सोमवार, 6 मई 2013

मध्‍यप्रदेश में भ्रष्‍टाचार की प्रयोगशाला भी

        अभी तक तो कांग्रेसी नेता यह आरोप लगा-लगाकर थक गये थे कि हिन्‍दुत्‍व की प्रयोगशाला मध्‍यप्रदेश है। अब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्‍बल ने मध्‍यप्रदेश को भ्रष्‍टाचार की प्रयोगशाला से नबाजा है। शायद उन्‍हें यह मालूम नहीं है कि मप्र में भ्रष्‍टाचार भाजपा राज में ही नहीं हो रहा है। इससे पहले भी भ्रष्‍टाचार की गंगा बहती रही है। यही वजह है कि भ्रष्‍टाचार के मामले में मप्र कई राज्‍यों से अव्‍वल है। बढ़ते भ्रष्‍टाचार की वजह से ही यहां पर जांच एजेंसियों की बाढ़ सी आई हुई है। राज्‍य सरकार ने कई एजेंसियां खोल रखी है इसके बाद भी भ्रष्‍टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। बार-बार राज्‍य के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह कहते रहे हैं कि उनके रहते भ्रष्‍टाचार बर्दाश्‍त नहीं किया जायेगा। इसके बाद भी घटिया निर्माण, खरीदी में स्‍तरहीन सामग्री का खरीदा जाना तथा सरकारी फाइलों के जरिये भ्रष्‍टाचार की गंगा खूब बह रही है। अब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्‍बल ने एक नया ही राग अलापा है कि मप्र तो भ्रष्‍टाचार की प्रयोगशाला है। उन्‍होंने कहा कि पूरे देश में एलओसी का अर्थ लाइन ऑफ कंट्रोल यानि नियंत्रण रेखा होता है, लेकिन मप्र में यह लेबोरिटी ऑफ करप्‍शन (भ्रष्‍टाचार की प्रयोगशाला) है। उन्‍होंने गणित की भाषा में कहा कि यहां करप्‍शन और क्राइम मिलकर सौ स्‍क्‍वयर हो गये हैं।  वे यहां तक कहते हैं कि मप्र के अधिकारी भी भ्रष्‍ट हैं। इसमें आईएएस, आईएफएस और आईपीएस अफसर तथा राज्‍य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शामिल हैं। उनका मानना है कि आईएएस जोशी दंपत्ति सहित कई मामले भ्रष्‍टाचार के चर्चा के मामले बने हुए हैं। भ्रष्‍टाचार और अपराध के गठजोड़ का ही नतीजा है कि यहां रोजाना दुष्‍कर्म की घटनाएं हो रही हैं। अब केंद्रीय मंत्री को कौन बताये कि मप्र में भ्रष्‍टाचार भाजपा सरकार के राज में ही नहीं हो रहा है, बल्कि कांग्रेस सरकार में भी खूब फला-फूला है। भाजपा सरकार में थोड़ा भ्रष्‍टाचार का ग्राफ बढ़ गया है, क्‍योंकि छापों में लाखों और करोड़ों की सम्‍पत्तियां भ्रष्‍ट अफसरों के यहां से मिल रही हैं। आरोप लगा देना आजकल राजनेताओं की फितरत हो गई है। यूं भी कांग्रेस और भाजपा नेता अब अपने-अपने आईनों से आरोप चस्‍पा करते हैं, लेकिन मप्र के राजनेता इन आरोपों पर भी चुप्‍पी साध जाते हैं। यही वजह है कि राज्‍य को लेकर कोई भी नेता किसी भी प्रकार के आरोप लगा देता है और राज्‍य का कोई भी नेता आपत्ति तक नहीं करता है। अब भाजपा जरूर इस पर नाराजगी जाहिर कर रही है, ये तो यहां की राजनीति का दस्‍तूर हो गया है, लेकिन इसके बाद भी भ्रष्‍टाचार केंद्र सरकार से लेकर राज्‍य सरकार तक नासूर की तरह फैलता जा रहा है। इस पर लगाम लगाने की दिशा में किसी भी स्‍तर पर कोई भी प्रयास नहीं हो रहा है। यही सिलसिला चलता रहा, तो मप्र में भ्रष्‍टाचार का ग्राफ यूं ही बढ़ता रहेगा और मप्र की सम्‍पत्ति भ्रष्‍ट अफसर अपने-अपने हिसाब से उसका आनंद लेते रहेगे और राजनेता आरोप लगाते रहेगे तथा जनता मूकदर्शक बनी आरोपों पर बहस करती ही नजर आयेगी । 
                                     ''मप्र की जय हो''

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

EXCILENT BLOG