मंगलवार, 10 मई 2011

मध्यप्रदेश गान

सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

विंध्याचल सा भाल नर्मदा का जल जिसके पास है,
यहां ज्ञान विज्ञान कला का लिखा गया इतिहास है।
 
उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न, सम्पदा जहां अशेष है,
स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित मेरा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

चंबल की कल-कल से गुंजित कथा तान, बलिदान की,
खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की।
 
भीमबैठका आदिकला का पत्थर पर अभिषेक है,
अमृत कुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।

क्षिप्रा में अमृत घट छलका मिला कृष्ण को ज्ञान यहां,
महाकाल को तिलक लगाने मिला हमें वरदान यहां। 
 
कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विषेश है,
ह्रदय देश का है यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

  • गीत के रचनाकार-महेश श्रीवास्‍तव, वरिष्‍ठ पत्रकार
  • गायक-शान शांतनु मुखर्जी, बॉलीबुड का युवा गायक 
  • संगीत रचना-सुनील झा
  •  मध्‍यप्रदेश की स्‍थापना के पांच दशक से अधिक का सफर तय कर चुके राज्‍य में पहली बार मध्‍यप्रदेश गायन तैयार करने की पहल वर्ष 2008 और 2009 से शुरू हुई। गीत तैयार कराने के लिए प्रदेश के जाने-माने गीतकारो से अलग-अलग गीत लिखाये गये और अंतत: मध्‍यप्रदेश के वरिष्‍ठ पत्रकार महेश श्रीवास्‍तव के गीत पर सहमति बनी। अब यही गीत राज्‍य में हर सरकारी कार्यक्रम में गाया जाता है। इस गीत का व्‍यापक प्रचार-प्रसार हो रहा है। यह गीत मध्‍यप्रदेश में वर्ष 2010 से गाया जा रहा है। मध्‍यप्रदेश की स्‍थापना के बाद पहली बार भाजपा सरकार में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर मध्‍यप्रदेश का गायन तैयार किया गया। मध्‍यप्रदेश संस्‍क़ति विभाग इस गीत को प्रयाण गीत के नाम से प्रचारित कर रही है। मध्‍यप्रदेश से प्रेम, लगाव, जुडाव का एहसास गीत कराता है।                        
  • आंखों को लुभाता द़श्‍य : यह द़श्‍य प्रदेश की धार्मिक नगरी ओंकारेश्‍वर का है। राज्‍य में जहां तहां नदियां, पहाड, जंगल का जाल फैला हुआ है, जो कि राज्‍य की पहचान है।

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