मंगलवार, 6 अगस्त 2013

राहुल गांधी की डांट-फटकार का असर दिखेगा कांग्रेसियों पर

         मध्‍यप्रदेश की कांग्रेस राजनीति गुटों में विभाजित है। अलग-अलग गुट अपने-अपने अभियानों में लगे हुए हैं। इस बात का अहसास कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी को हो गया है। तभी वे बार-बार कांग्रेस नेताओं को दिल्‍ली बुलाकर डांट-फटकार रहे हैं और उन्‍हें समझाईश दे रहे हैं कि मप्र में एक बार  फिर से कांग्रेस का परचम लहरायेगा। ऐसा लगता है कि इसका असर थोड़ा-बहुत तो हो रहा है, लेकिन बहुत ज्‍यादा दिखता नजर नहीं आ रहा है। अगर यह मान भी लिया जाये कि सारे नेता गुटविहीन हो जाये, लेकिन जमीनी हकीकत तो कांग्रेसियों की अभी भी बेहद कमजोर है। न तो बूथमैनेजमेंट में गंभीरता दिखाई जा रही है और न ही सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोई मुहिम चल रही है, बल्कि सारे नेता अपने-अपने हिसाब से क्षेत्रों में डटे हुए हैं। विधानसभा चुनाव में अब मात्र तीन माह का समय बाकी है। इन महीनों में भी दो महीने तो टिकट वितरण में बीत जाने हैं। टिकटों को लेकर जो मारा-मारी कांग्रेस में होती है, वह सामान्‍य: अन्‍य दलों में कम ही होती है। अब कांग्रेसी यह कहने लगे हैं कि अगर टिकट वितरण में ठीक ढंग से नेताओं के हिसाब से टिकट बांट दिये गये, तो फिर कांग्रेस की सरकार बन सकती है। ये भी नेताओं के सोच का बड़ा निराला रूप है कि टिकट वितरण से चुनाव जीता जा सकता है, जो नेता पिछले पांच साल अपने क्षेत्रों में सिर्फ हवा-हवाई करता रहा हो, वह सिर्फ चुनाव में टिकट लेकर कैसे पार्टी के पक्ष में माहौल बना देगा। ठीक है थोड़ा बहुत पार्टी के झंडे-बैनर का असर पड़ता है, लेकिन बहुत कुछ चुनाव प्रबंधन पर भी देखा जाता है। इस दिशा में कांग्रेसी अभी तक ज्‍यादा सक्रिय नहीं हैं। वे धरना प्रदर्शन तो कर रहे हैं, लेकिन प्रबंधन की तरफ अभी उन्‍होंने जोर नहीं दिया है। कांग्रेस के एक नेता कहते हैं कि कांग्रेस तो बहती नदी की तरह पार्टी है जिसमें जो आ गया वह कदमताल करने लगता है, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। प्रदेश का चुनावी परिदृश्‍य बदला हुआ है। भाजपा से पार्टी को चुनाव लड़ना है, भाजपा ने हर स्‍तर पर अपनी घेराबंदी कर ली है। यही वजह है कि कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी बार-बार नेताओं को अपनी क्‍लास में सीख दे रहे हैं कि वे अभी भी संभल जाये, अन्‍यथा भविष्‍य में परिणाम बेहतर नहीं होंगे। राहुल गांधी की क्‍लास का असर तो हुआ है, उसका चुनाव पर क्‍या प्रभाव पड़ता है, यह तो भविष्‍य ही बतायेगा, लेकिन फिलहाल तो कांग्रेसी धीरे-धीरे एक होने लगे हैं। मगर यह एकता कांग्रेसियों में कितने दिन रह पाती है यह भी एक बड़ा सवाल है। टिकट वितरण में अगर कांग्रेसियों में पक्षपात हुआ, तो फिर गुटबाजी उभरकर आ जायेगी। इसलिए राहुल गांधी को लगातार मॉनिटरिंग करनी होगी, तभी मप्र में कांग्रेस का भला होगा अन्‍यथा मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब सभाओं में ही कहने लगे हैं कि आगामी चुनाव परिणामों के बाद मप्र की कांग्रेस बिहार और यूपी की तरह हो जायेगी, जहां कांग्रेस को तलाशने में दूरवीन लेकर ढूंढना पड़ेगा। इसी डर और भय को राहुल गांधी समझ गये हैं, तभी तो वे कांग्रेसियों की बार-बार क्‍लास लेकर उन्‍हें मैदान में उतारने के लिए विवश कर रहे हैं। 
                                           ''मप्र की जय हो''

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