मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी का नेत़त्व न चाहते हुए भी बार बार राज्य से जुडे केंद्रीय मंत्रियों की भूमिका पर सवाल उठाना पड रहा है। अमूमन पार्टी के मुखिया प्रभात झा की मंशा केंद्र सरकार पर तींखे हमले की हमेशा रही है और वे ऐसा कोई राजनीतिक अवसर नहीं छोडते हैं, जब केंद्र सरकार पर प्रहार न करें। यही स्थिति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की है। चौहान ने बार बार केंद्र की उपेक्षा का सवाल उठाकर राज्य की जनता में यह संदेश देने में कामयाब हो गये है कि केंद्र सरकार मध्यप्रदेश के साथ भेदभाव कर रही है। संगठन और सरकार रणनीति के तहत ऐसे समय बयान देते हैं, जब राज्य किसी न किसी संकट से घिरा होता है। तब आम आदमी को एहसास होने लगता है कि बाकई में केंद्र सरकार मध्यप्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। यह सच है कि शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, सड्क, बिजली, कोयला, रेल सेवा, वायुयान सेवा में मध्यप्रदेश के साथ हमेशा दोयम दर्जे का व्यवहार केंद्र ने किया है, अन्यथा पांच दशक की यात्रा के बाद भी आज भी राज्य के कई इलाकों में रेल सेवा को लोगों ने देखा नहीं है। इससे साफ जाहिर है कि केंद्र सरकार ने कभी भी उन लोगों को मुख्य धारा से जोडने का प्रयास ही नहीं किया जो कि लंबे समय से रेल व वायुयान सेवा का वेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसके लिए उन्ा क्षेत्रों के जन प्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं। मालवा, बुंदेलखण्ड, विंध्य के विभिन्न इलाकों में वर्षो बाद भी रेल सेवा का सुख लोगों ने नहीं भोगा है। यह सच है कि मध्यप्रदेश से जुडे कई दिग्गज नेता सभी पार्टियों के केंद्र में मंत्री पद पा चुके हैं, लेकिन उन नेताओं ने भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया जिसकी सजा जनता भुगत रही है।
अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोला है। झा कहते हैं कि मध्यप्रदेश से केंद्र में प्रतिनिधित्व करने वाले चारो केंद्रीय मंत्रियों को राज्य की सात करोड जनता की कोई चिंता नहीं है। इस राज्य से दो केंद्रीय मंत्री कमलनाथ और कांतिलाल भूरिया और राज्यमंत्री के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया व अरूण यादव है। यह चारो मंत्री अपने अपने इलाकों में सक्रिय उपस्थिति तो दर्ज करा रहे हैं, लेकिन समुचे प्रदेश के लिए कोई बडी योजना नहीं ला पाये हैं। केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करते है और वे बार बार पटटे में पक्षपात का आरोप भी लगाते हैं, लेकिन आज तक उन्होंने राज्य के किसी भी हिस्से में जाकर नहीं देखा कि आखिरकार आदिवासियों को पटटे क्यों नहीं मिल रहे हैं। यही हाल अन्य केंद्रीय मंत्रियों का है, जो कि अपने विभाग की केंदीय योजनाओं तक का आकलन नहीं कर रहे है। जबकि दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य के हर हिस्से में दौरा कर सरकार की योजनाओं के न सिर्फ समीक्षाएं कर रहे हैं, बल्कि उसका आकलन भी समय समय पर कर रहे है। चौहान भी केंद्र सरकार पर हमला करने का कोई मौका हाथ से नहीं देना चाहते है। अब इस मुहिम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा भी शामिल हो गये है। झा ने भी केद्रीय मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। कुल मिलाकर एक बार फिर केंद्र और राज्य के बीच मतभेद की दीवार खडी होने लगी है।
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