साल में एक बार मप्र में इश्क करने वाले प्रेमियों और उनके पहरेदारों के बीच जमकर टकराव की नौवत बनती है। पुलिस भी यहां-वहां भटकती नजर आती है और प्रेमी-प्रेमिकाएं भी शुकून के स्थान की तलाश में भटकते रहते हैं और उनका पीछा करते हैं पहरेदार जिनके हाथो में होते हैं हथियार। मगर यह पहरेदारी साल में एक बार वेलेंटाइन-डे यानि प्रतिवर्ष 13 फरवरी को होती है पिछले सात सालों से प्रेमियों को सताने और उन्हें मिलने का हल्ला खूब मच रहा है। एक सप्ताह पहले से बजरंग दल और हिन्दुत्व प्रचार धारा को पोषित करने वाले संगठन भी मैदान में आ जाते हैं। इस बार भी वेलेंटाइन-डे के मौके पर युवक-युवतियों द्वारा भद्दा प्रदर्शन रोकने के लिए संस्क़ति बचाव मंच ने मोर्चा संभाल लिया है। वहीं दूसरी ओर परंपरागत रूप से सांप्रदायिक ताकतों को चुनौती देने के लिए युवा कांग्रेस और यूएनएसआई भी कभी-कभार मैदान में नजर आती है। दिलचस्प यह है कि यह सिलसिला हर साल चलता है। वेलेंटाइन-डे भी मन रहा है, बाजार भी सज रहे हैं, प्रेमी-प्रेमिकाएं मिल भी रहे हैं, कहीं कोई रूकावट नहीं हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन के लिए एक तनाव भरा दिन जरूर होता है। वैसे तो इस दिन मारपीट की घटनाएं भी अमूमन प्रदेश में कहीं न कहीं घटती हैं। कई बार पुलिस की मौजूदगी में प्रेमी-प्रेमिकाओं की पिटाई भी हो चुकी है, तब भी किसी पर कोई कार्यवाही नहीं होती है और हिन्दुत्व का झंडा उठाये वेलेंटाइन-डे के पहरेदार अपने मि
शन में कामयाब हुए। इस दिशा में सांप्रदायिक ताकतों को चुनौती देने वाले लोग भी मैदान में होते हैं।
मोहब्बत का एक दिन और बाजार की चांदी :
वेलेंटाइन-डे यानि प्यार और प्यार के इजहार का दिन है। इस अंतर्राष्ट्रीय डे को भारत में बाजारवाद में ऐसा परवान चढ़ा दिया है कि इस बहाने बाजार की चांदी ही चांदी है, क्योंकि उपहार, ग्रिटिंग कार्ड, फेशन, होटल में पार्टी तथा मनोरंजन उद्योग एवं मीडिया भी इस दिन अपनी-अपनी बाजार की नजर से लाभ लेने में लगा हुआ है। मोबाइल का कारोबार भी इस दिन खूब बढ़ जाता है। फूल और ग्रिटिंग कार्ड की बिक्री 20 से 30 प्रतिशत बढ़ जाती है। इस त्यौहार को बाजारवाद से जोड़कर लाभ तो बाजार को ही हो रहा है और प्यार का उपहार की बिक्री में कोई कोताही नहीं हो रही है।
मौसम ने सबके होश उड़ाये :
मप्र में पल-पल बदल रहे मौसम ने हर व्यक्ति के जीवन पर असर इस बार असर डाला है। किसानों को तो प्राक़तिक प्रक्रोप ने तो अपनी चपेट में लिया ही है साथ ही साथ फसलों पर हल्की सी बर्फ भी जमी है। कही-कहीं फसलें भी प्रभावित हुई है। अमूमन राज्य में ठंड का मौसम सामान्य रहता है, लेकिन लंबे अरसे बाद इस मौसम ने करवट बदली है। इसका असर आवा-हवा पर पड़ा है। बाजार ने भी लाभ उठाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
*जय हो मध्यप्रदेश की*
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