यूं तो मध्यप्रदेश को कभी पिछड़ा राज्य, बीमारू, अर्धशिक्षित, गंबार, जागरूक नहीं, लड़ाकू लोग नहीं जैसे आदि जुमलों से समय-समय पर जानी-मानी हस्तियां उछालती रही है, लेकिन लंबे समय बाद जाने-माने अंग्रेजी लेखक चेतन भगत ने मप्र का सिर न सिर्फ ऊंचा किया है, बल्कि मप्र वासियों को नई राह भी दिखाई है। वाह चेतन भगत आपको बार-बार सलाम कि आपने मप्र को असली इंडियन कहकर एक बढ़ा महत्वपूर्ण दर्जे से नवाजा है जिसके लिए आपको बार-बार नमन। दिलचस्प यह है कि 02 मार्च, 2012 को भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान लेखक चेतन भगत ने मप्र की चर्चा में भाव-विभोर होकर कहा कि यहां पर हिन्दी है, एमपी में हिंदी का बोल बाला है। बाहर कोई गुजराती और बंगाली नहीं है यही वजह है कि मध्यप्रदेश के लोग असली इंडियन है अन्यथा किसी भी राज्य में चले जाइयेगा तो पहले वह अपने आपको गुजराती, बिहारी, मराठी कहलाने में गर्व करते हैं। गुजरात वाले आपस में मिलकर गुजराती हो जाते हैं, पंजाब वाले साथ हो तो पंजाबी हो जाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश का व्यक्ति कभी गुट नहीं बनता वह हमेशा हिन्दुस्तानी रहता है। उन्होंने दुखी मन से कहा कि आज तक देशभर के 75 शहरों में युवाओं से संवाद कर चुका हूं और हर क्षेत्र में लोगों से मिला हूं लेकिन एक देश की कमी मुझे हर जगह महसूस होती थी, लेकिन मप्र के लोगों में दिखती है। निश्चित रूप से अंग्रेजी लेखक चेतन भगत ने मध्यप्रदेश्ावासियों को दिल से एक बढ़ा तोहफा दे दिया है कि यह राज्य अपनी भाषा की सीमाओं में बंधा हुआ नहीं है, बल्कि राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत है। अन्यथा मध्यप्रदेश को लेकर इसी राज्य से जुड़े राजनेता समय-समय पर ऐसी-ऐसी टिप्पणियां करते हैं जिससे राज्य के रहवासियों का सिर शर्म से झुक जाता है। बीते दिनों में एनडीए के अध्यक्ष और मप्र की भूमि से जुड़े नेता शरद यादव ने तो मप्र के लोगों को लड़ाकू नहीं होने की संज्ञा से नबाजा था। इसी के साथ ही कई नेता इसको बीमारू और पिछड़ा राज्य भी कहने से नहीं चूकते हैं। यह सच है कि मप्र के लोग सीधे-सादे और सरल स्वभाव के लोग हैं, वे षड़यंत्र करने में ज्यादा विश्वास नहीं करते हैं यही वजह है कि विकास का जो पहिया घूमना चाहिए वह अभी घूम नहीं पा रहा है, लेकिन प्रदेश की जनता के लिए इससे ज्यादा क्या सुखद होगा कि राज्य लगातार विकास के पायदान पर चढ़ता ही जा रहा है।
'' जय हो मप्र की''
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