शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

क्‍या मप्र का कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा सरकार से डरा-सहमा है

        कांग्रेस कार्यकर्ताओं के आंदोलन प्रदर्शन में सक्रिय भागीदारी नहीं होने से अब कांग्रेस के नेता भी विचलित होने लगे हैं। उन्‍हें यह भय सताने लगा है कि कही मप्र की भाजपा सरकार की वजह से तो कांग्रेस कार्यकर्ता डरा और सहमा तो नहीं है। इस संकेत को दिग्विजय सिंह ने भी समझ लिया है, तभी उन्‍होंने 22 अगस्‍त को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंचकर अंतत: कह ही दिया कि कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा सरकार से डरा हुआ है। इससे पहले प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कांतिलाल भूरिया भी फूल छाप कांग्रेसियों पर तीखे बाण चला चुके हैं। मप्र की कांग्रेस राजनीति में लंबे समय से सरकार से नेताओं की निकटता के आरोप-प्रत्‍यारोप लगते रहे हैं। यहां तक कि ऐसे परचे भी मार्केट में आ चुके हैं जिसमें प्रदेश कांग्रेस का खर्चा एक बिल्‍डर द्वारा उठाने का उल्‍लेख था। ये बिल्‍डर मुख्‍यमंत्री का चहेता है। इस परचे को कांग्रेसियों ने ज्‍यादा गंभीरता से नहीं लिया पर यह कहा जाता है कि कहीं न कहीं धुंआ था, तभी वह उठा है। अब दिग्विजय सिंह अगर ये कह रहे हैं कि कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार से डर गया है, क्‍योंकि उसके अपने स्‍वार्थ हैं, लेकिन दिग्विजय सिंह की यह टिप्‍पणी उन हजारों लाखों कार्यकर्ताओं के लिए उत्‍साह वर्धक है, जो कि किसी विवाद में न रहकर जमीनी कार्यकर्ता की भूमिका अदा कर रहा है। न उनके ठेके हैं न ही तबादले का खेल है। ऐसे कार्यकर्ताओं के लिए दिग्विजय सिंह फिर नायक बनकर उभरे हैं। ये समझ से परे हैं कि अगर कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार से डरा हुआ है, तो फिर दिग्विजय सिंह को विधानसभा चुनाव के ढाई महीने पहले इसकी क्‍यों याद आई। अब तो इस संबंध में कोई रास्‍ता भी नहीं खोजा जा सकता। 
किसी को ठेका, तो किसी को तबादलों की चिंता : 
        कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का कहना है कि कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा सरकार से डरा हुआ है। किसी का ठेका है, किसी का धंधा है, तो किसी को भाई-भतीजे के तबादले की चिंता है। भाजपा के मंत्री और विधायक और नेताओं ने जनता को रौंदा है जनता बहुत दुखी है। जनता अब आक्रोशित है, लेकिन कांग्रेसी डरते हैं। ऐसे तो चुनाव नहीं जीत पायेंगे। इस बयान से कांग्रेस शिविर में हलचल मच गई है। इससे पहले भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक में कई बार भूरिया कह चुके हैं कि उन्‍हें फूल छाप कांग्रेसियों से बेहद नफरत है। इस पर भाजपा के प्रवक्‍ता विजेंद्र सिंह सिंसौदिया ने तो फूल छाप कांग्रेसियों की सूची ही बनवा ली थी, जिसमें करीब 20-25 ठेकेदार हैं, जो कि किसी न किसी माध्‍यम से सरकार का लाभ उठा रहे है। भूरिया ने सिसोदिया के बयान पर ज्‍यादा जोर नहीं दिया अन्‍यथा विवाद और गहराता। दिग्विजय सिंह के बयान से जमीनी कार्यकर्ताओं को एक आशा की किरण तो नजर आई है, लेकिन फिर भी अगर बड़े नेता अगर भाजपा के शिविर में निकटता बढ़ाते हैं तो कार्यकर्ताओं को निश्चित रूप से पीड़ा होती है। इस बारे में नेता कभी कोई टिप्‍पणी नहीं करते। अभी भी प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में ऐसे पदाधिकारी हैं, जो कि सरकार के किसी न किसी माध्‍यम से निकटता रखते हैं। ऐसे लोगों को चिंन्हित करने की आवश्‍यकता पर अब तो चुनाव का समय है, पार्टी चुनाव लड़े या दलालों की तलाश करें, यह समझ से परे हैं।  
                                  ''मप्र की जय हो''

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