सोमवार, 19 मार्च 2012

मध्‍यप्रदेश में बौनी साबित हो रही है पुलिस

        ऐसा लगता है कि मध्‍यप्रदेश में पुलिस का खौफ खत्‍म हो गया है। अब पुलिस का काम सिर्फ गरीब, असहाय और आम आदमी पर डंडे चलाने तक सीमित रह गया है, लेकिन पुलिस उन लोगों के सामने असहाय और बौनी साबित हो रही है जो कि भाजपा के ताकतवर नेता हैं। ऐसे नेताओं के सामने तो पुलिस झुक-झुक कर सलाम करती है और वह नेता पुलिस को दौड़ा-दौड़ा कर मार रहे हैं। मप्र में नेता, माफिया गठजोड़ से पुलिस की शामत आ गई है। पिछले एक साल में भोपाल समेत पुलिस पर करीब 50 से अधिक की घटनाएं हो चुकी हैं। स्‍वयं गृहमंत्री उमाशंकर गुप्‍ता स्‍वीकार कर चुके हैं कि पिछले एक साल में भोपाल में ही पुलिस पर 25 से अधिक हमले की घटनाएं हुई हैं। इसके साथ ही हाल ही में मुरैना में तो आईपीएस अफसर नरेंद्र कुमार को अपनी जान गबानी पड़ी है। पुलिस के साथ मारपीट की घटनाएं मप्र में कोई नई बात नहीं है, लेकिन चिंता का पहलू यह है कि अगर थाने में भी जाकर पुलिस पर हमले होने लगे तो फिर उनका खौफ कहा बचेगा यह तो भगवान भी नहीं बता सकता। राजधानी में पिछले महीने राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने कमला नगर थाने में जाकर पुलिसकर्मियों के साथ न सिर्फ झूमा-झपटी की बल्कि मारपीट भी की गई जिस पर पुलिस के आला अधिकारियों ने पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। भला हो मीडिया का कि इस मुद्दे पर बढ़ा हल्‍ला मचाया और अंतत: पुलिस मुख्‍यालय को उन पुलिसकर्मियों को बहाल करना पड़ा। 18 मार्च, 2012 को दमोह में तो भाजपा नेताओं ने पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट के सारे रिकार्ड तोड़ दिये। अखबारों में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दमोह के भाजपा नेताओं ने एक पुलिस कर्मी पर सरेआम हमला बोला, उस आरक्षक ने एटीएम में घुसकर अपनी जान बचाई। इसका मुख्‍य आरोपी जनपद सदस्‍य सौमेश गुप्‍ता है, जो कि भाजपा के प्रदेशाध्‍यक्ष प्रभात झा का करीबी माना जाता है। विवाद की जड़ पुलिस आरक्षक जहागीर खान और भाजपा नेता सौमेश गुप्‍ता के बीच सड़क पर साइड देने को लेकर हुआ। आरक्षक की इतनी पिटाई की गई है कि वह गंभीर रूप से घायल है फिलहाल तो पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। मप्र में पुलिस के साथ मारपीट की घटनाएं कोई नई बात नहीं है, ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही है। राजधानी में तो एक आईपीएस अफसर की आंख भी फोड़ दी गई है। राज्‍य के मुख्‍यमंत्री लगातार कह रहे हैं कि पुलिस का खौफ अब खत्‍म हो गया है उसे नये सिरे से अपनी भूमिका अदा करना चाहिए, लेकिन जब राजनीतिक हस्‍तक्षेप बढ़ेगा, तब पुलिस कहा से कार्यवाही करेगी। कुल मिलाकर मप्र में कानून व्‍यवस्‍था तो ध्‍वस्‍त हो ही गई है अब ऊपर से पुलिस के साथ मारपीट की घटनाओं से साबित हो रहा है कि मप्र का भगवान ही मालिक है। 
                           ''जय हो मप्र की''

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

EXCILENT BLOG