आप चौंकिये नहीं, यह सच है कि मप्र के विधानसभा चुनाव में इस बार 230 विधानसभा सीटों में से 115 विधानसभा सीटों पर महिलाओं को टिकट दिया जायेगा। यह एलान स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 मई, 2013 को होशंगाबाद जिले में अटल ज्योति अभियान के शुभारंभ के मौके पर किया है। इसके साथ ही भाजपा की राजनीति में जबर्दस्त भूचाल आ गया है। हर नेता अपने आसपास महिला नेत्रियों को खोजने लगा है। महिलाओं को विधानसभा चुनाव में महत्व मिलने से महिला मोर्चा तो गदगद है ही, लेकिन साथ ही साथ उन महिलाओं में भी जोश आ गया है, जो कि लंबे समय से संगठन के लिए काम कर रही हैं, लेकिन संगठन ने उन्हें टिकट देने के लिए विचार तक नहीं करता। इससे साफ जाहिर है कि ऐसी महिलाओं को सीएम की घोषणा से खुश तो होना ही चाहिए पर उस पर कितना अमल होगा, यह तो वक्त ही बतायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा 50 फीसदी सीटों पर महिलाओं को चुनाव लड़ायेगी। चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमने भैयाओं को विधानसभा चुनाव से दूर रहने की सलाह भी दे दी है। मुख्यमंत्री के इस एलान से पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी असमंजस में पड़ गये हैं। उन्होंने यह तो कहा कि महिलाओं में जीतने का यदि माददा होगा, तो उन्हें अधिक से अधिक टिकट दिये जायेंगे, पर वे 50 फीसदी टिकट देने की राय पर सहमत नहीं हैं। इसी प्रकार संगठन महामंत्री अरविंद मेनन ने कहा है कि संगठन मिल-जुलकर इस पर विचार करेगा।
नगरीय निकाय चुनाव में 33 प्रतिशत आरक्षण :
महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए लगातार राजनैतिक दल अपने-अपने स्तर पर सक्रिय हैं। निकाय चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है। यही स्थिति पंचायत चुनाव में भी है। करीब डेढ़ दशक से मध्यप्रदेश में महिलाओं को निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण मिल रहा है और महिलाएं चुनकर भी आ रही हैं, लेकिन आज भी महिलाओं का जो नेतृत्व समाज को मिलना चाहिए वह आज तक नहीं मिल पाया है। कई महिलाएं चुनाव में जीत तो जाती हैं, लेकिन उनके पतिदेव ही उनके पथ का संचालन करते हैं। ऐसे कई उदाहरण राज्य में जहां-तहां मिल जाते हैं। अब अगर महिलाओं को 50 फीसदी टिकट विधानसभा चुनाव में दिये जाते हैं, तो फिर क्या होगा, यह तो भाजपा के नेता भली-भांति जानते हैं। अभी भी कई महिलाएं जिन्हें लाल बत्ती मिली हुई हैं वह अपने रूतबे के अलावा अपना प्रभाव एक कदम आगे नहीं बढ़ा पाई हैं, तब फिर इनसे विधानसभा चुनाव जीतने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। मुख्यमंत्री के एलान ने निश्चित रूप से भाजपा की राजनीति को सक्रिय कर दिया है, लेकिन इस पर कितना अमला होगा यह तो भविष्य ही बतायेगा।
''मप्र की जय''
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