्हें इसका कोई अफसोस नहीं है। इस रियल हीरो ने जो करिश्मा कर दिखाया वह अदभुत है।
बुधवार, 20 फ़रवरी 2013
मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013
गले की फांस बन गया है भोजशाला
भले ही प्रशासन अपनी पीठ थप-थपा ले कि उन्होंने बसंत पंचमी पर हिन्दुओं को पूजा और मुस्लमानों को नवाज पढ़वा दी हो, लेकिन एक बड़ा वर्ग इससे बेहद खफा है। इस नाराजगी का अहसास सरकार के मंत्री भी कर रहे हैं। इससे साफ जाहिर है कि भोजशाला भाजपा सरकार के लिए गले की फांस बन गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों पर विश्वास करके भोजशाला का विवाद बसंत पंचमी के दिन तो समाप्त करा दिया, लेकिन उसके बाद जो नाराजगी सामने आ रही है उसके बाद तो सरकार को अब पसीना आने लगा है। इसके बाद शिवराज सरकार के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने खुलकर प्रशासन पर तीखे बार किये हैं। विजयवर्गीय का कहना है कि बसंत पंचमी पर भोजशाला में राजधर्म का पालन तो हुआ है, लेकिन प्रशासन ने समाजधर्म नहीं निभाया। प्रशासन ने भोजशाला के बाहर लोगों को साथ ज्यादती की है। अधिकारियों की नसमझी के कारण सरकार की बदनामी हुई है। मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी होना शर्मनाक है।
जिम्मेदार प्रशासनिक अफसरों पर कार्यवाही होना चाहिए अन्यथा हजारों लोग सड़कों पर उतर आयेंगे यह चेतावनी कोई विपक्ष का नेता नहीं दे रहा है, बल्कि शिवराज सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के बोल हैं। इससे हटकर पीड़ा धार जिले के प्रभारी मंत्री महेंद्र हार्डिया की भी है। वे भी कह रहे हैं कि पुलिस ने लोगों को अकारण ही पीटा है यह चिंता का विषय है। दोनों पक्षों से बातचीत होने के कारण ऐसी नौबत क्यों आई इसका जवाब तो प्रशासन ही दे सकता है। लोगों का आक्रोश तो स्वाभाविक ही है। इसके साथ ही धार जिले की विधायक और शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री रंजना बघेल भी प्रशासन की कार्यवाही से नाराज हैं। इससे साफ जाहिर हो गया है कि धार का भोजशाला विवाद तो सुलझ नहीं पाया, बल्कि और उलझता ही जा रहा है। इंदौर की आईजी अनुराधा शंकर की भूमिका पर अब सवाल तेजी से उठने लगे हैं। उधर कांग्रेस ने भी राज्यपाल राम नरेश यादव के दरवार में जाकर एक बार फिर भोजशाला का विवाद उठाया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष ने अलग-अलग राज्यपाल से मिलकर भोजशाला परिसर में हुए घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच की मांग कर डाली है। भोजशाला का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री इन दिनों बेहद इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं उनके कैबिनेट मंत्री लगातार टिप्पणियां कर रहे हैं।
इस घटनाक्रम से हिन्दु संगठन और भाजपाई भी बेहद खफा हैं। लोगों का यहां तक कहना है कि धार की घटना का असर विधानसभा चुनाव पर जरूर पड़ेगा। इसलिए मालवांचल के मंत्री विजयवर्गीय रोजाना कोई न कोई बयानबाजी कर रहे हैं। कुलमिलाकर भोजशाला का विवाद थम नहीं रहा है और यह जरूर कोई न कोई गुल खिलायेगा। सरकार के लिए तो गले की फांस बन गया है।
''मप्र की जय हो''
सोमवार, 18 फ़रवरी 2013
मनरेगा घोटाले पर फिर केंद्रीय मंत्री खफा हुए
मध्यप्रदेश में मनरेगा योजना के घोटालों को लेकर एक बार फिर केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन खफा हो गये हैं। वे यहां तक कह गये हैं कि मनरेगा घोटाले की रकम अफसरों से वसूली जाये। यूं तो मनरेगा में करोड़ों रूपये के घोटाले हुए हैं। कई अफसरों को घोटालों के चलते राज्य सरकार ने निलंबित किया, लेकिन थोड़े दिनों बाद उन्हें बहाल भी कर दिया। यह सिलसिला लगातार चल रहा है। मप्र में मनरेगा योजना एक तरह से घोटाले की योजना बनकर रह गई है। मुख्यमंत्री भी अपने दौरों के दौरान बार-बार मनरेगा की खामियों की ओर जिला प्रशासन को इंगित करते रहे हैं और उनकी नाराजगी कलेक्टरों पर बरसी है, इसके बाद भी मनरेगा घोटाले थमे नहीं हैं। आज भी बड़वानी, धार, टीकमगढ़, छतरपुर में घोटाले सबसे ज्यादा हो रहे हैं। बड़वानी जिले में तो 100 करोड़ रूपये के घोटाले बताये जा रहे हैं। इस जिले में काम करनी वाली सामाजिक कार्यकर्ता माधुरी बहन ने जब घोटालों पर सवाल खड़े किये तो जिला प्रशासन ने उन्हें नक्सली बताकर जेल में बंद करने का फरमान जारी कर दिया। भला हो पुलिस प्रशासन का कि उन्होंने कार्यवाही नहीं की अन्यथा घोटाले की परते जस की तस रह जाती। इस जिले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के इंजीनियर लगातार जांच कर रहे हैं। 17 फरवरी, 2013 को भोपाल में केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन ने दिनभर विभाग के अफसरों से मनरेगा को लेकर विस्तार से बातचीत की। उन्होंने माना कि मनरेगा योजना में व्यापक स्तर पर घोटाले हुए हैं। जैन यहां तक कह गये हैं कि मनरेगा की राशि का मप्र में बंदरबाट हो रही है। सीधी में तो पौधो को इंजेक्शन लगाने के नाम पर पैसे निकाले गये, तो बालाघाट में अफसरों ने घरों में ही काम कर डाला। छिंदवाड़ा में बाल्टी, सब्बल और तसला खरीदे के नाम पर घोटाला हुआ है। इसी प्रकार तालाब गहरीकरण के नाम पर भी घोटाले सामने आ रहे हैं। मनरेगा योजना में घोटाले होना कोई नई बात नहीं है। पिछले सात सालों में इस योजना में कोई न कोई घोटाले सामने आते रहे हैं। ये योजना अपनी उम्र सात साल पूरी कर चुकी है, लेकिन फिर भी न तो योजना पटरी पर आ पाई है और न ही उससे विकास की कोई किरण सामने आ रही है, बल्कि घोटालों का केंद्र बिन्दु बनकर पूरी योजना रह गई है। अगर यही स्थिति बनी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब योजना को घोटाले का पर्याय कहा जाने लगेगा। मप्र में इस योजना को लेकर अपर मुख्य सचिव और विभाग की मुखिया अरूणा शर्मा लगातार अपनी गंभीरता प्रदर्शित करती हैं, लेकिन फिर भी घोटाले सामने आ ही जाते हैं।
''मप्र की जय हो''
शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013
बॉलीबुड कलाकारों का जमघट लगा भोपाल में
यूं तो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में राजनीतिक गतिविधियां से ही कभी कभार तूफान आता है, लेकिन कभी-कभी इससे हटके भी ऐसा माहौल सबब पर आता है कि हर तरफ जाने-पहचाने चेहरे भोपाल में चहुओर नजर आने लगते हैं। लंबे अरसे बार राजधानी में बॉलीबुड के कलाकारों ने अलग-अलग से डेरा जमाया है।
बच्चनपरिवार के शहंशाह अमिताभ बच्चन तो प्रकाश झा की फिल्म सत्याग्रह में अभिनव करने के लिए भोपाल में आये हैं, लेकिन उन्होंने अपने परिवार के साथ इस बार दस्तक दी है। यही वजह है कि 14 फरवरी को अमिताभ बच्चन अपनी ससुराल पहुंचे और अपनी सासु मां के साथ समय बिताया। इस मौके पर अमिताभ की सास इंदिरा भादुड़ी ने पहली बार अपनी पर नातिन एंजिल आराध्या को देखकर खुशी से फूली नहीं समाई। क्योंकि वह पहली बार भोपाल आई है और साथ में अभिषेक और एश्वर्या भी साथ आई हैं। अभिषेक बच्चन ने अपने पुराने एलबम को भी देखा। अमिताभ बच्चन समय-समय पर राजधानी में आते रहे हैं, लेकिन बहु और परनातिन के साथ पहली बार आये हैं। इसलिए उनके परिवार को खुश होना स्वाभाविक है।
शबाना आजमी भी भोपाल में :
सोशल कार्यकर्ता और फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी का भी भोपाल से गहरा नाता-रिश्ता है। उनके पतिदेव जावेद अख्तर ने अपनी शिक्षा-दीक्षा भोपाल से ही ग्रहण की है। यूं भी शबाना आजमी कई बार समय-समय पर भोपाल आती रही हैं। इस बार वे महिला हिंसा के विरोध में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंची। इस दौरान उन्होंने महिलाओं से सीधा संवाद किया ही किया, लेकिन साथ ही मीडिया से रूबरू होते हुए नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले किये। उन्होंने कहा कि यदि नरेंद्र मोदी पीएम बनते हैं, तो देश की दुनिया भर में छवि खराब होगी। उन पर लगे दाग कभी मिट नहीं सकते। शबाना आजमी आज भी एक सामान्य महिला की तरह अपना जीवन यापन करती है, लेकिन उनमें फिल्म अभिनय की छाप तो दिखती है, यही वजह है कि वे आम आदमी से भी एक्टर की तरह ही बर्ताव करती नजर आई।
शर्मिला टेगौर और भोपाल प्रेम :
नबाव पटौदी की पत्नी शर्मिला टेगौर भी वर्षो तक बॉलीबुड में लोकप्रिय अभिनेत्री रही है। उनके अभिनव की छाप बार-बार चित्र पट पर छाई दिखाई देती है। भोपाल में नबाव परिवार से जुड़ी शर्मिला टेगौर को इन दिनों बार-बार भोपाल आना पड़ रहा है, क्योंकि नबाव की सम्पत्ति किसी न किसी कारण से विवादों में है और उसे सुलझाने के लिए उन्हें बार-बार भोपाल आना पड़ रहा है। इस बार भी वे अपनी सम्पत्ति का विवाद सुलझाने के लिए भोपाल में डेरा डाले हुई हैं, लेकिन यह विवाद एक दिन में सुलझने वाला नहीं है। यह विवाद लंबा चलेगा और नबाव परिवार की सम्पत्ति कई वजहो से विवादों के घेरे में है। इस पर कई लोगों ने कब्जा किया हुआ है।
कुल मिलाकर इन दिनों भोपाल में बॉलीबुड के कलाकारों का जमघट लगा हुआ है और वे किसी न किसी माध्यम से जनता के बीच सक्रिय बने हुए हैं। भोपाल की जनता भी बॉलीबुड कलाकारों को देखने के लिए बेताब नजर आती है और इसके लिए वे जोर-आजमाईश करने में भी पीछे नहीं हैं।
''मप्र की जय हो''
''मप्र की जय हो''
गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013
रेत माफिया को नहीं रहा किसी का भय
ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश में रेत माफिया बेकाबू हो गया है और उसे किसी का डर नहीं है। यहां तक कि फील्ड में रहने वाले अफसरों पर खुलेआम हमले होने लगे हैं, तब फिर कौन रेत माफिया पर हाथ डाल पायेगा। यह बहुत गंभीर सवाल है जिस पर सरकारी मशीनरी को न सिर्फ गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, बल्कि इस बात पर भी विचार किया जाये कि आखिरकार रेत माफिया एक तरफ तो अवैध ढंग से उत्खनन करके प्रदेश की प्राकृतिक संपदा का तो दोहन कर ही रहा है साथ ही साथ राज्य की रेवन्यु के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि मप्र में पहली बार नौकरशाही पर हमले हुए हैं। इससे पहले भी समय-समय पर हमले होते रहे हैं। वर्ष 2012 में अवैध पत्थर माफिया ने एक आईपीएस अफसर नरेंद्र कुमार की जान ले ली थी। यह मामला सीबीआई के हवाले हैं। अब छतरपुर जिले में रेत माफिया ने डिप्टी कलेक्टर सपना खेमरिया को मारने का प्रयास किया है। यह घटना 13 फरवरी की है। छतरपुर जिले में गुलगंज, मजगुवां, पीरा, बकस्वाहा, राजपुरा, मऊखेरा, गोपालपुरा, विक्रमपुरा, देवरान आदि इलाकों में रेत माफिया दिनों दिन बलवान हो चुका है। जहां पर सांठगांठ से रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। जब 13 फरवरी, 2013 को छतरपुर में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर और प्रभारी खनिज अधिकारी सपना खेमरिया ने रेत का अवैध परिवहन कर रहे दो ट्रेक्टरों को रोकने की कोशिश की तो ड्राईवर राजा भैया ने उन पर ट्रेक्टर चढ़ाने का प्रयास किया। अगर सुश्री खेमरिया जल्द वहां से नहीं हटती, तो ट्रेक्टर उन पर चढ़ा दिया जाता। इसके बाद रेत ठेकेदार केपी सिंह, ट्रेक्टर मालिक अनरूद्व सिंह, आशवेंद्र सिंह, मान सिंह स्कार्पियों से आये और डिप्टी कलेक्टर को घेर लिया। उनके इरादे नैक नहीं थे जिस पर उन्हें भागना पड़ा। इस घटना से साफ जाहिर हो गया है कि रेत माफिया अब किसी को भी अपने कामकाज में हस्तक्षेप करना पसंद नहीं कर रहा है। वह हर हाल में अवैध रेत का उत्खनन करना चाह रहा है। जिसके फलस्वरूप जो भी उसके राह में बाधा बनेगा उसे रास्ते से हटाने की कोशिश माफिया कर रहा है। इससे पहले भी अलग-अलग क्षेत्रों में रेत माफिया ने हमला करने की कोशिश की है पर सरकार हर बार कार्यवाही करने का आश्वासन तो देती है, लेकिन कार्यवाही नहीं हो रही है जिसका लाभ माफिया उठा रहा है।
भोजशाला के भीतर पुलिस अफसर : हर हाल में रक्षा करना है
इंदौर के आईजी अनुराधा शंकर और आयुक्त प्रभात पाराशर |
मुख्यमंत्री के सामने आत्महत्या करने के लिए बेताब महिला
जैसे-तैसे पुलिस भैंसदेही में पुलिस ने 13 फरवरी को महिला को आत्महत्या करने से रोका |
''मप्र की जय हो''
बुधवार, 13 फ़रवरी 2013
रास आने लगा है फिल्मी कलाकारों को मप्र
धीरे-धीरे मप्र की खूबसूरती और सौंदर्यता पर बॉलीबुड के कलाकार फिदा होने लगे हैं। यही वजह है कि पिछले चार-पांच वर्षो में प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर फिल्मों की शूटिंग हो रही है। इससे यह तो साफ जाहिर हो गया है कि फिल्मी कलाकारों को भी मप्र रास आने लगा है। इसी से गद-गद होकर मप्र की सरकार फिल्म सिटी बनाने के लिए बेताब है। संस्कृति विभाग लगातार फिल्म सिटी के लिए जमीन तलाश रहा है और अभी तक जमीन नहीं मिली है, लेकिन भविष्य में फिल्म सिटी आकार लेगी। फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों को कई दृष्टिकोण से प्रदेश बेहतर लग रहा है, क्योंकि उन्हें शूटिंग के लिए अच्छे स्पोट मिल रहे हैं। इसके साथ ही हर तरह की सुविधा भी आसानी से मिल रही है। प्रख्यात फिल्म निर्माता प्रकाश झा को तो प्रदेश बेहद मुनासिब साबित हो रहा है। वे अब तक दो फिल्म की शूटिंग भोपाल में कर चुके हैं, जो कि काफी चर्चित भी रही हैं जिसमें आरक्षण और राजनीति फिल्म शामिल हैं। अब प्रकाश झा ने सत्याग्रह के नाम से नई फिल्म बना रहे हैं इस फिल्म में भूमिका 21वीं सदी के नायक अमिताभ बच्चन भी अदा कर रहे हैं और वे फरवरी माह में एक सप्ताह के लिए भोपाल आ रहे हैं। अमिताभ बच्चन इस शहर के दामाद हैं। यहां पर उनकी ससुराल है। उनकी पत्नी जया बच्चन का बचपन और जवानी भोपाल में ही गुजरी है। अमिताभ बच्चन के आने से पहले ही फिल्म की शूटिंग शुरू हो गई है। इस फिल्म में अभिनय करने वाले अजय देवगन और करीना कपूर भोपाल में प्रवेश कर चुके हैं और वे इसके लिए शूटिंग करेंगे।
मप्र सरकार पिछले एक दशक से फिल्म सिटी बनाने के लिए लालायित है, लेकिन अधिकारियों की लेट-लतीफी के चलते स्थान का चयन नहीं हो पा रहा है। मप्र में पर्यटन को आय का एक बड़ा स्त्रोत बनाया जा सकता है। उस दिशा में काम नहीं हो पा रहा है। अब फिल्म निर्माण के क्षेत्र में मप्र में संभावनाएं तेजी से विकसित हो रही है। अगर नौकरशाही इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाये तो निश्चित रूप से राज्य की जनता को तो फायदा होगा ही होगा। साथ ही प्रदेश सरकार का खजाना फिल्म निर्माण से भरेगा वही लोगों को रोजगार भी मिलेगा, लेकिन यह तभी होगा, जब सरकार तन मन से इस तरफ ध्यान दें और दक्षिण भारत की तरह मप्र में भी फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहित किया जाये। मप्र में फिल्म शूटिंग के लिए कई स्पॉट भरे पड़े हैं जिनका हम दोहन कर सकते हैं। साथ ही मप्र का गौरव भी बढ़ेगा।
मप्र की जय हो
किसानों के सपने फिर ध्वस्त, फसलें हुई चौपट
फसलें जब लह-लहाने लगती हैं, तो किसानों के सपनों की फेहरिस्त बढ़ने लगती है। नये-नये सपने और नई दुनिया बसाने का किसान इरादा बना लेता पर किसान के सपनों पर कुठाराघात तब होता है जब प्रकृति अपना तांडव फसलों पर दिखाती है। बार-बार किसानों के सपनों को प्रकृति चौपट कर रही है। वर्ष 2000 से मौसम लगातार किसानों की जिंदगी में मनहूस बनकर दस्तक दे रहा है। कभी तेज हवाये चलती है, तो कभी ओलों की बारिश से किसानों की फसलें चौपट हो रही है। अगर प्रकृति साथ दे जाये, तो कीटाणु फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। बार-बार बदल रहे मौसम भी किसानों के लिए अबशगुन साबित हुआ है। फरवरी 2013 का महीना एक बार फिर किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। ओलावृष्टि और बारिश ने किसानों की फसलें चौपट कर दी है। राज्य के एक दर्जन जिलों की फसलें बर्बाद हो गई है जिसमें होशंगाबाद, राजगढ़, बुरहानपुर, शाजापुर, गुना, भोपाल, ग्वालियर, छतरपुर, चंबल, उज्जैन, इंदौर, खंडवा, हरदा, सीहोर आदि शामिल हैं। इन जिलों में पहले तेज हवाये चली, फिर बारिश हुई और देखते ही देखते ओलों ने फसलों को तबाह कर डाला। फिलहाल तो कृषि विभाग आकलन में जुट गया है। प्रारंभिक स्त्रोतों के अनुसार गेहूं और चने की फसलें हवा के कहर से बच नहीं पाई हैं। बड़ी मात्रा में फसलें जमीन पर लेट गई हैं। इस कहर ने मक्का, धनिया, चना आदि भी चौपट कर दिया है। नसरूल्लागंज तहसील के निकट गुरलरपुरा के किसान श्यामलाल मीणा दुखी होकर बताते हैं कि ऐसा भारी तबाही का मंजर अपने जीवन में कभी नहीं देखा है। 60 से 90 प्रतिशत फसलें बर्बाद हो गई हैं। सीहोर जिले में 200 से अधिक गांवों की फसलें नुकसान हुई हैं। शुरूआती दौर में मौसम के जानकार भी कह रहे थे कि जो रिमझिम बारिश हो रही है उससे गेहूं की फसल को लाभ होगा, लेकिन ओलों ने गेहूं को भी बर्बाद कर दिया है। इंदौर निमाड़ क्षेत्र में तो आंधी से फसलें बर्बाद हो गई हैं।
निश्चित रूपे मौसम के बदलते तेवर ने किसानों की जिंदगी में अंधेरा तो ला दिया है, लेकिन प्रकृति से किसान और वैज्ञानिक लड़ने की स्थिति में नहीं हैं। वर्ष 2000 से लगातार इसी मौसम में बारिश हो रही है। इसके लिए मौसम विशेषज्ञ अध्ययन भी कर रहे हैं। कृषि विभाग भी नये सिरे से विचार कर रहा है कि आखिरकार जब ओले पड़े, तो कैसे निपटा जाये। मप्र में खेती को उद्योग का धंधा बनाने के लिए सरकार जी-जान से जुटी हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर मप्र सरकार को सम्मानित किया है। मुख्यमंत्री ने कृषि के विस्तार हेतु कृषि कैबिनेट बनाई है। किसानों से संवाद के लिए समय-समय पर पंचायतें हो रही हैं। निश्चित रूप से किसानों की जिंदगी में खुशहाली लाने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन अभी भी जो परिणाम चाहिए वह नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसानों की जिंदगी और उनकी फसल को लेकर वैज्ञानिक ढंग से शोध करने की जरूरत है ताकि मप्र का किसान लगातार तरक्की कर सकें।
मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013
पेट की खातिर बच्चे भी बिकने लगे मध्यप्रदेश में
भले ही मध्यप्रदेश की पूरी भाजपा सरकार सुबह-शाम गर्व से एक ही राग अलाप रही है कि राज्य की विकास दर लगातार बढ़ रही है। विकास का पैमाना बदल गया है। हर तरफ खुशिया ही खुशिया है पर शर्मनाम और दुखद पहलू यह है कि आज भी मप्र के हिस्सों से अगर यह स्वर सुनाई दे कि पेट की खातिर मां-बाप को अपने बच्चे बेचना पड़े, तो राज्य के विकास पर सवाल उठना स्वाभाविक है। प्रदेश में कल्याणकारी योजनाएं अनगिनत चल रही है। मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव लगातार इन योजनाओं की समीक्षाएं कर रहे हैं। लोगों को रोजगार और पलायन से रोकने के लिए महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना पिछले छह सालों से चल रही है इसके बाद भी अगर खरगौन जिले के आदिवासी परिवार अपने बच्चों को 2000 और 1500 रूपये में बेचने को तैयार है, तो यह हर मध्यप्रदेश वासी के लिए दिल दहलाने वाली घटना है। निश्चित रूप से मनरेगा ने गांव-गांव की तस्वीर बदली है, लेकिन फिर भी खरगौन जिले के एक गांव झिरिन्या के दो बच्चों को पेट की खातिर बेचने के मामले ने मनरेगा पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं। इससे पहले बुंदेलखंड में गरीबी और बेरोजगारी के कारण बच्चियों के बेचने के मामले सामने आये थे, तब भी राज्य के राजनेताओं ने इस मामले में न तो दिलचस्पी दिखाई और न ही कोई पहल की। यही वजह है कि आज भी हम गरीबी और भूखमरी के बीच जीने को विवश हैं। भले ही सपने स्वर्णिम राज्य बनाने के देख रहे हों। लेकिन यथार्थ कुछ और ही है। खरगौन जिले का जिला प्रशासन बेखबर है, न तो उसे बच्चों के बेचे जाने की सूचना है और न ही उन सूचनाओं को गंभीरता से अभी लिया गया है। कलेक्टर डॉ0नवनीत मोहन कोठारी ने अपने जनपद पंचायत सीईओ को निर्देश दिये हैं कि वे मनरेगा के तहत गांव की स्थिति का पता करें। पुलिस को भी कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं। भला हो राजस्थान के कोटा स्थित गैर सरकारी संगठन टावर बसेरा के कार्यकर्ताओं ने ग्राम झिरिंया के दो बच्चों दस वर्षीय दिलीप और आठ वर्षीय रूपाल सिंह को उनकी मां जमुना बाई तथा पति रूप सिंह के सुपुर्द कर दिया है। यह बच्चे मां-बाप ने भेड़ चराने वाले को दो वर्ष पहले बेच दिया था। दुखद पहलू देखिए कि बच्चे बेचने के बाद मां-बाप को पैसे नहीं मिले हैं। बार-बार बच्चे खरीदने वाला कहता है कि हम पैसे दे देंगे। मां-बाप ने यह बच्चे भेड़ चराने के लिए बेचे थे। निश्चित रूप से घटना चिंतनीय है। खरगौन निमाड़ अंचल का एक पापुलर जिला है जहां से सहकारी नेता सुभाष यादव अपनी राजनीति चमका चुके हैं और अब उनके बेटा अरूण यादव राजनीति कर रहे हैं। भाजपा में भी दिग्गज नेता है। इसके बाद भी अगर इलाके के ग्रामीण अंचलों से बच्चे पेट की खातिर बेचे जा रहे हैं तो यह राजनेताओं के लिए तो बेहद ही कलंकित करने वाला विषय है। निश्चित रूप से उन्हें अपनी राजनीति और उन तथ्यों पर सोचना चाहिए जिसकी वजह से यह नौबत बनी है। मप्र के लिए तो और भी शर्मनाक है । ऐसी तस्वीर अगर हमारे सामने आई है, तो भयावह है जिसका सामना सबको मिलकर करना होगा। सरकार को तो तेज दौड़ लगाने होगी, तभी हम इस प्रकार के शर्मनाक पहलू को थाम पायेंगे।
मप्र की जय हो
सोमवार, 11 फ़रवरी 2013
मध्यप्रदेश को यूं भी देखें
मध्यप्रदेश में रोजाना राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियां होने के साथ-साथ धार्मिक और अध्यात्मिक कार्यक्रम भी सतत होते हैं। इन्हीं कार्यक्रमों की बानगी यहां चित्रों के जरिए प्रस्तुत है -
मौनी अमावस्या पर जबलपुर का नर्मदा तट के ग्वारीघाट में डुबकी लगाते लोग |
100 साल का सिनेमा पर भोपाल में भी हो रहे हैं कार्यक्रम |
नृत्य प्रस्तुती देते कलाकार |
भगवा झंडे के साथ रैली निकालना अब आम बात |
भाजपा कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार |
शिवराज और उमा भारती के बीच दूरिया कम हुई
राजनीति में कोई किसी का दुश्मन नहीं होता है। वक्त-वक्त के साथ राजनीति भी अपना चेहरा बदलती रहती है। बदलते दौर में राजनेता भी समय के अनुसार बदलाव करने में एक पल की देरी भी नहीं करते। अब देखिए न मध्यप्रदेश में भाजपा की राजनीति में गहरे तक प्रवेश कर चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के बीच अब फिर दूरिया कम होने लगी हैं। पिछड़े वर्ग की राजनीति करते-करते दोनों आज राजनीति के शिखर पर हैं। बस रास्ते अलग-अलग हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की बागडोर संभाले हुए हैं, तो पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती राजनीति में गोते लगाते-लगाते उत्तरप्रदेश की राजनीति की धारा बदलने की जद्दोजहद में लगी हुई हैं। मध्यप्रदेश में वर्ष 2003 में कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने में कामयाब रहने वाली साध्वी उमा भारती बमुश्किल 8 महीने ही मुख्यमंत्री रह पाई थी और उनके बाद बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने और उसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। इसके बाद चौहान ने पीछे पलटकर नहीं देखा और वे आज तीसरी बार राज्य में सरकार बनाने का सपना पाले हुए हैं। दूसरी बार तो उन्होंने अपने दम-खम पर 2008 में सरकार बना ली थी, लेकिन तीसरी बार 2013 में चुनौतियों की लंबी कतार है। ऐसी स्थिति में चौहान ने राजनीतिक पांसा थोड़ा से पलटा है और अब वे अपने विरोधियों को भी गले लगाने में एक पल भी हिचक नहीं रहे हैं। यही वजह है कि 9 फरवरी, 2013 को होशंगाबाद जिले में नर्मदा समग्र पर चल रहे सेमीनार में चौहान और उमा भारती एक मंच पर थे। इस दौरान चौहान और भारती के बीच गुप्तगू भी हुई। दोनों खूब खिल-खिलाए भी जिसकी तस्वीरे मीडिया में चमकी भी पर राजनीतिक पंडितों को इस पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ। क्योंकि राजनीति में हर पल तो बदलाव होता है। भाजपा में वापसी के बाद उमा भारती चौहान की पहली बार एक मंच पर मौजूदगी थी। इससे पहले 2012 में यूपी चुनाव के दौरान चौहान और शिवराज के बीच मुलाकातें हुई हैं, लेकिन आमना-सामना ही हुआ है और मंच पर कम बैठे हैं। इस बार दोनों की मुलाकात नदी महोत्सव में होने से साफ जाहिर है कि कहीं न कहीं मामला भीतर ही भीतर कुछ पक रहा है।
उमा भारती संघ परिवार से बेहद निकट से जुड़ी हुई हैं और संघ परिवार अब उमा भारती को मुख्य धारा में लाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है। ऐसी स्थिति में उमा भारती ने भी पुराने गिला-शिकवा भुलाकर अब फिर से अपनी नई राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश कर रही हैं। निश्चित रूप से मप्र की राजनीति में उमा और शिव की जोड़ी अगर भविष्य में बनती भी है, तो यह भाजपा के लिए सुखद ही होगा, जो कि चुनाव में भी वोट प्रतिशत तो बढ़ायेगा ही। ऐसी स्थिति में अगर दो दुश्मन गले मिल जाये, तो फिर राजनीति तो होगी ही। यही उमा और शिव के मुलाकात में हुआ होगा। इस पर ज्यादा गहराई से जाने की जरूरत नहीं है।
''मप्र की जय हो''
गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013
मप्र में धनकुबैर अफसर, आय से अधिक दौलत बनाई
मध्य प्रदेश में इन दिनों सरकारी रूतबे का लाभ लेकर दौलत कमाने वालों की शामत आई हुई,लोकायुक्त पुलिस ऐसे अफसरों के यहां छापे मारकर करोडो की संपत्ति जप्त कर रही है, यह सिलसिला एक साल से लगातार चल रहा है, अभी तक तो आईएएस दपंत्ति जोशी के किस्से जहां तहां सुनाई देते थे पर अब तो आईएफएस अफसर बसंतकुमार सिंह के यहां से करोडों की संपत्ति मिली है, फिलहाल तो लोकायुक्त पुलिस आकलन कर रही है पर प्रारंभिक आकलन खतरनाक है, ऐसा कहा जा रहा है कि पचास से सौ करोड के मालिक आईएफएस है जिन्होने जंगल के बल पर ऐसी संपत्ति एकत्र की है, मप्र में भ्रष्टाचार का ऐसा जंगलराज पहली बार सामने आ रहा है, इन महाशय के दामन में वर्षो से दाग लगते रहे है पर पकड में पहली बार आए है, वाकई मप्र में अफसरशाही बेहद हावी है जिसके चलते वे मनमर्जी से दौलत कमाने में पीछे नहीं रहते है और राज्य की संपत्ति का अपनी संपत्ति समझकर खूब लूटते है, ऐसा नहीं है कि अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर ही भ्रष्ट है, आजकल तो जिसे मौका मिल रहा है वे अफसर लूट में डूबा हुआ है हाल में बिजली कंपनी में बाबू के रूप में काम करने वाले के यहां से करोडों की संपत्ति लोकायुक्त जप्त कर चुका है।
भ्रष्टाचार का जंगलराज -
मप्र में भष्टचार चरम पर पहुंच गया है, इसके चलते जो भी योजनाएं सरकार बना रही है उसमें जमकर लूट हो रही है,दुखद पहलू यह है जांच एजेंसियां जाचं तो कर लेती है पर उन अफसरों पर कारवाई में देरी होती है जिसके चलते अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने की छूट मिली हुई है,सबसे चौकाने वाली बात तो यह है कि अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर अक्सर बडी ईमानदारी और हेकडी दिखाकर काम करते है पर जब आय से अधिक संपत्ति का पता चलता है और ऐसे गौरखधंधे मे लिप्त पाए जाते है तो आम आदमी का विश्वास प्रशासनिक सेवा से टूटता ही है जो कि दिन प्रतिदिन का किस्सा होता जा रहा है, मप्र में दक्षिण भारत में निवास करने वाले आईएएस अफसरों को ज्यादा भ्रष्ट कहा जाता है जो कि कई बार साबित भी हुआ है एक आईएएस है जिन्होंने जीवन खूब कमाया और अपने मित्र को खजाना भ्ररा अब सेवा समाप्ति के बाद दोनों आनंद का जीवन लूट रहे है
आईएफएस अफसर के यहां मिला खजाना -
6 फरवरी को लोकायुक्त ने आईएफएस अफसर के यहां मारे छाने में करोडो का खजाना पकडा है, पुलिस ने भोपाल एवं उज्जैन में एक साथ छापा मारा है, ऐसे धनकुबेर के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने संपत्ति राजसात करने का कानून बना रखा है पर अभी तक किसी बडे अफसर की संपत्ति राजसात नहीं की है, शायद जोशी दपंत्ति की संपत्ति को राजसात करने की चर्चाएं है पर वर्तमान में तो आईएफएस अफसर सिंह के यहां जो सपत्ति मिली है वे बेहिसाब है उस पर आश्चर्य ही होता है
-खुद की खरीदी 227 बीघा जमीन
- घर से आठ लाख रूपए नगद मिले
- बनारस में एक पेटोल पंप भी मिला
- चूना भटटी में आलीशान भवन
- भोपाल में एक फार्म हाउस मिला
- यूपी में ससुर और पत्नी के नाम होटल
- यूपी में एक मेरिज गार्डन
- घर से 55लाख की एफडी और 15 बैक खाते
- एक किलो सोना, एक रिवाल्वर के साथ आदि
निश्चित रूप से यह तो एक बानगी है अभी तो और भी चेहरे उजागर होना है इन महाशय अधिकारी के यहां से अभी और भी कारनामे उजागर होंगे पर बात तो तब बने जब सरकार इन्हें सडक पर ला दें जो कि फिलहाल संभव नहीं है क्योंकि अब अखिल भारतीय सेवा के एक अधिकारी एक बार फिर से अपने बचाव में उतर आएगे और मप्र यूं ही लूटता रहेगा
जय हो मप्र की
बुधवार, 6 फ़रवरी 2013
MPraag: अब धीरे धीरे जागने लगी है लोगों में उत्सुकता किस ...
MPraag: अब धीरे धीरे जागने लगी है लोगों में उत्सुकता किस ...: यूं तो अभी मप्र विधानसभा का दंगल शुरू होने में आठ माह बाकी है पर अभी से लोगों में यह उत्सुकता तेजी से जागने लगी है कि किस दल की सरकार मप...
अब धीरे धीरे जागने लगी है लोगों में उत्सुकता किस दल की बनेगी मप्र में सरकार
यूं तो अभी मप्र विधानसभा का दंगल शुरू होने में आठ माह बाकी है पर अभी से लोगों में यह उत्सुकता तेजी से जागने लगी है कि किस दल की सरकार मप्र में बनेगी, क्या तीसरी फिर से भाजपा अपनी सरकार बरकरार रख पाएंगी अथवा विपक्ष की भूमिका दस साल से अदा कर रही है कांग्रेस का सत्ता में आने का मौका मिलेगा पर जो हालात वर्तमान कांग्रेस शिविर में है उससे कई सवाल उठ रहे है, अब चाहे शादी विवाह का उत्सव का मौका या जन्म दिन का जश्न अथवा दुखद पल किसी भी क्षण का, पर लोग अगली सरकार किसकी बनेगी यह सवाल करते नजर आ ही जाते है अब ऐसे स्थानों पर भी चर्चाएं हो जाती है जहां पर सामान्यत चुनाव पर चर्चा न हो तो बेहतर है पर लोगों का नजरिया मप्र में बदला है, हर तरह हो रहे बदलाव की वजह से आम आदमी के सोच में परिवर्तन हो रहा है।
मप्र में नवंबर माह में विधानसभा जंग होनी है, इससे पहले कांग्रेस और भाजपा अपनी रणनीति बनाने में जुट गए है सबसे सक्रिय सरकार है, सरकार के मुखिया ने चुनाव पर आधारित अभियान चला दिए है जिस पर पूरा ध्यान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का है, वे लगातार पंचायतों का आयोजन करके अपनी छवि में तो चार चांद लगा ही रहे है पर उनके साथ भाजपा संगठन कदम ताल कर रहा है संगठन की आवो हवा बदल गई है, वहां भी नरेंद्र सिंह तोमर धीरे धीरे संगठन को गति दे रहे है फिलहाल कांग्रेस की चाल में खासी तब्दीली नहीं आई है पर ऐसा लगता हैकि कांग्रेस में भीतर ही भीतर बेचैनी तो नजर आ रही है कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की शपथ भी इसी साल खत्म हो रही है ऐसी स्थिति में कांग्रेस की चाल में तेजी तो आएगी पर यह कब आएगी यह अभी किसी को नहीं मालूम है जबकि सरकार की तरफ रोजाना मुददे विपक्ष को मिल रहे है तब भी जैसी सक्रियता की आम आदमी अपेक्षा कर रहा है उस पर कांग्रेस खरी नहीं उतर रही है इस वजह से हर तरफ होने वाली चर्चाओं से कांग्रेस को कम ही नंबर मिल रहे है, भाजपा सरकार और संगठन तो अपने स्तर पर गोपनीय सर्वे भी करा रहे है, इस बार तीसरी ताकत के दल भी अभी से जोर मार रहे है बसपा का अपना अभियान चल पडा है, यूंतो मप्र में दो दलीय व्यवस्था जड जमा चुकी है पर समय समय पर तीसरी ताकत के दलो ने भी अपना जादू दिखाया है इस कारण चुनाव को लेकर चर्चाएं हो रही है पर अभी प्रारंभिक चर्चाओं का दौर चल रहा है, मीडिया भी अपने नजर से चुनाव को फोकस हो रहा है, वेसी खबरे तो नहीं आ रही है पर चुनाव का आभास कराने वाले फोकस बिदु भी अखबारों में दिखने लगे है यानि चुनाव का बिंगुल अभी किसी दल ने नही बजाया है पर आम आदमी चुनाव की बात करने लगा है, नौकरशाही भी इस चाल पर नजर गडाए हुए है कुछ अफसर तो सरकार को लगातार फीडबैक भी दे रहे है इससे साफ जाहिर है कि चुनाव की गति धीरे धीर पकड रही है ।
जय हो मप्र की
रविवार, 3 फ़रवरी 2013
मध्यप्रदेश का सम्मान बढ़ाया महिला सरपंच ने
मध्यप्रदेश का सम्मान महिला सरपंच श्रीमती हेमलता वाडिवा ने मनरेगा में काम करके बढ़ाया है। यह महिला जनप्रतिनिधि श्रीमती वाडिवा ने मनरेगा में भ्रष्टाचार की आंधी को रोककर विकास को नये रास्ते दिखाये हैं, जो कि भविष्य के लिए एक शुभ संकेत है। यूं तो मनरेगा को लेकर मध्यप्रदेश बेहद बदनाम है। इस योजना के अंतर्गत करोड़ों के घोटाले सामने आ चुके हैं। समय-समय पर जांचे भी हुई हैं, लेकिन इन घोटालों के स्वर के बीच एक अच्छी खबर भी है। मनरेगा के आठ साल पूरे होने पर बैतूल जिले की ग्राम पंचायत सरपंच श्रीमती हेमलता वाडिवा को मनरेगा में श्रेष्ठ कार्य करने पर 01 फरवरी को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सम्मान किया। यह पुरस्कार देश की 11 ग्राम पंचायतों को दिया है जिसमें मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की ग्राम पंचायत साकादेही भी शामिल है। इस महिला सरपंच श्रीमती वाडिवा ने ऐसे काम किये हैं, जो पंचायत के लिए मिसाल बन गये हैं। इस पंचायत की कुल आबादी 2136 है। वर्ष 2011-12 में मनरेगा के अंतर्गत 14 कपिलधारा कूप निर्माण कर 17 हैक्टेयर जमीन में सिंचाई उपलब्ध करवाने के साथ-साथ 8 हितग्राहियों को विभिन्न प्रजाति के 860 पौधे रोपित करने का कीर्तिमान बनाया है। वही दूसरी ओर निर्मलनीर पेयजल कूप योजना में 25 परिवार को पेयजल सुविधाएं दी गई। पंचायत क्षेत्र में खेल भावना विकसित करने के लिए बच्चों को खेल-कूद सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। वृक्षारोपण कार्य से 20 महिलाओं के समूह को जोड़कर उन्हें अजीविका सृजन में मदद की है। इस पंचायत ने पंच परमेश्वर योजना के तहत सीमेंट-कांक्रीट सड़क का निर्माण कर यातायात को सुगम बनाया है। दो ग्रेवल सड़कों का निर्माण कर तीन गांव में बेहतर आवागमन सुविधा विकसित की है। पंचायत ने 3 से 4 परिवारों को 17 हजार दिन का रोजगार भी मुहिया कराया है। निश्चित रूप से यह महिला अपने काम के जरिये मप्र के गौरव को बढा रही है। इस महिला सरपंच ने वह काम करके दिखा दिया है, जो कि भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा।
शनिवार, 2 फ़रवरी 2013
मप्र में महिलाएं असुरक्षित गैंगरेप और बलात्कार थम नहीं रहे
मध्यप्रदेश में लगातार महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है, जो कि न सिर्फ दुखद है, बल्कि अफसोसजनक भी है। राज्य सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए त्वरित न्याय कर सजा देने के निर्देश हैं, इसके बाद भी बलात्कार और गैंगरेप की घटनाएं लगातार हो रही हैं। यहां तक कि ऐसी घटनाएं भी हो रही है, जो शर्मनाक हैं। विदेशी महिला के साथ रिसोर्ट में बलात्कार हो जाता है, तो मासूम बच्ची के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी जाती है। मुरैना में गैंगरेप की घटना सामने आई है। ये घटनाओं दिल और दिमाग दहलाने वाली हैं। दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं से संबंधित मामलों पर तत्काल आरोपियों को पकड़कर सजा देने के प्रावधान तय किये हैं, लेकिन इसके बाद भी घटनाएं थम नहीं रही हैं। किसी न किसी शहर में ऐसी वारदाते हो रही हैं, जो कि नहीं होनी चाहिए। पुलिस ऐसी वारदातों को रोकने के लिए ऐसे कोई कदम भी अभी तक नहीं उठाये हैं जिससे साबित हो कि प्रदेश की महिलाएं न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि उनके साथ कोई दुखद घटना न हो। यह भी एक विचारणीय पहलू है कि पुलिस घर-घर तो सुरक्षा दे नहीं सकती है। अगर महिला के साथ कही वारदात होती है, तो फिर अगर कार्यवाही नहीं की जाये, तो फिर पुलिस को दोषी ठहराया जाये। प्रदेश में नये साल में महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो कि शर्मनाक है। यह प्रस्तुत हैं चुनिंदा घटनाएं :-
- पिशाच बना पिता का दोष : खंडवा जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर सुरगांव जोशी में एक 9 वर्षीय आदिवासी मासूम बच्ची के साथ पहले रेप किया गया फिर आरोपी ने उसकी आंख फोड़कर हत्या कर दी। आरोपी मृतक बच्ची के पिता का दोस्त है। दोनों साथ-साथ मजदूरी करते थे।
- किशोरी के साथ गैंगरेप : मुरैना जिले के मातावसैया थाने के अंतर्गत 14 वर्षीय किशोरी के साथ गैंगरेप का मामला उजागर हुआ है। इस नाबालिग किशोरी को बहला-फुसलाकर सूने स्थान पर ले जाकर उसके साथ तीन युवकों ने सामूहिक बलात्कार किया। बलात्कार का विरोध करने पर आरोपियों ने किशोरी के साथ मारपीट भी की जिसके कारण वह बुरी तरह से जख्मी भी हो गई है। दो आरोपी गिरफ्तार हो गये हैं।
- विदेशी महिला से दुष्कर्म का मामला सुर्खियों में : भाजपा विधायक नागेंद्र सिंह के बेटे दुष्यंत सिंह ऊर्फ बब्बी के रिसोर्ट में उत्तर कोरियाई छात्रा के साथ दुष्कर्म का मामला गंभीर हो गया है। इस मामले में पुलिस ने पहले तो मामला ही दर्ज नहीं किया। दो दिन बाद युवती ने 14 जनवरी को महाराष्ट्र की औरंगाबाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था। दुखद पहलू यह है कि उमरिया पुलिस ने छात्रा का मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया था। इस पूरे मामले में होटल का मैनेजर दोषी पाया गया है साथ ही होटल का रिकार्ड भी गायब कर दिया गया। होटल मैनेजर दीपक विश्वकर्मा को मंडला से हिरासत में ले लिया गया है। अब पुलिस विदेशी युवती को लेकर फिर से मप्र उमरिया आ गई है। इस मामले की तफतीस की जा रही है।
- सरकारी अस्पताल में दुष्कर्म : 01 फरवरी, 2013 को ग्वालियर के गजराजा मेडीकल कॉलेज के जयारोग्य अस्पताल के स्टोरकीपर जगदीश कढेरे ने दवा के बहाने स्टोर में ही महिला के साथ दुष्कर्म किया। यह महिला दवा लेने गई थी, लेकिन स्टोरकीपर ने उसे दवा के बहाने अपनी हवश का शिकार बना लिया। बाद में महिला की शिकायत पर स्टोरकीपर को गिरफ्तार कर लिया गया। जब महिला के साथ बलात्कार हो रहा था तब अस्पताल में चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा नि:शुल्क दवा वितरण के कार्यक्रम का उदघाटन कर रहे थे।
इन घटनाओं से साफ जाहिर है कि मप्र में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। अफसोसजनक स्थिति यह है कि जनवरी के अंतिम और फरवरी के प्रथम सप्ताह की हैं। इन घटनाओं के बाद भी महिला नेत्रियों का खून क्यों नहीं खोलता है यह समझ से परे है। किसी भी स्तर पर कोई भी विरोध नहीं हो रहा है और न ही आक्रोश जाहिर किया जा रहा है। मीडिया में जरूर खबरे तूल पकड़ रही है।
''मप्र की जय हो''
शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013
अटूट प्रेम : 80 वर्ष के प्रेमी की रासलीला
प्रेम में उम्र की कोई सीमा नहीं होती है। प्रेम कभी भी किसी के साथ भी हो सकता है। प्रेम की रासलीला के कई हिस्से सुनने को मिलते हैं, लेकिन मप्र के नर्मदा अंचल किनारे बसे गाडरवाड़ा के निकट महगंवा कला गांव का 80 वर्षीय बुजुर्ग अपने प्रेम में इस कदर डूबा कि वह अपनी प्रेमिका को मानने के लिए उसकी छत पर ही जाकर चढ़ गया। यह दृश्य यूं तो फिल्म शोले के वीरू की याद दिलाता है पर वीरू तो शराब के नशे में पानी की टंकी पर चढ़ गया था और शादी की रट लगाये हुए था, जब मौसी ने मनाया तब जाकर कहीं वीरू उतरा। गांव में इस बुजुर्ग के प्रेम की तस्वीर ही कुछ निराली थी। 80 वर्ष की बुजुर्ग जालम सिंह जब अपनी प्रेमिका के छत पर चढ़ा, तो न शराब पीए था और न ही अन्य कोई नशा किए हुए था, बस उसका एक ही राग था कि उसकी प्रेमिका उसके साथ चले। जब 70 वर्ष की बुजुर्ग प्रेमिका उससे रूठकर घर आ गई, तो प्रेमी बुजुर्ग ने भी उसकी छत पर जाकर आंदोलन शुरू कर दिया। इससे गांव वाले परेशान हो गये। कई बार उसे उतारने के लिए मनुहार की, लेकिन वह नहीं माना। दिन भर छत पर डटा रहा, जब शाम हुई, तो पुलिस को बुलाया गया और पुलिस ने अपनी बर्दी और डण्डे के बल पर 80 साल के प्रेमी को छत से नीचे उतारा। उसके बाद भी प्रेमी अपने प्रेम के विरह में डूबे हुए गीत गुन-गुना रहा था और पुलिस से एक ही बात कह रहा था कि उसे उसकी प्रेमिका से मिलवा दिया जाये। यहां दिलचस्प कहानी यह है कि 80 साल के बुजुर्ग को एक विधवा महिला से प्रेम हो गया है, जो कि उम्र में 70 साल की है और बुजुर्ग की पत्नी भी नहीं है, ऐसी स्थिति में दोनों के बीच लंबे समय से प्रेम-प्रसंग चल रहा था जिस पर गांव वालों ने भी सहमति दे दी थी। बुजुर्ग महिला की बहू का कहना है कि उसकी सास को परेशान किया जाता है इसलिए वह छोड़कर आ गई है। अब गांव वाले दोनों प्रेमी-प्रेमिकाओं को मिलाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं और दोनों की मेल-मुलाकात भी धीरे-धीरे हो रही है, लेकिन यह दोनों प्रेमी अभी स्थाई रूप से नहीं मिले हैं जिसकी संभावनाएं हैं कि वह शीघ्र ही मिल जायेंगे, लेकिन इस अजूबे प्रेम की कहानी हर तरफ चर्चा का विषय बनी हुई है। इसलिए तो कहा जाता है कि प्रेम की उम्र और पांव नहीं होते जो कभी भी कहीं भी नजर आ जाता है।
''मप्र की जय हो''
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