एक कहावत है ''एक अनार, सौ बीमार'' यानि अभी मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावनाएं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही ,लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर नेताओं में घमासान मचा हुआ है। इस पद की दौड़ में हर महीने कोई न कोई नाम उभरकर सामने आ रहा है। फिलहाल तो भाजपा चुनाव अभियान और प्रबंधन में कांग्रेस से कई कदम आगे हैं। इसके बाद भी कांग्रेस नेताओं में मुख्यमंत्री पद को लेकर खासी दौड़ मची हुई है। सबसे ज्यादा इस पद को लेकर नाम की चर्चा केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की हो रही है। सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का मुखिया बनाने की चर्चाएं पिछले एक पखवाड़े से कांग्रेस शिविर में गर्म हैं। अभी तक इसका एलान नहीं हुआ है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री पद को लेकर सिंधिया का नाम खूब कांग्रेसी उछाल रहे हैं। सबसे पहले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा था कि कांग्रेस की सरकार बनने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इसके बाद अन्य नाम भी चर्चाओं में आये, लेकिन हाल ही में गुना प्रवास पर आये केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस की राजनीति में यह कहकर भूचाल ला दिया कि अगर मप्र में कांग्रेस की सरकार बनी, तो सिंधिया मुख्यमंत्री होंगे, पर आधे घंटे बाद ही कमलनाथ ने पत्रकारों के बीच गुना में ही सफाई दे दी कि सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने का एलान उनकी निजी राय है। इस घटनाक्रम पर अभी मरहम लगा भी नहीं था कि अचानक दिल्ली में कांग्रेस सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी ने फिर से दोहरा दिया कि अगर सिंधिया को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाये ताकि कांग्रेस की सरकार बन सके। उन्होंने कहा कि हमें खुशी होगी, यदि सिंधिया जैसे युवा और निष्कलंक नेता के हाथ में सरकार की कमान होगी। इस बार कोई विवाद नहीं है, ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम पर सहमति बन चुकी है। सरकार कांग्रेस पार्टी की ही बनेगी और सिंधिया ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। इससे पहले मप्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने भी श्रीमती सोनिया गांधी से मुलाकात करके सिंधिया को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का आग्रह कर चुके हैं। निश्चित रूप से सिंधिया कार्यकर्ताओं की एक पसंद हैं। पिछले एक महीने के भीतर कांग्रेस की दो बड़ी सभाएं हुई जिसमें सिंधिया के भाषण पर खूब तालियां पिटी और कार्यकर्ताओं ने उनके भाषण को पसंद भी किया। पहली सभा मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र बुधनी के नसरूल्लागंज में हुई, जहां पर सिंधिया ने खुलकर भाजपा सरकार के खिलाफ तीखी भाषा का उपयोग किया, तो दूसरी बार कांग्रेस के सागर में हुए महासम्मेलन में फिर सिंधिया ने अपने भाषण की खूब वाह-बाही लूटी। यहां भी सिंधिया सरकार के खिलाफ अपने तीखी तेवर के साथ मैदान में थे। इससे साफ जाहिर है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मंशा है कि सिंधिया को मैदान में मोर्चा संभालने की जिम्मेदारी दी जाये। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि सिंधिया के चेहरे में चमक है और आम आदमी का विश्वास हासिल करने की कला है। वे सरकार के खिलाफ भी तीखे आरोप लगा रहे हैं। इसके साथ ही यह कहानी भी खूब गड़ी जा रही है कि सिंधिया का नाम उछालने के पीछे कांग्रेस नेताओं की कोई राजनीति तो नहीं है। इसके पीछे किसी न किसी बड़े नेता का हाथ भी बताया जा रहा है। फिलहाल तो सिंधिया मप्र की कांग्रेस राजनीति में छाये हुए हैं।
...और भी नेता मुख्यमंत्री पद की दौड़ में :
ऐसा नहीं है कि सिंधिया अकेले ही मप्र में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं, बल्कि कांग्रेस के अन्य नेता भी सीएम पद की कतार में हैं। 2008 की तरह 2013 में भी केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने फिर से इच्छा जाहिर की है कि अगर कांग्रेस की सरकार बने, तो वे मुख्यमंत्री बनने को तैयार हैं। उन्होंने एक टीबी चैनल को दिये साक्षात्कार में स्वीकार किया है कि वे मुख्यमंत्री पद स्वीकार कर सकते हैं, पर जब ज्यादा हल्ला मचा तो उन्होंने सफाई दी कि पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या वे मप्र के मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक हैं, तो उन्होंने कह दिया कि हां, मुख्यमंत्री बनने को तैयार हूं। इस पर कमलनाथ कहते हैं कि उन्होंने पत्रकार के सवाल के जवाब में उत्तर दिया है। ऐसा नहीं है कि कमलनाथ ने पहली बार अपनी इच्छा जाहिर की है। इससे पहले भी 2008 में भी उन्होंने छिंदवाड़ा में आयोजित एक बड़ी कांग्रेस की रैली में भी पूर्व अध्यक्ष सुभाष यादव ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था, जिस पर दिग्विजय सिंह ने भी मोहर लगाई थी, तब भी खूब हल्ला मचा था। इसके बाद मामला रफा दफा हो गया। कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के तीसरे उम्मीदवार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया हैं। कोई छह महीने पहले केंद्रीय राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भूरिया को भविष्य का मुख्यमंत्री बताया था,
लेकिन थोड़े दिनों बाद भूरिया और सिंधिया में अनबन हो गई जिसके चलते अब सिंधिया स्वयं मैदान में उतर आये हैं। भूरिया पत्रकारों से चर्चा के दौरान कई बार कह चुके हैं कि वे भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में है, लेकिन इसको सार्वजनिक रूप से कहने में उन्हें थोड़ी परेशानी होती है, क्योंकि वे कांग्रेस की राजनीति से भली भांति बाकिफ हैं। कांग्रेस में जिसके नाम को लेकर खूब हल्ला मचता है वह सेहरा बांधने में कामयाब नहीं हो पाता। यही वजह है कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह अपने आपको मुख्यमंत्री पद की दौड़ से दूर रखे हुए हैं और सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में व्यस्त हैं। पर इच्छा तो उनकी भी मुख्यमंत्री बनने की है। कुल मिलाकर मप्र की कांग्रेस राजनीति में भले ही सत्ता लाने के लिए कांग्रेसी उतना संघर्ष नहीं कर रहे हैं जितना की मुख्यमंत्री पद के लिए मशक्कत की जा रही है। इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेसी अभी भी जमीनी हकीकत से बाकिफ नहीं हैं और वे अपने अपने ढंग से सपनों की दुनिया में जीने को विवश हैं।
'' मप्र की जय हो''
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