मध्यप्रदेश को एक बार फिर से विभाजित करने की योजना पर राजनैतिक चौसर बिछना शुरू हो गई है। क्या यह माना जाये कि एक दशक बाद फिर से मध्यप्रदेश को विभाजन की पीडा भोगनी पडेगी। इस बार फिर से कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश को विभाजित करने की दिशा में 30 अप्रैल को एक कदम आगे बढकर बुंदेलखण्ड राज्य बनाने के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग बनाने के संकेत दिये हैं। लंबे समय से बुंदेखण्ड राज्य बनाने की मांग उठती रही है, लेकिन दिग्विजय सिंह ने राज्य बनाने के जो संकेत दिये हैं उससे प़थक राज्य बनाने के अभियान में जुडी ताकतों को बल ही मिलेगा। इससे पहले दिग्विजय सिंह ने वर्ष 2000 में छत्तीसगढ राज्य बनाने में अहम भूमिका अदा की थी। छत्तीसगढ राज्य आज एक दशक का सफर तय करने के बाद भी वहां के बाशिंदे और उनका नेतत्व करने वाले जनप्रतिनिधि भी बार बार मध्यप्रदेश आकर दुखी मन से स्वीकार करते हैं कि छत्तीसगढ राज्य हंसी-ठिठौली में आकार ले लिया, लेकिन अभी भी मध्यप्रदेश बार बार लुभाता है । इससे साफ जाहिर है कि छोटे राज्य की जो परिकल्पना की गई थी वह सही साबित नहीं हुई है। दिग्विजय सिंह के एलान के बाद प़थक बुंदेखण्ड राज्य बनाने की मांग निश्चित रूप से जोर पकडेगी इस राज्य को बनाने के लिए मध्यप्रदेश के आधा दर्जन जिले सागर, छतरपुर, टीकमगढ, दमोह, पन्ना, दतिया आदि शामिल होंगे। तब फिर मध्यप्रदेश का क्या अस्तित्व रह जायेगा यह सवाल तेजी से गूंजने लगा है। इसके अलावा प़थक विंध्य राज्य, महाकौशल, मालवा, गौडवाना राज्य आदि बनाने की मांग भी जब तब उठती रही हैं। अगर इसी तरह से छोटे-छोटे राज्य बनाने की मांग ने जोर पकडा तो मध्यप्रदेश न तो विकास के आयाम स्थापित कर पायेगा और न ही अन्य राज्यों से आगे निकल पायेगा। राजनेताओं को इस बात पर विचार करना ही होगा कि मध्यप्रदेश को अब टुकडो में न बांटा जाये, अन्यथा इसके परिणाम घातक होंगे। यह भी हो सकता है कि भविष्य में मध्यप्रदेश में एक छोटे से टापू के रूप में हम अपने अस्तित्व से जुझते नजर आये। अभी भी वक्त है कि राजनेताओं को छोटे राज्य की मुहिम चलाने की वजह मध्यप्रदेश के विकास पर ध्यान देना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
EXCILENT BLOG