गुरुवार, 1 मार्च 2012

परते अभी खुलना बाकी है शेहला हत्‍याकांड की, जनचर्चा का विषय बना



     किसी फिल्‍म की तरह मप्र की राजधानी भोपाल में आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद की हत्‍या की परते सीबीआई धीरे-धीरे सुलझाने की ओर बढ़ रही है। अभी तक तो यह कहा जाता था कि सीबीआई अपनी जांच में 6-8 माह में भी कोई खास निष्‍कर्ष पर नहीं पहुंच पा रही थी। हाईप्रोफाइल बना शेहला मसूद हत्‍याकांड राजनीति के सफेदपोश के लिए दिल धड़काने बढ़ाने वाला है, क्‍योंकि कहीं-कहीं इशारे राजनेताओं की ओर भी हो रहे हैं। 28-29 फरवरी को इस मामले ने नया रूख लिया है और शेहला मसूद की कभी दोस्‍त रही आर्टिकेट जाहिदा परवेज को सीबीआई ने पकड़ा है। फिलहाल तो वह सीबीआई की रिमांड पर रहेगी, इसके साथ ही शाकिब डेंजर को भी पकड़ा है। इस मामले में दिलचस्‍प यह है अभी तक हत्‍याकांड को लेकर पूरी पिक्‍चर का खुलासा नहीं हुआ है और अभी इस तथ्‍य का खुलासा होना है कि आखिरकार शेहला मसूद की हत्‍या किन कारणों से की गई है। सीबीआई सारे मामले का खुलासा एक साथ करने वाली है। वैसे तो अदालत में जाहिदा अपने बयान से पलट गई है और अपने आपको बेकसूर बताया है तथा साथ ही इस बात से भी इंकार किया है कि उसने अपने पति से शेहला के अवैध संबंधों को लेकर हत्‍या की है। यहां दिलचस्‍प यह है कि जिस शाकिब डेंजर को सीबीआई ने पकड़ा है वह भाजपा से जुड़ा हुआ है और पार्टी के कई बड़े नेताओं के साथ उसकी तस्‍वीरें मीडिया में छप गई हैं। प्रारंभिक जांच में सीबीआई से जो संकेत मिल रहे हैं उससे लग रहा है कि पर्यटन विकास निगम के ठेकों को लेकर दोनों के बीच तना-तनी हुई थी। इसी के चलते शेहला बार-बार जाहिदा को धमकियां देती थी फिर जाहिदा ने शेहला की हत्‍या करने के लिए उ0प्र0 के एक सूटर को सुपारी दी थी। फिलहाल तो इस मामले को लेकर विभिन्‍न कहानियां राजधानी में हर तरफ गूंज रही है। हर व्‍यक्ति अपनी नई कहानी बया कर रहा है, लेकिन अभी भी पूरी कहानी पर से पर्दा उठना बाकी है, क्‍योंकि इस पूरे हत्‍याकांड की जब परते खुलेगी तो कई चेहरे बेनकाब हो जायेंगे, क्‍योंकि शेहला मसूद की निकटता पिछले आठ सालों में भाजपा के नेताओं से जग-जाहिर थी। 
                                  ''जय हो मप्र की''

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