शुक्रवार, 2 मार्च 2012

शेहला हत्‍याकांड : राजनीति और अपराधीकरण का एक चेहरा भी सामने आया

     मध्‍य प्रदेश का हाईप्रोफाइल शेहला मसूद हत्‍याकांड से कई चेहरे बेनकाब हो रहे हैं। राजनीति और अपराधीकरण का गठजोड़ भी सामने आ रहा है, जो चौका रहा है। अमूमन यह कहा जाता है कि राजनेता और अपराधियों के बीच मिली-भगत का खेल पर्दे के पीछे चलता है, लेकिन मप्र में पिछले एक दशक से ऐसी घटनाएं सामने आ ही है जिससे राजनेता और अपराधियों का खुलासा हो रहा है इन घटनाओं को लेकर न तो राजनीतिक दलों में कोई चिंता है और न ही उससे बचने के कोई उपाय खोजे जा रहे हैं, बल्कि मामला सामने आने के बाद तर्कहीन बाते करते हैं। शेहला मसूद कांड में गिरफ्तार हुए अपराधी से निकटता  भाजपा के प्रदेशाध्‍यक्ष प्रभात झा की निकटता से कई सवाल खड़े हो गये हैं, क्‍योंकि फोटो में झा के पीछे अपराधी डेंजर का खड़ा होना ही मायने रखता है। अब भले ही प्रभात झा सफाई दें कि जनता को अपराधी के तौर पर नहीं देख सकते, भीड़ में कौन अपराधी है यह समझ पाना कठिन है। निश्चित रूप से झा को नहीं मालूम होगा कि उनके मंच पर कोई अपराधी है, लेकिन जब भाजपा के कार्यक्रम में लगातार अपराधियों को मंचों पर देखा जाता है, तो यह डर सताने लगता है कि कहीं मप्र की राजनीति में भी अपराधियों की घुसपैठ तो नहीं हो रही है। इससे पहले भी कांग्रेस सरकार के दौरान भी कई बड़े दिग्‍गज नेताओं और अपराधियों के मामले सामने आ चुके हैं जिन पर काफी विवाद हुआ है। पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तो अपने कार्यकाल में माफिया और राजनीति के गठबंधन पर एक कमेटी बनाई थी उसकी रिपोर्ट आज भी मंत्रालय में धूल खा रही है। अब नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह कह रहे हैं कि शेहला मसूद हत्‍याकांड में शामिल एक अपराधी के साथ झा के चित्र से जाहिर हो गया है कि भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा क्‍या है। झा हमेशा दूसरों को नसीहत देने में हमेशा आगे रहे हैं अब उनके रिश्‍ते अपराधियों के साथ उजागर हो रहे हैं जिससे साफ जाहिर है कि भाजपा नेताओं का अपर‍ाधियों से गहरा गठजोड़ है। कुल मिलाकर मप्र की राजनीति में माफिया और अपराधियों के गठजोड की नई-नई कहानियां जन्‍म ले रही है जिन्‍हें रोकने पर विचार करना होगा अन्‍यथा प्रदेश की राजनीति को दूषित और प्रदूषित होने से कोई नहीं रोक पायेगा।

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