यूं तो भाजपा के लिए मुख्य चुनौती मप्र में कांग्रेस ही है। कांग्रेस के हमलों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विचलित हुए हैं। न सिर्फ उनके तेवर बदले हैं, बल्कि वे अब आक्रामक भाषा बोल भी रहे हैं। उसके पीछे वे अपना स्पष्टीकरण देने से भी नहीं चूकते। उनका कहना है कि कांग्रेस ने सारे नियम-कायदे तोड़ दिये हैं। चुनाव जीतने क लिए वे आपेक्ष लगाने पर कांग्रेसी उतर आये हैं। यही वजह है कि चौहान को नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करना पड़ा। चौहान की नजर में कांग्रेस झूठी और बेईमान है, जो कि अब कमर के नीचे बार कर रही है। यहां तक कि व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप भी लगाये जा रहे हैं। अक्सर जनआर्शीवाद यात्रा के दौरान चौहान के निशाने पर कांग्रेसी हैं। वे कहते हैं कि हमारा काम अच्छा है इसलिए प्रदेश में कांग्रेस परेशान है। कांग्रेस के नेता नींद में भी शिवराज इस्तीफा दो चिल्लाते रहते हैं। कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता भी प्रदेश में बेअसर हो साबित हो रहे है, लिहाजा वे व्यक्तिगत आरोपों पर उतर आये हैं। कांग्रेस ने 55 साल राज किया पर प्रदेश के विकास में कुछ नहीं किया। चौहान बार-बार कांग्रेसियों को यह भी चेतावनी देते हैं कि 55 साल और 10 साल के विकास पर खुली बहस करा ली जाये।
कांग्रेस और मुख्यमंत्री की नाराजगी :
अमूमन छह महीने पहले तक मुख्यमंत्री का कांग्रेस के प्रति बहुत ज्यादा आक्रोश नहीं था, वे अपनी सभाओं में सरकार की उपलब्धियां गिनाते थे और कभी-कभार केंद्र पर हमले करते थे, लेकिन मप्र के कांग्रेस नेताओं पर उनके प्रहार कह होते थे। अचानक कांग्रेस ने चौहान पर चारों तरफ से बार करना शुरू कर दिया। यहां तक कि नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने तो नैतिकता की सारी सीमाएं लांघ कर सीएम की पत्नी साधना सिंह को भी कठघरे में ले लिया और उन्हें नोट गिनने की मशीन तक बता दिया। इससे विचलित होकर चौहान ने भोपाल अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया है। यह मामला अदालत में शुरू हो गया है। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने भी शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार को घेरने के लिए कोई न कोई मौके की तलाश की जाने लगी। यहीं से चौहान और कांग्रेस के बीच दूरिया बढ़ी। जुलाई महीने में अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने चर्चा नहीं कराकर विपक्ष को और गुस्से में ला दिया। इसके बाद तो नेता प्रतिपक्ष भी खुलकर मुख्यमंत्री पर बार कर हैं और वे भी व्यक्तिगत हमले ज्यादा हो रहे हैं। यही वजह है कि सीएम चौहान ने भी अब कांग्रेस की कलई खोलने के लिए कमर कस ली है।
दिग्विजय और अजय सिंह निशाने पर :
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी तक तो अपनी रैलियों में सिर्फ कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को निशाने पर ले रहे हैं। दिग्विजय सिंह को तो वे सभाओं में मजाक का पात्र बनाने से भी नहीं छोड़ रहे हैं। अक्सर वे जनआर्शीवाद यात्रा के दौरान एक सवाल जनता से जरूरी पूछते हैं कि बताये कि दिग्विजय सिंह के राज में कितने घंटे बिजली मिलती थी, तो लोग हाथ खड़े करके अंधेरे में डूबे रहे प्रदेश की ओर इशारा करते हैं। तब चौहान फिर कहते हैं कि भाजपा राज में बिजली तो मिल रही है। इसके साथ ही वह यह भी जोड़ते हैं कि बच्चों को मोमबत्ती और लालटिन की रोशनी में पढ़ना पड़ता था। दिग्विजय सिंह ने प्रदेश को बर्बाद कर दिया। इन आरोपों पर दिग्विजय सिंह भी चुप नहीं हैं, वे भी सीएम पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। उनके निशाने पर भी हमेशा चौहान रहते हैं। अभी हाल ही में बालाघाट दौरे पर आये दिग्विजय सिंह ने फिर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा का नक्सलियों से चुनावी गठजोड़ हो गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निशाने पर कांग्रेस के दूसरे नेता अजय सिंह हैं। चौहान ने अजय सिंह के विधानसभा क्षेत्र चुरहट में जाकर सिंह पर खूब हमले किये। उन्हें घमंडी तक कहा गया। इसके साथ ही चुरहट लाठीकांड और जमीन प्रेम से भी उन्हें नवाजा। इसके साथ ही चौहान ने चुरहट की जनता से यह अपील भी की कि वे 14 साल से भाजपा को नहीं जिता रही है अब वनवास का समय खत्म हो गया है। ऐसी स्थिति में फिर से भाजपा को चुरहट से जनता को गले लगाना चाहिए। इसके बाद भी चौहान थमे नहीं। उन्होंने अजय सिंह पर कभी भी किसी भी कार्यक्रम में खरी-खरी सुनने में पीछे नहीं रहते। मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के बीच यह टकराव लगातार गहराता जा रहा है। दूरिया बेहद बढ़ गई हैं। अब तो नेता प्रतिपक्ष इस कोशिश में रहते हैं कि जहां मुख्यमंत्री पहुंच रहे हैं वहां वे नहीं जाये। कई बार सार्वजनिक कार्यक्रमों से भी अजय सिंह ने कन्नी काटी है। ये दूरिया बता रही है कि दोनों नेताओं के बीच किस कदर मतभेद गहरा गये हैं और अब चुनाव तक तो एक दूसरे पर तलवारे ताने नेता नजर आ रहे हैं।
कुल मिलाकर मप्र की राजनीति में धीरे-धीरे बेहद बदलाव आ रहा है। मुख्यमंत्री कांग्रेस को बुरा-बुरा कहने में चूक नहीं रहे हैं। वे पन्ना में कहते है कि कांग्रेस सरकारों ने लोकधन को लूटने का साधन बना लिया था। आजादी के बाद 50 वर्षो में कांग्रेस ने जितने विकास कार्य नहीं किये उससे 5 गुना विकास कार्य दस वर्षो में मप्र में हुए हैं। जहां देश की कृषि विकास दर 3 प्रतिशत है वही मप्र अकेला ऐसा राज्य है जिसमें पिछले साल 18.91 प्रतिशत दर हासिल की और इस साल 13.11 प्रतिशत कृषि विकास दर हासिल की है। इन्हीं विकास कार्यों को लेकर कांग्रेस घबरा रही है और भाजपा नेताओं की छवि खराब करने की नाकाम कोशिश कर रही है। कांग्रेस भी शिवराज सिंह के आरोपों पर चुप नहीं है वह भी लगातार सीएम के आरोपों का जवाब देने में अग्रसर है।
''म0प्र0 की जय हो''
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